6. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

सीरत - इमाम तिर्मिज़ी (रहमतुल्लाहि अलैहि), हज की फ़र्जियत, आमाल की कुबूलियत की दुआ, यतीम के सर पर हाथ फेरने की फजीलत, दीन को झुटलाने का गुनाह …

6. ज़िल हज | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

6. Zil-Hajj | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

इमाम तिर्मिज़ी (रहमतुल्लाहि अलैहि)

इमाम तिर्मिज़ी (रह.) का इस्मे गिरामी मुहम्मद बिन ईसा कुन्नियत अबू ईसा थी, आप सन २०० हिजरी के क़रीब जैहून नामी समुंदर के साहिली इलाके के “तिर्मिज़” नामी गांव में पैदा हुए, वालिदैन के साय-ए-आतिफ़त में पले बढ़े और फिर इल्मे नब्वी हासिल करने की खातिर समुंदर के उस पार खुरासान इराक और हरमैन शरीफ़ैन का सफर किया और वहां के उलमा से खूब इस्तिफ़ादा किया, अल्लाह ने ग़ज़ब का हाफ़ज़ा दिया था, जिस की मज्लिस में भी जाते उस मज्लिस में बयान की गई सारी रिवायतें पहली बार में हिफ़्ज़ कर लेते, बाद में आप ने हदीस की एक ऐसी किताब लिखी जिस ने एक इन्किलाब बर्पा कर दिया और उस की जामिइय्यत और हमा गीरी ने लोगों को बिलखुसूस उलमा की अकल को हैरान कर दिया। इस में सीरत, आदाब, तफ़सीर, अकाइद, अहकाम, फ़ितनों, क़यामत की निशानियों और सहाबा के फ़ज़ाइल का जिक्र किया गया है, यही वह किताब है जिस को हम और आप “जामे तिर्मिज़ी” के नाम से जानते हैं, इमाम तिर्मिज़ी फ़र्माते हैं मैं ने अपनी यह किताब हिजाज़ इराक और खुरासान के उलमा के सामने पेश की, तो वह लोग बहुत खुश हुए।

एक मर्तबा फ़र्माया : जिस के घर में मेरी किताब होगी समझो उस के घर में नबी है, जो बात करते हैं, अखीर उम्र में आप की बीनाई चली गई, आपने १३ रज्जब सन २७९ हिजरी को इन्तेकाल फर्माया।

📕 इस्लामी तारीख

2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

बकरियों का अपने अपने मालिक के पास चले जाना

खैबर में आप एक किले से लड़ रहे थे, इतने में एक बकरियां चराने वाला आया और इस्लाम कुबूल कर लिया और फिर कहने लगा ‘या रसूलल्लाह (ﷺ) इन बकरियों को मैं क्या करूं? तो आप (ﷺ) ने फर्माया : “तु इन के मुंह पर कंकरियां मार दे! अल्लाह तेरी अमानत अदा कर देगा और इन सब बकरियों को अपने अपने घर पहुंचा देगा” चुनांचे उस शख्स ने ऐसा ही किया, तो वह सब बकरियां अपने अपने घर पहुंच गईं।

📕 बैहकी फि दलाइलिनुबह : १५६३

3. एक फर्ज के बारे में

हज की फ़र्जियत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“ऐ लोगो! तुम पर हज फर्ज कर दिया गया है, लिहाजा उस को अदा करो।”

📕 मुस्लिम: ३२५७, अन अबी हुरैरह (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

आमाल की कुबूलियत की दुआ

आमाल कुबूल होने के लिए इस दुआ का एहतेमाम करना चाहिए:

رَبَّنَا تَقَبَّلْ مِنَّا إِنَّكَ أَنْتَ السَّمِيعُ العَلِيمُ

Rabbana taqabbal minna innaka antas Sameeaul Aleem

तर्जमा : ऐ हमारे पर्वरदिगार! हमारे आमाल और दुआओं को अपने फ़ज़ल से कुबूल फर्मा। बेशक तू सुनने और जानने वाला हैं।

📕 सूरह बकरा : १२७

5. एक अहेम अमल की फजीलत

यतीम के सर पर हाथ फेरने की फजीलत

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

जब कोई शख्स सिर्फ अल्लाह की ख़ुशनूदी के लिए यतीम के सर पर हाथ फेरता है, तो अल्लाह तआला हर बाल के बदले में नेकियां अता फर्माता है और जो यतीम के साथ अच्छा बर्ताव करेगा, मैं और वह जन्नत में दो उंगलियों की तरह होंगे।” हुजूर (ﷺ) ने शहादत और बीच की ऊँगली को मिलाकर बताया।

📕  मुस्नदे अहमद : २१६४९, अन अबी उमामा (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

दीन को झुटलाने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“मैं ने तुम को एक भड़कती हुई आग से डरा दिया है। उस में वही बद बख्त दाखिल होगा जिस ने (दीन को) झुटलाया और उस से मुंह मोड़ा।”

📕 सूर लैल : १४ ता १६

7. दुनिया के बारे में

नाफर्मानी और बगावत का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ लोगो ! तुम्हारी नाफरमानी और बग़ावत का वबाल तुम ही पर पड़ने वाला है, दुनिया की जिन्दगी के सामान से थोड़ा फ़ायदा उठा लो, फिर तुम को हमारी तरफ वापस आना है, तो हम उन सब कामों की हक़ीक़त से तूम को आगाह कर देंगे जो तुम किया करते थे।”

📕 सूरह यूनुस: २३

8. तिब्बे नबवी से इलाज

जुखाम का फौरी इलाज न किया जाए

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“हर इन्सान के सर में जुज़ाम (कोढ़) की जोश मारने वाली एक रग होती है जब वह जोश मारती है, तो अल्लाह तआला उस पर जुखाम मुसल्लत कर देता है, लिहाज़ा जुखाम का इलाज मत करो।”

📕 मुस्तद्रक : ८२६२, अन आयशा (र.अ)

वजाहत: हुकमा हज़रात भी जुकाम का फ़ौरी इलाज बेहतर नहीं समझते, बल्के कुछ दिनों के बाद इलाज करने का मश्वरा देते हैं।

9. नबी (ﷺ) की नसीहत

गुस्से का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“गुस्सा शैतान के असर से होता है, शैतान की पैदाइश आग से हुई है, और आग पानी से बुझाई जाती है, लिहाजा जब तुम में से किसी को गुस्सा आए तो उस को चाहिए के वजू कर ले।”

📕 अबू दाऊद : ४७८४

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