17. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
17. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
उम्मुल मोमिनीन हज़रत जैनब बिन्ते जहश (र.अ)
हजरत जैनब हज़रत अब्दुल्लाह बिन जहश की बहन और हुजूर (ﷺ) की फूफीजाद बहन थीं। उन्होंने शुरू ही में इस्लाम कबूल कर लिया था। आप (ﷺ) ने उन का निकाह अपने मुंह बोले बेटे जैद बिन हारिसा से कर दिया था। मगर दोनों में खुशगवार तअल्लुक़ात कायम न रह सके। इस लिये हज़रत जैद (र.अ) ने उन्हें तलाक दे दी।
हज़रत जैनब बिन्ते जहश के हक में कई आयतें नाजिल हुईं। जिनमें हुजूर (ﷺ) से निकाह कर देने की खबर दी गई, ज़मान-ए-जाहिलियत में अपने मुंह बोले बेटे की बीवी से शादी करने को नाजाइज़ समझते थे। इसी लिये अल्लाह तआला ने इस जाहिली रस्म को आप (ﷺ) ही के जरिये खत्म करवाया और पर्दे की आयतें भी उन के सबब नाजिल हुई।
हज़रत जैनब बिन्ते जहश दस्तकारी के फ़न से वाकिफ थीं, यह अपने हाथ के फ़न से रोज़ी कमा कर मदीने के गरीबों में तकसीम कर दिया करती थीं। हज़रत आयशा (र.अ) फ़र्माती हैं के मैंने जैनब (र.अ) से ज़ियादा परहेजगार, सच बोलने वाली, सखावत करने वाली और अल्लाह की रज़ा तलब करने वाली किसी औरत को नहीं देखा। उन से कई हदीसें मन्कूल हैं।
उन्होंने ५३ साल की उम्र पा कर सन २० हिजरी में वफ़ात पाई और जन्नतूल बक़ी में दफन हुईं।
2. अल्लाह की कुदरत
दांत अल्लाह की नेअमत
जब बच्चा पैदा होता है तो उस के मुँह में दांत नहीं होते, इस लिए के उसे सिर्फ़ माँ का दूध पीना है। बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है, उस को दूध के अलावा दूसरी नर्म चीजें दी जाती हैं, उस वक्त अल्लाह तआला उस बच्चे को छोटे छोटे दांत देता हैं।
जब बच्चा सात-आठ साल का होता है, तो उसकी खोराक भी बढ़ जाती है और वह सख्त चीजें भी खाने लगता है, उस वक्त अल्लाह तआला वह छोटे छोटे दांत गिरा कर दूसरे नए दाँत देता हैं, जो पहले दाँतों से मजबूत और बड़े होते हैं। इन के जरिए इन्सान के चबाने की सलाहियत बढ़ जाती है।
अल्लाह की कुदरत पर जरा गौर करें तो पता चलता है के इन्सान की जरूरियात के लिए अल्लाह तआला ने अपनी कुदरत से कैसा अच्छा इन्तज़ाम किया है।
3. एक फर्ज के बारे में
मय्यत का कर्ज अदा करना
हज़रत अली (र.अ) फर्माते हैं के:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कर्ज को वसिय्यत से पहले अदा करवाया, हांलाके तूम लोग (क़ुरआने पाक में) वसिय्यत का तजकिरा कर्ज से पहले पढते हो।”
वजाहत: अगर किसी शख्स ने कर्ज लिया और उसे अदा करने से पहले इन्तेकाल कर गया, तो कफ़न व दफ़्न के बाद माले वरासत में से सबसे पहले कर्ज अदा करना जरूरी है, चाहे सारा माल उस का अदायगी में खत्म हो जाए।
4. एक सुन्नत के बारे में
इशा के बाद जल्दी सोना
“रसूलअल्लाह (ﷺ) इशा से पहले नहीं सोते थे और ईशा के बाद नहीं जागते थे (बल्के सो जाते थे)।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बेहतरीन सदका
रसूलुल्लाह (ﷺ) से सवाल किया गया: कौन सा सदका अफ़ज़ल है?
आप (ﷺ) ने फ़र्माया: (अफजल सदका यह है के) “तू उस वक्त सदका करे, जब सेहतमंद हो और माल की ख़्वाहिश हो। और मालदारी की उम्मीद रखता हो और फ़क्र व फ़ाका से डरता हो।”
6. एक गुनाह के बारे में
अपने इल्म पर अमल न करने का वबाल
रसलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“कयामत के दिन सबसे ज़ियादा सख्त अजाब उस आलिम को होगा, जिसको उसके इल्मे दीन ने नफ़ा नहीं पहुँचाया।”
📕 तिबरानि सगीर : ५०८, अन अबी हुररह (र.अ)
वजाहत: जिस आदमी को शरीअत के बारे में जितना भी इल्म हो, उस के मुताबिक अमल करना जरूरी। अपनी जानकारी के मुताबिक अमल न करने पर सख्त अज़ाब की वईद सुनाई गई है।
7. दुनिया के बारे में
दुनिया से बचो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सुनो! दुनिया मीठी और हरी भरी है और अल्लाह तआला जरूर तुम्हें इस की खिलाफ़त अता फरमाएगा, ताके देखें के तुम कैसे आमाल करते हो, पस तुम दुनिया से और औरतों (के फ़ितने) से बचो।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नत की नेअमतें
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“(मुकर्रब बन्दों के लिए जन्नत में) ऐसे मेवे होंगे, जिनको वह पसंद करेंगे और परिंदों का ऐसा गोश्त होगा, जिसकी वह ख्वाहिश करेगा और उनके लिए बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरें होंगी, जैसे हिफाजत से रखा हुआ पोशीदा मोती हो। यह सब उन के आमाल का बदला होगा और वहाँ कभी वह बेहूदा और बुरी बात नहीं सूनेंगे, हर तरफ़ से सलाम ही सलाम की आवाज़ आएगी।”
9. कुरआन की नसीहत
सिराते मुस्तकीम पर चलने की अहमियत
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम सुबह व शाम अपने रब को अपने दिल में गिड़गिड़ा कर, डरते हुए और दर्मियानी आवाज के साथ याद किया करो और ग़ाफिलों में से मत हो जाओ।”
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