8. मुहर्रम | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
8 Muharram | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
{tocify} $title={Table of Contents}
इस्लामी तारीख
हजरत शीस (अ.)
हाबील के कत्ल के बाद अल्लाह तआला ने हज़रत आदम (अ.) को हजरत शीस जैसा नेक फ़रजन्द अता फर्माया। वह हज़रत आदम के सच्चे जानशीन हुए और आगे चल कर पूरी नस्ले इन्सानी का सिलसिला इन्हीं से चला।
----- ---- ✦ ---- -----
हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा:
बैतुल मुक़द्दिस के बारे में खबर देना
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) मेराज से वापस आए और कुफ्फारे मक्का को बताया के मैं रात को बैतुल मक़दिस गया और फिर वहाँ से सातों आस्मानों पर गया और वहाँ की सैर की, तो कुफ्फार ने इस बात का इंकार कर दिया और बैतुलमक़दिस के बारे में सवाल करने लगे।
अल्लाह तआला ने अपने रसूल (ﷺ) के लिये बैतुल मुक़द्दिस तक के सारे पर्दे हटा दिये यहाँ तक के हुजूर (ﷺ) उस की तरफ देखते जाते और उस की निशानियाँ बतलाते जाते।
📕 मुस्लिम: ४२८
----- ---- ✦ ---- -----
एक सुन्नत के बारे में:
तक्बीरे तहरीमा के बाद की दुआ
जब नमाज के लिये तक्बीरे तहरीमा (अल्लाहुअक्बर) कह कर हाथ बाँधे तो यह दुआ पढ़े
“ سُبْحَانَكَ اللَّهُمَّ وَبِحَمْدِكَ وَتَبَارَكَ اسْمُكَ وَتَعَالَى جَدُّكَ وَلاَ إِلَهَ غَيْرُكَ ”
तर्जुमा: ऐ अल्लाह! हम तेरी पाकी बयान करते हैं और तेरी तारीफ करते हैं तेरा नाम बरकत वाला और तेरी शान बड़ी बुलन्द है और तेरे सिवा कोई माबूद नहीं।
📕 अबू दाऊद: ७७६
----- ---- ✦ ---- -----
एक अहेम अमल की फजीलत:
आशुरा मुहर्रम का रोज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“रोज़ा रखने में किसी दिन को किसी दिन पर कोई फजीलत नहीं,
मगर माहे रमज़ान को और आशूरा के दिन को”
(यानी इन दोनों को दूसरे दिनों पर फजीलत हासिल है।
अशुरा का रोज़ा ९ और १० मुहर्रम या १० और ११ मुहर्रम को रखा जाये)
📕 तबरानी कबीर:१९०९९
----- ---- ✦ ---- -----
एक गुनाह के बारे में:
जान बूझ कर क़त्ल करना
“जो शख्स किसी मुसलमान को जान बूझ कर कत्ल कर दे, तो उस की सज़ा जहन्नम है, वह उस में हमेशा हमेशा रहेगा और अल्लाह तआला का गुस्सा और उस की लानत उसपर होगी और अल्लाह तआला ने ऐसे शख्स के लिये बड़ा अज़ाब तय्यार कर रखा है।”
----- ---- ✦ ---- -----
दुनिया के बारे में:
दुनियावी ज़िन्दगी पर खुश न होना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“अल्लाह तआला जिसको चाहता है बेहिसाब रिज्क देता है और जिस को चाहता है तंगी करता है और यह लोग दुनिया की जिन्दगी पर खुश होते हैं (और उसके ऐश व इशरत पर इतराते हैं। हालां के आखिरत के मुकाबले में दुनिया की जिन्दगी एक थोड़ा सा सामान है।)”
----- ---- ✦ ---- -----
आख़िरत के बारे में:
सबसे पहला सवाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“क़यामत के दिन बन्दे से सब से पहले यह हिसाब लिया जाएगा के ?
क्या मैंने तेरे जिस्म को सेहत नही बख्शी थी और तुझे ठंडे पानी से सैराब नहीं किया था।”
📕 तिर्मिजी : ३३५८ – सहीह
----- ---- ✦ ---- -----
तिब्बे नबवी से इलाज
बड़ी बीमारियों से हिफाज़त
“जो शख्स हर महीने तीन दिन सुबह के वक्त शहद चाटेगा
तो उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं होगी।”
📕 इब्ने माजा: ३४५०
----- ---- ✦ ---- -----
नबी (ﷺ) की नसीहत:
किसी की कमजोरियों की तलाश में न रहो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“तुम किसी की कमजोरियों की तलाश में न रहा करो
और जासूसों की तरह किसी के ऐब मालूम करने की कोशिश भी न करो।”
📕 बुखारी: ६०६४
{getButton} $text={« PRE} $color={#27ae60} {getButton} $text={List ≡} $color={#27ae60} {getButton} $text={NEXT »} $color ={#27ae60}