14. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

सीरत - अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.), क़ज़ा नमाजों की अदायगी, गुनाहों से बचने की दुआ, मस्जिद की सफाई का इन्आम,
14 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

14. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 

14 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

अल्लामा अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)

छटी सदी हिजरी में अब्दुर्रहमान बिन जौज़ी (रह.)
एक बहुत बड़े मुहद्दिस,
मोअरिंख, मुसन्निफ और खतीब गुजरे हैं। 

सन ५०८ हिजरी में बगदाद में पैदा हुए,
बचपन में बाप का साया सर से उठ गया।

और जब पढ़ने के काबिल हुए
तो माँ ने मशहूर मुहदिस इब्ने नासिर (रह.) के
हवाले कर दिया और आप ने बड़ी मेहनत और
शौक के साथ अपना तालीमी सफ़र शुरु किया।

वह खुद फ़र्माते हैं के मैं छे साल की उम्र में
मकतब में दाखिल हआ,
बड़ी उम्र के तलबा मेरे हम सबक थे।
मुझे याद नहीं के मैं कभी रास्ते में
बच्चों के साथ खेला हूँ या ज़ोर से हंसा हूँ। 

आपको मुताले का बड़ा गहरा शौक था,
वह खुद बयान करते हैं के जब कोई
नई किताब पर मेरी नज़र पड़ जाती तो
ऐसा मालूम होता के कोई खज़ाना हाथ आ गया। 

आपकी वफात सन ५९७ हिजरी में बगदाद में हुई।

[ इस्लामी तारीख ]

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2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

बेहोशी से शिफ़ा पाना

हज़रत जाबिर (र.अ) फ़र्माते हैं के एक मर्तबा
मैं सख्त बीमार हुआ, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) और
हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ)
दोनों हज़रात मेरी इयादत को तशरीफ़ लाए।

यहां पहुँच कर देखा के मैं बेहोश हूँ तो आप (ﷺ) ने
पानी मंगवाया और उससे वुजू किया

और फिर बाकी पानी मुझपर छिड़का, जिससे मुझे
इफ़ाका हुआ और मैं अच्छा हो गया।

[ मुस्लिम: ४१४७, जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ) ]

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3. एक फर्ज के बारे में

क़ज़ा नमाजों की अदायगी

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो कोई नमाज पढ़ना भूल गया या नमाज के वक्त
सोता रह गया, तो (उसका कफ्फारा यह है के)
जब याद आए उसी वक्त पढ़ ले।”

[ तिर्मिज़ी: १७७ ]

फायदा: अगर किसी शख्स की नमाज किसी उज्र की
वजह से छूट जाए या सोने की हालत में
नमाज़ का वक़्त गुज़र जाए,
तो बाद में उसको पढ़ना फर्ज है।

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4. एक सुन्नत के बारे में

गुनाहों से बचने की दुआ

गुनाहों से बचने के लिए यह दुआ पढ़े:

“ऐ अल्लाह ! जबतक मैं जिंदा रहूँ
मुझे गुनाहों से बचने की तौफीक अता फर्मा।”

[ तिर्मिज़ी : ३५७०, इब्ने अब्बास (र.अ) ]

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5. एक अहेम अमल की फजीलत

मस्जिद की सफाई का इन्आम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“जो शख्स मस्जिद का कूड़ा करकट साफ़ करेगा,
अल्लाह तआला उस का घर जन्नत में बनायेगा।”

[ इब्ने माजा:७५७, अबी सईद (र.अ) ]

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6. एक गुनाह के बारे में

कुफ्र की सज़ा जहन्नम है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“जो लोग कुफ्र करते हैं तो अल्लाह तआला के
मुकाबले में उन का माल और
उन की औलाद कुछ काम नहीं आएगी
और ऐसे लोग ही जहन्नम का इंधन होंगे।”

[ सूरह आले इमरान : १० ]

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7. दुनिया के बारे में

माल व औलाद दुनिया के लिए ज़ीनत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“माल और औलाद यह सिर्फ दुनिया की जिंदगी की
एक रौनक है और (जो) नेक आमाल हमेशा
बाकी रहने वाले हैं,
वह आप के रब के नज़दीक सवाब और
बदले के एतेबार से भी बेहतर हैं और उम्मीद के
एतेबार से भी बेहतर हैं।”

[ सूरह कहफ: १८:४६ ]

(लिहाज़ा नेक अमल करने की पूरी कोशिश करनी चाहिए
और उस पर मिलने वाले बदले की उम्मीद रखनी चाहिए।)

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8. आख़िरत के बारे में

कब्र की पुकार

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“कब्र रोज़ाना पुकार कर कहती है, मैं तन्हाई का घर हूँ,
मैं मिट्टी का घर हूँ, मैं कीड़े मकोड़े का घर हूँ।”

[ तिर्मिज़ी : २४६०, सईद खुदरी (र.अ) ]

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9. तिब्बे नबवी से इलाज

बड़ी बीमारियों से हिफ़ाज़त

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त
शहद को चाटेगा तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”

[ इब्ने माजा: ३४५०, अबी हुरैरह (र.अ) ]

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10. नबी (ﷺ) की नसीहत

जन्नत में दाखिल करने वाले आमाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह तआला की इबादत करते रहो,
खाना खिलाते रहो और सलाम फैलाते रहो,
(इन आमाल की वजह से जन्नत में सलामती के साथ
दाखिल हो जाओगे।”

[ तिर्मिज़ी : १८५५, अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) ]

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