26 अप्रैल 2024

आज का सबक

सिर्फ पांच मिनिट का मदरसा क़ुरआन व सुन्नत की रौशनी में
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1. इस्लामी तारीख

हारूत व मारूत

हारूत व मारूत

क़दीम ज़माने में शहरे बाबुल (Babylon) में रहने वाले यहुदियों के दर्मियान जादू बहुत ज़्यादा आम हो गया था वह लोग जादू के ज़रिये अजीब व ग़रीब कमालात दिखाते थे यहाँ तक कि बाज़ लोग जादू के ज़ोर पर नुबुव्वत का दावा करने लगते थे।

अल्लाह तआला ने बाबुल शहर में हारूत व मारूत नामी फरिश्तों को भेजा ताकि लोगों को जादू की हक़ीक़त से आगाह कर सकें। चुनाचें लोग इबरत हासिल करने के बजाए दुनिया कमाने और दुसरों को नुक़सान पहुँचाने के लिये उन से जादू सीखने आते थे हलाकि दोनों फरिश्ते जादू सिखाने से पहले यह बता देते थे के हमें तुम्हारी आज़माइश के लिये भेजा गया है।

लिहाज़ा तुम जादू के ज़रिये नाजाइज़  और हराम काम मत करो इससे तुम्हारे क़ुफ्र में मुब्तिला हो जाने का अन्देशा है लेकिन उन लोगों ने नहीं माना और उनसे जादू सीख कर कुफ्र व शिर्क में मुब्तिला हो गए और अपनी दुनिया और आख़िरत को बर्बाद कर डाला।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत/मोजज़ा

दाँतों की बनावट में अल्लाह की क़ुदरत

दाँतों की बनावट पर गौर कीजिये के अल्लाह तआला ने ३२ टुकड़ों को कैसी हसीन व खूबसूरत लड़ी में पिरोया है और उस की जड़ों को नर्म हड्डी में किस खूबी के साथ पेवस्त किया है, यह दाँत एक तरफ जहाँ चेहरे की हुस्न व जीनत हैं।

वहीं उन से हम चबाने, काटने, पीसने और तोड़ने का अहम काम भी कर लेते हैं और अल्लाह की अजीब कुदरत के उन को बत्तीस टुकड़ों में बनाया, एक ही सालिम हड्डी में उन को नहीं ढाला, वरना मुंह में बड़ी तकलीफ होती, इसी तरह अगर एक दाँत में कोई खराबी होती है, तो बाकी दाँतों से काम लिया जा सकता है, एक सालिम हड्डी होने की सूरत में यह मुमकिन न था।

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“खुद तुम्हारी ज़ात में भी (अल्लाह की कुदरत की) निशानियाँ हैं, तो क्या तुम देखते नहीं हो?” [ सूरह जारियात : २१ ]

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

गुस्ल के लिये तययम्मुम करना

क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है –

“अगर तुम बीमार हो जाओ या सफर में हो या तुम में से कोई शख्स अपनी तबई ज़रूरत (यानी पेशाब पाखाना कर के) आया हो या अपनी बीवी से मिला हो और तुम पानी (के इस्तेमाल की) ताकत न रखते हो, तो ऐसी हालत में तुम पाक मिट्टी का इरादा करो। (यानी तयम्मुम कर लो)।”

📕 सूरह मायदा 5:6

फायदा : अगर किसी पर गुस्ल करना फ़र्ज़ हो जाए और पानी इस्तेमाल करने की ताकत न रखे, तो ऐसी सुरत में गुस्ल के लिए तयम्मुम कर के नमाज पढ़ना फ़र्ज़ है और तयम्मुम का तरीका यह है के दोनो हाथों को जमीन पर मार कर चेहरे पर मसह कर लें फिर जमीन पर मारें और दोनों हाथों पर कोहनियों समेत मसह कर लें।

4. एक सुन्नत के बारे में

इत्र लगाना

हजरते आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के
रसूलुल्लाह इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फ़रमाया :

“हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबु लगाया करते थे।”

📕 निसाई: ५११९

5. एक अहेम अमल की फजीलत

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

खाना खिलाने की फ़ज़ीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया :

“जिस ने किसी मोमिन को खाना खिलाया और उसको सैराब कर दीया तो
अल्लाह तआला एक खास दरवाजे से उस को जन्नत में
दाखिल फ़रमाएगा जिस में उस के जैसा अमल करने वाला ही दाखिल होगा।”

📕 तबरानी कबीर : १६५८९

6. एक गुनाह के बारे में

मेहर अदा ना करने का गुनाह

रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जिस आदमी ने किसी औरत से मेहर के बदले निकाह किया और उस का महेर अदा करने का इरादा न हो, तो वह जानी (जीना करने) के हुक्म में है और जिस आदमी ने किसी से क़र्ज़ लिया। फिर उस का क़र्ज़ अदा करने की निय्यत न हो, तो वह चोर के हुक्म में है।”

📕 तरग़ीब २६०२, अन अबी हुरैरह (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

कामयाब कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ)ने इर्शाद फ़र्माया :

“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”

📕 मुस्लिम: २४२६

8. आख़िरत के बारे में

सबसे पहले जिन्दा होने वाले

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हम दुनिया में सबसे आखिर में आए हैं, लेकिन कल हश्र (यानी आखिरत में जब सब को जमा किया जाएगा) तो हम सबसे पहले जिन्दा किये जाएँगे।”

📕 बुखारी : ८७६

9. तिब्बे नबवी से इलाज

आधी धुप और आधी छाँव में न बैठे

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ऐसी जगह बैठने से मना फरमाया है के जहाँ बदन का कुछ हिस्सा साए में हो और कुछ हिस्सा धूप में हो।

📕 इब्ने माजा: ३७२२

वजाहत: तिब्बी एतेबार से एक साथ धूप और साए में बैठना सेहत के लिये मुजिर है।

10. क़ुरआन व सुन्नत की नसीहत

जूं पड़ने का इलाज तिब्बे नबवी से

एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गजवे के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेश्मी कमीस पहनने की इजाजत दी।

फायदा: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप (ﷺ) ने उस मौके पर रेश्मी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, जरूरत की वजह से तजवीज़ करे तो गुन्जाइश है। अगरचे रेशमी कपडे आम तौर पे मर्दो पर हराम है (सुनन निसाई ५१४८/१०९)

📕 बुखारी : २९२०

और देखे :