11. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
11 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
इस्लामी तारीख:
इमाम गज़ाली (रह.)
आपका नाम मुहम्मद और कुन्नियत अबू हामिद थी । सन ४५० हिजरी में इराक के इलाका ताहेरान में पैदा हुए। इब्तेदाई तालीम अपने वतन में हासिल करने के बाद नीशापूर जाकर इमामुल हरमैन के हलक-ए-दर्स में शामिल हो गए। ३४ साल की उम्र में निजामुल मलिक ने बगदाद के मद्रस-ए-निजामिया की सदारत के लिए आप का इन्तिखाब किया जो उस वक्त एक आलिम के लिए सबसे बड़ी इज्जत और शर्फ की बात थी।
आप की वफ़ात सन ५०५ हिजरी को ५५ साल की उम्र में अपने वतन में हुई और आप वहीं मदफून हैं।
[ इस्लामी तारीख ]
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अल्लाह की कुदरत:
पहाड़ों में कुदरत का नमूना
अल्लाह तआला ने ज़मीन पर बुलंद और ऊँचे ऊँचे पहाड बनाए, जिस की चोटियों बादलों से भी ऊपर तक पहुंची हुई होती है और फिर उन्हीं पहाड़ों से नदियां, समुंदर, दर्या, मील और मीठे मीठे पानी के ३ चश्मे जारी किये, जिस से तमाम मखलूक अपनी अपनी प्यास और जिन्दगी की जरूरियात पूरी करती है। पानी के यह बहते हुए चश्मे, मज़बूत और सख्त चट्टानों से जारी हो कर खुदा की अजीम कुदरत का नमूना दुनिया की निगाहों के सामने पेश कर रहे हैं।
[ अल्लाह की कुदरत ]
एक फर्ज के बारे में:
अपने घर वालों को नमाज़ का हुक्म देना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“आप अपने घर वालों को नमाज का हुक्म करते रहिये और खुद भी नमाज के पाबंद रहिये, हम आप से रोजी तलब नहीं करते, रोजी तो आप को हम देंगे और अच्छा अंजाम तो परहेजगारों का है।”
[ सूरह तहा १३२ ]
एक सुन्नत के बारे में:
बात ठहर ठहरकर और साफ साफ़ करना
हजरत आयशा फरमाती है के हुजूर (ﷺ) की बात जुदा जुदा होती थी, जो सुनता समझ लेता था।
फायदा: जब किसी से बात करे, तो साफ़ साफ़ बात करे, ताके सुनने वाले को समझने में कोई परेशानी ना हो, यह आप की सुन्नत है।
[ अबू दाऊदः ४८३९ ]
एक अहेम अमल की फजीलत:
बाराह रकात नफ़्ल नमाज अदा करना
रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स एक दिन में बारा रकात नफ़्ल नमाज़ पढ़ेगा, तो इन नमाज़ों बदले में उसके लिए जन्नत में एक घर बनाया जाएगा।”
[अबू दाऊदः १२५०, अन उम्मे हबीबा (र.अ)]
एक गुनाह के बारे में:
किसी के सतर को देखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अल्लाह तआला लानत करता हैं, उस शख्स पर जो जान बूझ कर किसी के सत्र को देखता हो और उसपर भी लानत है, जो बिलाउज्र सत्र दिखलाता हो।”
[बैहकी फी शोअबिल ईमान : ७५३८]
आख़िरत के बारे में:
कयामत के दिन बदला
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जब हम उन लोगों को उस दिन जमा करेंगे, जिस के आने में कोई शक नहीं और हर एक आदमी को उस के आमाल का पूरा पूरा बदला दिया जाएगा और उन पर कोई जुल्म नहीं किया जाएगा।”
तिब्बे नबवी से इलाज:
बुखार का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बुखार जहन्नम के असर के फैलाव का नतीजा है, लिहाजा उसे पानी से बुझाओ।”
फायदा: पानी में तर किए हुए कपड़े को निचोड़ कर बदन को पोछना या पेशानी पर तर की हुई पट्टी को रखना बुखार में मुफीद है।
[बुखारी : ५७२३, अन इब्ने उमर (र.अ)]
कुरआन की नसीहत:
नेक और अच्छे काम न करने की कसमें मत खाओ
“नेकी और परहेज़गारी इख्तियार करने और लोगों के दर्मियान सुलह कराने में अल्लाह को अपनी कस्मों में आड मत बनाया करो। (यानी नेक और अच्छे काम न करने की कसम मत खाओ) बेशक अल्लाह तआला सुनने वाला और जानने वाला है।”
[ सूरह बकराह २४२ ]
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