क्या ऐसे मेसेज को वायरल करने से खुशखबरी मिलेगी?
एक ज़माने से सोशल मीडिया पर ऐसे मेसेजेस की भरमार लगी हुई है के,
सऊदी अरब के इमाम ने ख्वाब में नबी सलल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा है, फलाल फलाह पैगाम आया है, लोगो को हुक्म दिया जाये के कुरआन की तीलावत करो, इस मेसेज को २२ लोगों को भेजोगे तो ५ दिन में खुशखबरी मिलेगी, और जो इसको जाया करेगा तो १५ साल तक कोई ख़ुशी नहीं मिलेगी। {alertWarning}
सुभान अल्लाह ! क्या वाकय में ऐसे मेसेज को वायरल करने से खुशखबरी मिलेगी?, क्या वाकय में ऐसे कोई मेसेजेस हमारी और आपकी खुशहाली और बद्दहाली की वजह बन सकती है?
तो याद रहे ऐसा कोई मेसेज, कोई परचा, कोई भी खबर आपकी तकदीर के खिलाफ आपको ना तो कोई नफा पोहचा सकती और ना ही कोई नुकसान।
तिर्मिज़ी की रिवायत में आता है के अल्लाह के रसूल (सलल्लाहु अलैहि वसल्लम) अब्ब्दुल्लाह इब्ने अब्बास (र.अ) को नसीहत करते हुये फरमाते है :
"याद रख ! अगर पूरी दुनिआ भी तुम्हारे हक़ में आजाये और चाहे के तुम्हे कोई फायदा दे तो वो फायदा नहीं पोहचा सकते, सिवाए वो जो अल्लाह ने लिख दिया है, और अगर पूरी दुनिआ भी तुम्हारे खिलाफ खड़े हो जाये और चाहे के तुम्हे नुक्सान पोहचाए तो वो नुक्सान नहीं पोहचा सकती सिवाय अल्लाह ने जो लिख दिया है। इसीलिए के क़लम रखा जा चूका है और स्याही सुख चुकी है।" [मफ़हूम ऐ हदीस] {alertSuccess}
तो बहरहाल तकदीर से खिलवाड़ मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, और रही बात ऐसे वायरल होने वाले मेसेजेस की तो फिर यह तो खुली गुमराही और उम्मत की लाइल्मी का सबूत है। अल्लाह रेहम करे।
अल्लाह हमे तमाम ऐसे जहालत के कामों से बचाये ,
- हमे किताबो सुन्नत का मुत्तबे बनाये,
- जबतक हमे जिन्दा रखे इस्लाम और ईमान पर ज़िंदा रखे,
- खात्मा हमारा ईमान पर हो ,
*वाआखीरु दवाना अलहम्दुलिल्लाही रब्बिल आलमीन*