19. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
19. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे हबीबा (र.अ.)
हज़रत उम्मे हबीबा (र.अ.) का नाम रमला बिन्ते अबू सुफियान है। उनकी पैदाइश नुबुव्वत के सतरह साल कब्ल हुई। उनका पहला शौहर उबैदुल्लाह बिन जहश अल असदी था, जिनसे एक बेटी हबीवा पैदा हुई जिस की वजह से उम्मे हबीबा (र.अ.) कहा जाता है, यह खान्दान मुसलमान हुआ और हब्शा की हिजरत की। उबैदुल्लाह बिन जहश हब्शा में मुर्तद हो कर इसाई बन गए, उम्मे हबीबा ने उन से अलाहिदगी इख्तियार की, उबैदुल्लाह बिन जहश का इसी कुफ्र की हालत में हब्शा में मौत हो गई।
फिर बाद में हुजूर (ﷺ) ने निकाह का पैगाम भेजा, जिस को उन्होंने बखुशी कुबूल कर के हजरत खालिद बिन सईद को अपना वकील बनाया और हज़रत नजाशी शाहे हब्शा ने निकाह पढ़ाया, उस के बाद वह काफले के साथ मदीना मुनव्वरा आप की खिदमत में तशरीफ़ ले गईं, वह फ़ितरतन नेक मिजाज थीं।
रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नत पर बड़े जोक व शौक और एहतमाम से अमल करती और दूसरों को भी इस की ताकीद किया करती थीं, खुद फ़र्माती हैं के एक मर्तबा रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया के जो शख्स रोजाना बारा रकात नफ़्ल पढेगा, उसके लिए जन्नत में घर बनाया जाएगा। जब से मैंने इस फ़ज़ीलत को सुना, तो हमेशा इस पर अमल करती रही। मुहद्दिसीन किराम ने उन से अहादीस की ६५ रिवायतें नक्ल की हैं, उन्होंने अपने भाई अमीर मुआविया (र.अ.) के ज़मान-ए-खिलाफत में सन हिजरी में इन्तेकाल फ़रमाया और मदीना में दफ़्न हूई।
2. अल्लाह की कुदरत
आँख की हिफाज़त
अल्लाह तआला ने हम को बहुत सारी नेअमतों से नवाजा है, उन नेअमतों में एक नेअमत आँख है, यह नेअमत जहाँ बहुत कीमती है वहीं बड़ी नाजुक भी है, अल्लाह ने इस की हिफाज़त का कितना अच्छा इन्तज़ाम फ़र्माया के अगर आँख की तरफ़ कोई छोटी सी चीज भी आए, तो अल्लाह ने ऐसी पल्कों को बनाया जो फ़ौरन बंद हो जाती हैं और अगर कोई बड़ी चीज़ आँख की तरफ़ आए.तो आँख के चारों तरफ़ उभरी हुई मज़बूत हड्डी बना दी, जो आँखों की हिफ़ाज़त करती है।
बेशक अल्लाह बड़ी कुदरत वाला है।
3. एक फर्ज के बारे में
नमाज़ में इमाम की पैरवी करना
हजरत अबू हुरैरह (र.अ.) फर्माते हैं के –
“रसूलुल्लाह (ﷺ) हमें सिखाते थे के (नमाज़ में) इमाम से पहले रुक्न अदा न किया करो।”
वजाहत: अगर इमाम के पीछे नमाज़ पढ़ रहा हो तो तमाम अरकान को इमाम के पीछे अदा करना चाहिए, इमाम से आगे बढना जाइज़ नहीं है।
4. एक सुन्नत के बारे में
वुजू में तीन बार कुल्ली करना
हज़रत अली (र.अ.) रसूलुल्लाह (ﷺ) के
वुजू की कैफियत बयान करते हुए फ़र्माते हैं:
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तीन बार कुल्ली की!”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
हर हाल में अल्लाह की तारीफ़ करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“सब से पहले जन्नत की तरफ़ वह लोग पुकारे जाएंगे, जो खुशी और ग़म, आसानी और परेशानी में अल्लाह की तारीफ़ और हम्द बयान करते हैं।”
6. एक गुनाह के बारे में
हराम खाने का वबाल
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जिस आदमी का बदन हराम रोज़ी से पलता और बढ़ता है, ऐसे बदन के लिए जहन्नम ज़ियादा बेहतर है।”
7. दुनिया के बारे में
थोड़ी सी रोजी पर राजी होना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अल्लाह तआला से थोड़ी रोजी पर राजी रहे, तो अल्लाह तआला भी उस की तरफ़ से थोड़े से अमल पर राजी हो जाते हैं।”
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नमियो का खाना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जहन्नम वालों का आज न कोई दोस्त होगा और (उन को)
जख्मों के धोवन और पीप के सिवा कोई चीज खाने को नसीब न होगी,
इस खाने को बड़े गुनहगार ही खाएंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
पागल पन का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“अज्वह (खजूर) जन्नत का फल है और जुनून (पागलपन) का इलाज है।”
10. कुरआन की नसीहत
आपस में झगड़ा न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम अल्लाह और उस के रसूल की इताअत करो और आपस में झगड़ा न करो, वरना तुम बुजदिल हो जाओगे और दुश्मन के मुकाबले में तुम्हारी हवा उखड़ जाएगी और (मुसीबत के वक्त) सब्र करो, बेशक अल्लाह तआला सब्र करने वालों के साथ है।”
Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book) ₹359 Only |