15. शाबान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
15. Shaban | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत मुआज बिन जबल (र.अ)
हज़रत मुआज़ बिन जबल (र.अ) ने जवानी में हज़रत मुस्अब बिन उमैर (र.अ) के हाथ पर इस्लाम कबूल किया, जब हुजूर (ﷺ) मदीना मुनव्वरा पहुंचे,तो हज़रत मुआज़ (र.अ) हुजूर (ﷺ) की खिदमत में हर वक़्त रहते, आप उन छे सहाबा में से थे, जिन लोगों ने हुजूर (ﷺ) के ज़माने में पूरा कुरआन जमा कर लिया था।
उन की इल्मी सलाहियत की वजह से हुजूर (ﷺ) ने फतहे मक्का के बाद मक्का में दीन सिखाने के लिए उन को मुअल्लिम मुकर्रर किया, इस तरह जब अहले यमन ईमान दाखिल हुए, तो उन की तालीम व तरबियत के लिए उन्हीं को रवाना फर्माया।
हुजूर (ﷺ) ने एक मर्तबा फर्माया : "मुआज़ बिन जबल हलाल व हराम को ज़ियादा जानने वाले हैं" हज़रत मुआज़ (र.अ) को हज़रत उमर (र.अ) ने अपनी खिलाफत में शाम रवाना किया, ताके वह लोगों को दीन सिखाएं, जब मौत का वक़्त क़रीब हुआ,आप किब्ला रूख हो गए, फिर आस्मान की तरफ देखा और फर्माया : ऐ आल्लाह ! तुझे मालूम है के मैं दरख्त लगाने और नहरें खोदने के लिए दुनिया में लम्बी उम्र नहीं चाहता था, बल्के रोजे की प्यास की सख्ती बर्दाशत करने, मुसीबत झेलने और उलमा के साथ हल्क-ए-ज़िक्र में मुज़ाकरा करने के लिए चाहता था। ऐ अल्लाह! मुझे कुबूल फ़र्मा, उस के बाद आप की रूह परवाज़ कर गई। यह वाकिआ सन १८ हिजरी में पेश आया, उस वक्त आप की उम्र तकरीबन ३८ साल थी।
2. अल्लाह की कुदरत
चुम्बक (Magnet)
अल्लाह तआला ने जमीन के अन्दर किस्म किस्म की धात रखी है, उस में से एक धात चुम्बक है, जो लोहे की एक किस्म है, यह लोहे को अपनी तरफ़ खींचता है और लोहे से चिपक जाता है और लोहे के अलावा किसी दूसरी चीज़ से नहीं चिपकता, अगर उस के सामने लकडी पत्थर वगैरा रखे जाएं, तो उससे नहीं चिपकता।
जरा गौर कीजिए, के जमीन से निकली हुई मामूली सी धात में ऐसी ताकत किस ने रखी है यकीनन यह अल्लाह तआला की कुदरत है, जिस चीज में जैसा चाहता है वैसी खासियत रखता है।
3. एक फर्ज के बारे में
जानवरों पर जकात
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने कसम खा कर फर्माया :
"जिस के पास ऊंट, गाय या बकरा हो और वह उस का हक़ अदा न करता हो, तो क़यामत के दिन उन जान्वरों में से सबसे बड़े और मोटे को लाया जाएगा, जो अपनी खुरों से उस को रौंदेगा और सींग मारेगा,जब जब भी आखरी जानवर गुज़र जाएगा, तो पहेले जानवर को लाया जाएगा, ( यह सिलसिला उस वक्त तक चलता रहेगा), जब तक के लोगों का हिसाब (न) हो जाए।"
📕 बुखारी: १४६०, अन अबी जर (र.अ)
वजाहत: जिस तरह सोने, चांदी, और दूसरी चीज़ों में ज़कात फ़र्ज है. इसी तरह जान्वरों में भी जकात फ़र्ज है, जब के निसाब के बकद्र हो।
4. एक सुन्नत के बारे में
खुशी के वक्त सजदा-ए-शुक्रर अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) को जब खुशी का मौका आता या कोई खुशखबरी सुनाई जाती, तो आप सजदा-ए-शुक्र बजा लाते।
📕 अबू दाऊद : २७७४
5. एक अहेम अमल की फजीलत
जानवर पर रहेम करने का सवाब
“या रसूलल्लाह ! क्या जानवरों पर रहम करने में भी हमारे लिए सवाब है? आप (ﷺ) ने फर्माया : हर जानदार जिगर रखने वाले हैवान पर (रहम करने में) सवाब है!”
📕 बुखारी: ६००१, अन अबी हुरैरह (र.अ)
6. एक गुनाह के बारे में
हज न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"जिस के पास सवारी और तोशे का इतना इन्तेजाम हो जिस से वह ब आसानी बैतुल्लाह शरीफ पहुँच सकता हो, फिर भी हज न करे, तो कोई फ़र्क नहीं है के वह यहूदी हो कर या नसरानी हो कर मरे।"
📕 तिरमिजी : ८१२. अन अली (र.अ)
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की जेब व जीनत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
"मुझे तुम लोगों के बारे में जिस चीज़ का सब से ज़ियादा डर है, वह दुनिया का बनाव सिंघार है, जो तुम पर खोल दिया जाएगा।"
📕 बूखारी : १४६५, अन अबी सईद (र.अ)
8. आख़िरत के बारे में
नेक बंदों की नेअमतों का बयान
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
"परहेज़गार लोग बागों और ऐश व राहत में होंगे। उन को जो चीजें ऐश व आराम की उन के रब ने अता की होगी उस को खा रहे होंगे और उन का रब उन को दोज़ख के अज़ाब से महफूज रखेगा, (और कहा जाएगा) तुम खूब मज़े के साथ खाओ पियो (यह) तुम्हारे नेक आमाल के बदले में है, जो तुम (दुनिया) में किया करते थे (और वह लोग) बराबर बिछे हुए तख्तों पर तकिये लगाए हुए होंगे और हम बड़ी बड़ी आँखों वाली हूरों से उनका निकाह कर देंगे।"
9. तिब्बे नबवी से इलाज
लौकी से दिमाग की कमजोरी का इलाज
रसूलअल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
"तुम लौकी (दूधी) खाया करो, क्योंकि यह अक़्ल को बढ़ाती है और दिमाग को ताक़त देती है।"
📕 कन्जुल उम्माल : २८२७३, अन्न अनस (र.अ)
फायदा: आज जदीद तरीक़-ए-इलाज के मुताबिक डॉक्टर हजरात भी बुखार के मरीज के सर पर ठंडे पानी की पट्टी रखने का मश्वरा देते हैं।
10. कुरआन की नसीहत
सलाम का बेहतर जवाब दिया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जब तुम को कोई सलाम करे, तो उस से बेहतर अल्फाज़ में या वैसे ही अल्फाज़ में सलाम का जवाब दिया करो, बिला शुबा अल्लाह तआला हर चीज़ का हिसाब लेने वाला है।”
इंशा अल्लाहुल अजीज़ ! पांच मिनिट मदरसा सीरीज की अगली पोस्ट कल सुबह ८ बजे होगी।