पोस्ट 01 : अल्लाह की रह़मत समझाने के लिए मां की रह़मत की त़रफ़ इशारा करना
उमर बिन ख़त्ताब रजिअल्लाहु अ़न्हु फ़रमाते हैं कि वो
अल्लाह के नबी ﷺ के पास कुछ क़ैदी ले कर आए । उन कैदियों में एक औ़रत भी थी जो (अपने) बच्चे को तलाश कर रही थी । जब उसे कोई बच्चा मिलता उसे अपने सीने से लगा लेती और दूध पिलाती । ये मंज़र देख कर अल्लाह के नबी ﷺ ने फ़रमाया: इस औ़रत के बारे में तुम्हारा क्या ख़्याल है, क्या ये अपने बच्चे को आग में फैंक सकती है ? हम ने अ़र्ज़ किया: अल्लाह की क़सम, उस का बस चले तो वो कभी ऐसा ना होने दगी । अल्लाह के रसूल ﷺ ने फ़रमाया: वल्लाह, इस औ़रत को अपने बच्चे पर जितना रह़म है उस से कहीं ज़ियादा अल्लाह अपने बंदों पर रह़ीम है ।
(बुख़ारी अल अ़दब 5999, मुस्लिम: अत्तौबा 4947)
- J,Salafy