1. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

बैतुल्लाह की तामीर, सूरज अल्लाह की निशानी, इस्लाम की बुनियाद, एहराम के लिये गुस्ल करना, हज व उमरह एक साथ करना, झूटी कसम खा कर माल बेचना, दुनिया अमल की

1. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

1. Zil-Qada | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

बैतुल्लाह की तामीर

अल्लाह तआला ने इन्सानों की पैदाइश से हज़ारों साल पहेले फ़रिश्तों के ज़रिए बैतुल्लाह (खाना-ऐ-काबा) तामीर कराई, यह रूए ज़मीन पर पहेला बाबरकत घर और दुनिया वालों के लिए अमन व सुकून की जगह है, फिर हज़रत आदम अलैहि सलाम ने दुनिया में आने के बाद बैतुल्लाह की तामीर फ़रमाई, बाज़ रिवायतों के मुताबिक तूफाने नूह (अ०) के मौके पर अल्लाह तआला ने हिफाज़त के लिए इस घर को आस्मान पर उठा लिया था, फिर अल्लाह के हुक्म से हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम व इस्माईल अलैहि सलाम ने इस की तामीर फ़रमाई और फ़रिश्ते जिब्रीले अमीन जन्नत से एक कीमती पत्थर ले कर आए जिस को बैतुल्लाह के कोने में लगाया गया और दूसरा वह जन्नती पत्थर है जिस पर हज़रत इब्राहीम अलैहि सलाम खड़े हो कर बैतुल्लाह की तामीर करते थे, मुअजिज़ाना तौर पर यह पत्थर काबा की दीवारों के साथ बलंद हो जाता था। यह मकामे इब्राहीम के नाम से मशहूर है।

जब तवील ज़माना गुजरने की वजह से काबा की दीवारें कमज़ोर पड़ गयीं, तो हुजूर (ﷺ) की नुबुब्बत से पहले कुरैशे मक्का ने हतीम का हिस्सा छोड़ कर और बैतुल्लाह का पिछला दरवाजा बंद कर के इसास्त को मुरब्बा (चौकोर) अंदाज़ में बनाया। गर्ज़ तामीरे बैतूल्लाह के साथ तमाम हज व उमरह करने वालों के लिए अल्लाह तआला ने इस का तवाफ़ फ़र्ज़ कर दिया है और इसी घर को तमाम मुसलमानों की इबादत का मरकज़ और क़िब्ला करार दे दिया है।

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत

सूरज अल्लाह की निशानी

अल्लाह तआला ने सूरज बनाया, जिसे हम आग का एक दहेकता हुआ गोला समझते हैं, जिस से हमें रोशनी और गर्मी हासिल होती है यह हज़ारों साल से इसी तरह दहेक रहा है, रोज़ाना पूरब से निकलता और पच्छिम में जा कर छुप जाता है। अब हम गौर करें के इस दहेकते हुए सुरज को ईंधन कौन देता है? कौन है जो इस के लिए पेट्रोल या गैस या लकड़ी का इंतेज़ाम करता है? जिस से वह हज़ारों साल से इसी तरह दहेक रहा है,

और फिर इतना ज़्यादा इंधन कहां से आ रहा है, जिस के जलने से सारी दुनिया को रोशनी और गर्मी मिल रही है? और कौन है, जो एक मुकर्ररह वक्त पर इस को हमारे लिए निकालता है और एक मुकर्ररह वक्त पर छुपा देता है ?

यक़ीनन वह ज़ात अल्लाह की है, जिस ने हम को और हर चीज़ को पैदा किया।

3. एक फर्ज के बारे में

इस्लाम की बुनियाद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : इस्लाम की बुनियाद पांच चीज़ों पर है :

(१) इस बात की गवाही देना के अल्लाह के अलावा कोई माबूद नहीं और मोहम्मद (ﷺ) अल्लाह के रसूल है। (२) नमाज़ अदा करना। (३) ज़कात देना। (४) हज करना। (५) रमज़ान के रोजे रखना।

📕 बुखारी: ८, अन इने उमर (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

एहराम के लिये गुस्ल करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने जब एहराम का इरादा किया तो गुस्ल किया।

📕 मुअजमुलकबीर लि तबरानी : ४७२९, अन जैद बिन साबित (र.अ)

5. एक अहेम अमल की फजीलत

हज व उमरह एक साथ करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

 “हज और उमरह को एक साथ किया करो इस लिए के वह दोनों फक्र और गुनाहों को खत्म कर देते हैं, जैसा के भट्टी लोहे और सोने चांदी के मैल को खत्म कर देती है और हज्जे मबरूर (मक़बूल) का बदला तो सिर्फ जन्नत ही है।”

📕 तिर्मिज़ी: ८१०, अन इब्ने मसूद (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

झूटी कसम खा कर माल बेचना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जो शख्स झूटी कसम खा कर माल फरोख्त करता है, कयामत में अल्लाह तआला उस की तरफ़ रहमत की नज़र से नहीं देखेगा।”

📕 बुखारी: २३६९, अन अबी हुरैरह (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

दुनिया अमल की जगह है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“हर ऐसे शख्स के लिए बड़ी खराबी है, जो ऐब लगाने वाला और ताना देने वाला हो, जो माल जमा करता हो और उस को गिन गिन कर रखता हो। वह ख्याल करता है के उस का माल हमेशा उस के पास रहेगा, हरगिज़ ऐसा नहीं है, (जबकि) उस को रौंदने वाली आग में फेंका जाएगा।”

📕 सूर-ए-हुमजह: १ ता४

8. आख़िरत के बारे में

जन्नती का दिल पाक व साफ होगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“हम उन अहले जन्नत के दिलों से रंजिश व कुदरत को बाहर निकाल देंगे और उन के नीचे नहरें बह रही होंगी और वह कहेंगे के अल्लाह का शुक्र है, जिस ने हम को इस मकाम तक पहुँचाया और अगर अल्लाह हम को न पहुँचाता, तो हमारी कभी यहां तक रसाई न होती।”

📕 सूर-ए-आराफ: ४३

9. तिब्बे नबवी से इलाज

इलाज करने वालों के लिये अहम हिदायत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“अगर किसी ने बगैर इल्म और तजुर्बे के इलाज किया तो कयामत के दिन उस के बारे में पूछा जाएगा।”

📕 अबू दाऊद: ४५८६, अन अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

10. कुरआन की नसीहत

वसिय्यत के लिए दो इंसाफ पसंद लोग गवाह हो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो ! जब तुम में से किसी को मौत आने लगे, तो वसिय्यत के वक्त शहादत के लिए तुम में से दो इन्साफ़ पसंद आदमी गवाह होने चाहिए या तुम्हारे अलावा दुसरी क़ौम के लोग भी गवाह बन सकते हैं अगर मुसलमान न मिले।”

📕 सूर-ए-मायदा : १०६

Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book)

₹359 Only

एक टिप्पणी भेजें

© Hindi | Ummat-e-Nabi.com. All rights reserved. Distributed by ASThemesWorld