9. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
9 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
अल्लाह की कुदरत:
च्यूँटी अल्लाह की कुदरत का नमूना है
च्यूटी भी अल्लाह की अजीब मखलूक है। इतने छोटे से जान्वर में अल्लाह तआला ने आँख नाक कान दिल व दिमाग हाथ पैर कितनी कारीगरी से बनाए। फिर इन को सोचने, समझने और सूंघने की बेपनाह सलाहियतों से नवाज़ा। वह एक मील की दूरी से मीठी चीज़ों का सूंघ कर पता लगा लेती है। च्यंटियों की सरदार को जब कोई चीज़ मिलती है, तो वह अपने मातहत तमाम च्यंटियो को बुलाती है।।और वह उस चीज़ को उठा कर अपने बिलों में ले जाती हैं।
अगर किसी दाने के जमने का खतरा महसूस करती हैं, तो उस के टुकड़े कर देती हैं और गर्मी के मौसम में सर्दी के लिए और इसी तरह बरसात का मौसम आने से पहले ही ज़खीरा जमा कर लेती हैं, बगैर किसी मशीन व आला के गर्मी और बरसात के मौसम की खबर उन्हें किस ने दी? इतनी छोटी सी मखलूक को ऐसे ऐसे हनर सिखा देना अल्लाह की कुदरत का करिश्मा है।
📕 अल्लाह की कुदरत
एक फर्ज के बारे में:
नमाज के लिये मस्जिद जाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“तुम में से जो शख्स अच्छी तरह मुकम्मल तौर पर वजू करता है, फिर सिर्फ नमाज़ ही के इरादे से मस्जिद में आता है, तो अल्लाह तआला उस बन्दे से ऐसे खुश होता हैं जैसे के किसी दूर गए हए रिश्तेदार के अचानक आने से उसके घर वाले खश होते हैं।”
📕 इब्ने खुजैमा : १४११. अबू हरैराह (र.अ)
एक सुन्नत के बारे में:
कुर्ते का इस्तेमाल करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को कपड़ों में कमिस बहुत पसंद थी।
एक अहेम अमल की फजीलत:
हर नमाज के बाद तस्बीह फातिमी अदा करना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो हर फ़र्ज नमाज़ के बाद ३३ मर्तबा “सुभानअल्लाह” ३३ मर्तबा “अलहम्दुलिल्लाह” और ३४ मर्तबा “अल्लाहु अकबर” कहता है, वह कभी नुकसान में नहीं रहता।”
एक गुनाह के बारे में:
औरतों का खुशबु लगाकर बाहर निकलने का गुनाह
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो औरत इत्र लगा कर लोगों के पास से गुजरे, ताके लोग उस की खुश्बू महसूस करें, तो वह ज़ानिया है और हर (देखने वाली) आँख जिनाकार होगी।”
📕 तिर्मिज़ी : २७८६, अबी मूसा (र.अ)
दुनिया के बारे में:
दुनिया में खुद को मशगूल न करो
रसुलअल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“तुम में से कयामत के दिन मुझ से ज़ियादा करीब वह शख्स होगा, जो दुनिया से उसी तरह निकल आए, जिस तरह में छोड़ कर जा रहा हूँ; अल्लाह की कसम ! मेरे सिवा तुम में से हर एक दुनिया की किसी न किसी चीज़ में फंसा हुआ है ।”
आख़िरत के बारे में:
जन्नत का मौसम
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उन (अहले ईमान) के सब्र के बदले में (उन्हें) जन्नत और रेशमी लिबास अता किया जाएगा, उन की यह हालत होगी के जन्नत में मसेहरियों पर तकिये लगाए बैठे होंगे, वहाँ उन्हें न गर्मी का एहसास होगा और न वह सर्दी महसूस करेंगे।”
तिब्बे नबवी से इलाज:
नजर लगने से हिफाजत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स ने कोई ऐसी चीज़ देखी जो उसे पसंद आ गई, फ़िर उस ने (माशा अल्लाह ! व लाहौल वला क़ूवता इल्लाह बिल्लाही) कह लिया, तो उस की नज़र से कोई नुक्सान नहीं पहुंचेगा।”
📕 कंजुल उम्मुल : १७६६६, अनस (र.अ)
कुरआन की नसीहत:
नबी (ﷺ) की इताअत की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(ऐ नबी (ﷺ) ) आप कह दीजिए के अगर तुम अल्लाह तआला से मोहब्बत रखते हो, तो तुम लोग मेरी पैरवी करो. अल्लाह भी तुम से मुहब्बत करेगा और तुम्हारे गुनाहों को बख्श देगा।”
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