18. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
18. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
उम्मुल मोमिनीन हज़रत जुवैरिया बिन्ते हारिस (र.अ)
हजरत जुवैरिया बिन्ते हारिस (र.अ) का तअल्लुक़ उम्मे खुजाआ के खान्दान मुस्तलिक से है। ग़ज़व-ए-बनी मुस्तलिक के कैदियों में जुवैरिया भी थीं। जो तक़सीम में हज़रत साबित बिन कैस (र.अ) के हिस्से में आई। यह अपने कबीले की शहज़ादी और रईस की बेटी थीं। इस लिये बाँदी बन कर रहना गवारा न किया।
उन्होंने हजरत साबित बिन कैस (र.अ) से आजाद होने की रकम मतअय्यन कर के मुआहदा कर लिया और माली मदद के लिये हुजूर (ﷺ) की खिदमत में हाज़िर हुईं। तो आपने (ﷺ) फर्माया : क्या मैं तुमसे अच्छा सुलूक न करूँ, तो हज़रत जुवैरिया (र.अ) ने फर्माया वह क्या है? आपने फ़रमाया : “मैं तुम्हारी तरफ़ से रकम अदा कर देता हूँ और तुम से निकाह कर लेता हूँ।”
हजरत जुवैरिया (र.अ) राज़ी हो गईं। जब सहाब-ए-किराम (र.अ) को इस बात का इल्म हुआ के इस खान्दान से रसूलुल्लाह (ﷺ) का सुसराली रिश्ता कायम हो गया है। तो सहाब-ए-किराम ने एहतेराम की वजह से तक़रीबन ६०० कैदियों को आजाद कर दिया। इस हुस्ने सुलूक की वजह से उन के वालिद हारिस और पूरी क़ौम ने इस्लाम कबूल कर लिया। इसी लिये हज़रत आयशा (र.अ) फ़र्माती थीं के “मैंने किसी औरत को जुवैरिया (र.अ) से बढ़ कर अपनी क़ौम के हक़ में मुबारक नहीं देखा। वह बड़ी इबादत गुज़ार, देर तक दुआ में मसरूफ रहने और नफ़ली रोजे रखने वाली ख़ातून थीं।”
उन्होंने सन ५६ हिजरी में वफ़ात पाई, मदीने के गवरनर मरवान बिन हकम ने नमाजे जनाज़ा पढ़ाई और जन्नतुल बक़ी में दफ़न की गई।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
जख्मी हाथ का अच्छा हो जाना
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) खाना खा रहे थे, इतने में हज़रत जरहद (र.अ) अस्लमी हाज़िरे खिदमत हुए, हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया : ‘खाना खा लीजिए,’ हज़रत जरहद के दाहने हाथ में कुछ तक्लीफ़ थी, लिहाजा उन्हों ने अपना बायाँ हाथ बढ़ाया, तो रसुलल्लाहने (ﷺ) फ़र्माया : ‘दाहने हाथ से खाओ’, हज़रत जरहद (र.अ) ने फ़रमाया: इस में तकलीफ़ है तो हुजर (ﷺ) ने उन के हाथ पर फूंक मार दी, तो वह ऐसा ठीक हूआ के उन को मौत तक फ़िर वह तकलीफ़ महसूस नहीं हुई।
3. एक फर्ज के बारे में
सामान का ऐब जाहिर करना
एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) गल्ले के ढेर के पास से गुजरे, आप ने अपना मुबारक हाथ उस ढेर के अंदर दाखिल कर दिया, तो आप (ﷺ) की उंगलियों ने गीला पन महसूस किया,
आप ने उस गल्ला बेचने वाले से फ़रमाया:
“(तुम्हारे ढेर के अंदर) यह तरी कैसी है?”
उसने कहा: या रसूलल्लाह ! इस पर बारिश की बूंदें पड़ गई थीं,
आप (ﷺ) ने फ़र्माया :
इस भीगे हुए गल्ले को तुम ने ऊपर क्यों नही रखा, ताकि खरीदने वाले इसको देख सकते? (सुनो) जिसने धोका दिया वह हम में से नहीं।”
📕 मुस्लिम : २८४, अन अबी हुरैरह(र.अ)
वजाहत: जो सामान बेचा जा रहा है ; अगर उस में कोई ऐब हो तो उस को जाहिर कर देना यानि खरीदने वाले को बता देना जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
दुनिया व आखिरत की कामयाबी के लिये दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) कसरत से यह दुआ फरमाते थे:
( اللَّهُمَّ رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ )
• तर्जमा •
ऐ हमारे रब ! हमें दुनिया और आखिरत में
भलाई अता फर्मा और दोजख के अज़ाब से
हमारी हिफाजत फरमा।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मिस्वाक कर के नमाज़ पढ़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“मिस्वाक कर के पढ़ी जाने वाली नमाज, बगैर मिस्वाक किए पढ़ी जाने वाली नमाज से सत्तर गुना अफजल है।”
6. एक गुनाह के बारे में
कुरआन सुनने से रोकना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“यह काफ़िर लोग एक दूसरे से कहते हैं के इस कुरआन को मत सुना करो और उसके दौरान शोर मचाया करो, उम्मीद है के इस तरह तुम गालिब आ जाओगे। उन काफिरों को हम सख्त अजाब का मज़ा चखाएंगे और यकीनन उन को उन बुरे आमाल का बदला दिया जाएगा, जो वह किया करते थे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया के मुकाबले में आखिरत बेहतर है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो लोग परहेजगार हैं, जब उनसे पूछा जाता है के तुम्हारे रब ने क्या चीज नाजिल की है?
तो जवाब में कहते है: बड़ी खैर व बरकत की चीज नाजिल फ़रमाई है।
जिन लोगों ने नेक आमाल किए, उनके लिए इस दुनिया में भी भलाई है और बिलाशुबा आखिरत का घर तो दुनिया के मुकाबले में बहुत ही बेहतर है और वाकई वह परहेज़गार लोगों का बहुत ही अच्छा घर है।”
8. आख़िरत के बारे में
काफ़िर की बदहाली
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कयामत के दिन काफ़िर अपने पसीने में डूब जाएगा, यहाँ तक के वह पुकार उठेगा : ऐ मेरे रब! जहन्नम में डाल कर ही मुझे इस से नजात दे दीजिए।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सफ़रजल से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“सफ़रजल (यानी बही) खाया करो क्योंकि यह दिल को राहत पहुँचाता है।”
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
नमाज़ की संफो को सीधा करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“अपनी सफ़ों को सीधा करो, क्योंकि नमाज़ को अच्छी तरह अदा करने में सफ़ों का सीधा करना भी शामिल है।”
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