13. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
13. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हुज़ूर को नुबुव्वत मिलना
“रसूलुल्लाह (ﷺ) गारे हिरा में अल्लाह की इबादत में मशगूल थे कि आप (ﷺ) की नुबुव्वत की मुबारक घड़ी आ पहुँची। हज़रत जिब्रईल (अ.स) गारे हिरा में तशरीफ लाए और आप (ﷺ) से कहा के पढिये,
आप (ﷺ) ने जवाब दिया कि मैं पढ़ा हुआ नहीं हूँ,
रसूलुल्लाह (ﷺ) फर्माते हैं कि–
उस के बाद उन्होंने मुझे पकड़ कर दबाया, यहां तक के मैं ने उस की तकलीफ महसूस की फिर मुझे छोड़ दिया और कहा पढ़िये, मैंने जवाब दिया के मैं पढ़ा हुआ नहीं हुँ।
उन्होंने फिर मुझे पूरी ताकत से दबाया और छोड़ दिया और कहाः”
اقْرَأْ بِاسْمِ رَبِّكَ الَّذِي خَلَق
तर्जमा: “(ऐ मुहम्मद) अपने परवरदिगार का नाम ले कर पढ़िये जिस ने (आलम को) पैदा किया।”
वजाहत: यह हुजूर (ﷺ) पर नाज़िल होने वाली पहली वहयी थी और आपकी नुबुव्वत का पहला दिन था। आप हज़रत खदीजा (र.अ) के साथ वर्का बिन नौफल के पास गए जो नसरानियत के बड़े आलिम थे उन्होंने इस बात की तसदीक की, के हज़रत मुहम्मद आखरी नबी हैं जिन के आने की खबर पहली किताबों में मौजूद है।”
2. अल्लाह की कुदरत
ज़मीन से पौधा कौन उगाता है ?
“बीज को ज़मीन के अंदर दबा दिया जाता है, इस का खोल बहुत सख्त होता है, कुछ बीज इतने सख्त होते हैं, के हम इन्हें दांतों से भी तोड़ नहीं सकते, लेकिन यही बीज जब मिट्टी में बो दिया जाता है, तो चंद दिनों में एक नाज़ुक और नर्म पौधा इस सख्त बीज को तोड़ कर और ज़मीन को फाड़ कर निकलता है, आखिर इस सख्त खोल को कौन तोड़ता है और ज़मीन से पौधा कौन निकालता है”?
क़ुरआन पाक में है :
“यकीनन अल्लाह ही बीजों और गुठलियों को तोड़ता है।”
3. एक फर्ज के बारे में
ज़कात मुस्तहिक को देना ज़रूरी है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बेशक अल्लाह तआला ने ज़कात के मुस्तहिक को न किसी नबी की मर्जी पर छोड़ा है और न ही नबी के अलावा किसी और की मर्जी पर, बल्कि खुद ही फैसला फरमा दिया है और उस के आठ हिस्से मुतअय्यन कर दिये हैं।”
📕 अबू दाऊद: १६३०, अन जियाद बिन हारिस (र.अ)
वजाहत: ज़कात का जो मुस्तहिक है, उसी को ज़कात देना ज़रुरी है और जो ज़कात का मुस्तहिक नहीं है, अगर उसको दे दिया तो ज़कात अदा नहीं होगी।
4. एक सुन्नत के बारे में
गुस्ल करने का सुन्नत तरीका
रसूलुल्लाह (ﷺ) जनाबत का गुस्ल यानी फ़र्ज़ गुस्ल फ़रमाते, तो सबसे पहले हाथ धोते, फिर सीधे हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते फिर इस्तिंजा की जगह धोते फिर जिस तरह नमाज़ के लिए वुज़ू किया जाता है उसी तरह वुज़ू करते, फिर पानी ले कर अपनी उंगलियों के ज़रिये सर के बालों की जड़ों में दाखिल करते, फिर तीन दफा दोनों हाथ भर कर यके बाद दीगरे सर पर पानी डालते, फिर सारे बदन पर पानी बहाते और सबसे आखिर में दोनों पाँव धोते।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
खौफे खुदा में रोना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी अल्लाह के डर से रोए उसका जहन्नम में जाना इस तरह मुशकिल है, जिस तरह दूध का थनों में जाना।”
📕 नसई ३१०९. अन अबी हुरैरह (र.अ)
वजाहत: यानी जिस तरह दूध बाहर आ जाने के बाद थन में दोबारा जाना मुशकिल है, इसी तरह अल्लाह के डर और खौफ से रोने वाले का जहन्नम में जाना मुशकिल है।
6. एक गुनाह के बारे में
वारिस को मीरास से महरूम करना
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स अपने वारिस को मीरास देने से भागेगा (और उसे मीरास से महरूम कर देगा) तो अल्लाह तआला कयामत के दिन जन्नत से उस की मीरास खत्म कर देगा।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की नेअमतों का खुलासा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“तुम में से जिस शख्स को सेहत व तंदुरुस्ती हासिल हो और अपने घर वालों की तरफ से उस का दिल मुतमइन हो और एक दिन का खाना उस के पास मौजूद हो, तो समझ लोके दुनिया की तमाम नेअमत उस के पास मौजूद है ।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत की नेअमत
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“बेशक अहले जन्नत (ऐश व राहत के मज़े ले रहे होंगे, वह और उनकी बीवियां सायो में मसहरियों पर तकिए लगाए बैठे होंगे और उन के लिए उस जन्नत में हर किस्म के मेवे होंगे और जो वह तलब करेंगे उनको मिलेगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
ज़मज़म के फवाइद
रसूलल्लाह (ﷺ) ने ज़मज़म के बारे में फर्माया :
“यह एक मुकम्मल खोराक भी है और बीमारियों के लिए शिफा बख्श भी है।”
10. कुरआन की नसीहत
नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“नेकी और परहेज़गारी के कामों में एक दूसरे की मदद किया करो गुनाह और ज़ुल्म व ज़ियादती में किसी की मदद न करो और अल्लाह से डरते रहो. बेशक अल्लाह तआला का अज़ाब बहुत सख्त है।”
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