15. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
15. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
कोहे सफा पर पहला एलाने हक
नुबुव्वत मिल जाने के बाद हज़ूर (ﷺ) तीन साल तक पोशीदा तौर से अल्लाह के दीन की दावत देते रहे, जब अल्लाह तआला की तरफ से खुल्लम-खुल्ला इस्लाम की दावत देने का हुक्म नाज़िल हुआ, तो आपने सफ़ा पहाड की चोटी पर चढकर कर क़ुरैशे मक्का के बड़े-बड़े लोगों को आवाज़ दी, जब सब जमा हो गए, तो आप (ﷺ) ने फर्माया:
“ऐ लोगो! अगर मैं तुमसे यह कहुँ कि इस सफ़ा पहाड़ के पीछे एक लश्कर आ रहा है जो अनकरीब तुम पर हमला करने वाला है क्या तुम इस का यकीन करोगे?”
वह सब बोले: क्यों नहीं, आप तो सादिक और अमीन हैं।
फिर आप (ﷺ) ने फर्माया :
“लोगो! एक अल्लाह पर ईमान लाओ और बुतों की इबादत छोड़ दो, मैं तुमको एक सख्त अज़ाब से डराने और आगाह करने आया हूँ जो बिल्कुल तुम्हारे सामने है।”
यह सुन कर तमाम लोग सख्त नाराज़ हुए और बुरा भला कह कर वापस हो गए, आपके चचा अबू लहब ने बहुत सख्ती से कलाम करते हुए कहा, के सारे दिन तुम्हारे लिए खराबी हो, क्या सिर्फ यही कहने के लिए तुम ने हमें बुलाया था? उसके बाद से ही आपसे दुश्मनी और मुखालफत शुरु कर दी।”
2. अल्लाह की कुदरत
जानवरों को रोज़ी पहुँचाना
“अल्लाह तआला ने ज़मीन पर अनगिनत किस्म के जानवर पैदा किए, जिनमें कुछ समुंदर में रहते हैं और कुछ ज़मीन पर, कुछ फज़ाओं में उड़ते हैं और कुछ ज़मीन के अंदर और जंगलों में रहते हैं, गर्ज़ यह के अल्लाह की मखलूक बेशुमार है, लेकिन यह जानवर न तो खाने-पीने की चीज़ों को जमा कर के रखते हैं और न ही अपनी पीठ पर लाद कर चलते हैं, बल्कि सुबह को खाली पेट अल्लाह की ज़मीन पर रोज़ी की तलाश में निकलते हैं और शाम को पेट भर कर वापस आ जाते हैं,”
गौर कीजिए इन हज़ारों किस्म के जानवरों के लिए रोज़ाना रोज़ी का इन्तेज़ाम कौन करता है?
क़ुरआन में है-
“और कितने ही जानवर ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी उठाए नहीं फिरते, (बल्कि) अल्लाह ही उनको और तुमको रोज़ी देता है।
3. एक फर्ज के बारे में
रोज़े का कफ्फारा अदा करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास एक शख्स आया और कहने लगा के या रसूलल्लाह (ﷺ) मैं तो हलाक हो गया,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने पूछा क्या हुआ?
उसने कहा के मैं ने रोज़े की हालत में बीवी से सोहबत कर ली, तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने उन्हें कफ्फारा अदा करने का हुक्म दिया।
📕 तिर्मिजी: ७२४, अन अबी हुरैरहा (र.अ)
वजाहत: अगर किसी शख्स ने रमज़ान के रोज़े की हालत में बीवी से सोहबत कर ली, तो उस पर मुसलसल साठ रोज़े रखना और अगर इस की ताकत न हो, तो साठ मिसकीनों को पेट भर कर खाना खिलाना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
एतकाफ़
“रसूलुल्लाह (ﷺ) हर साल रमज़ान के आखिरी अशरे में एतकाफ किया करते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
गरीब रिश्तेदार पर सदका करना
रसूलुल्लाह(ﷺ) ने फर्माया :
“किसी गरीब को देने पर (सिर्फ) सदके का सवाब मिलता है; लेकिन गरीब रिश्तेदार को देने पर दोहरा अज्र मिलता है-
(एक) सदके का
(दूसरा) सिला रहमी का।”
6. एक गुनाह के बारे में
सोने चांदी की ज़कात न देना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो आदमी सोने चांदी का मालिक हो और उस का हक (यानी ज़कात) अदा न करे, तो क़यामत के दिन उस सोने चांदी के पतरे बना कर जहन्नम की आग में तपाया जाएगा, फिर उस शख्स का पहलू पेशानी और कमर को दागा जाएगा और यह दाग़ने का अमल कयामत के दिन तक बराबर जारी रहेगा, जिस की मिक़दार पचास हज़ार साल के बराबर होगी, यहाँ तक के बंदों के दर्मियान फैसला हो जाएगा, फिर उसका ठिकाना जन्नत या जहन्नम होगा।”
7. दुनिया के बारे में
कौन सा माल बेहतर है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जब भी सूरज निकलता है तो उसके दोनों जानिब दो फरिश्ते रोज़ाना है। एलान करते हैं :
ऐ लोगो ! अपने रब की तरफ मुतवज्जेह हो जाओ, जो माल थोड़ा हो और वह किफायत कर जाए, वह बेहतर है, उस ज़ियादा माल से जो अल्लाह तआला के अलावा दूसरी चीज में मशगूल कर। दे।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जहन्नम की तमन्ना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“जिस दिन यह गुनहगार लोग फरिश्तों को देखेंगे, उस दिन उन के लिए कोई खुशखबरी नहीं होगी और उन की खतरनाक शकलें देख कर कहेंगे के हमारे और उन फरिश्तों के दर्मियान कोई आड़ कायम कर दी जाए ।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सफरजल (बही) (Pear) से इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“सफरजल (यानी बही) खाया करो क्यों कि यह दिल को राहत पहुँचाता है।”
10. कुरआन की नसीहत
शैतान तो यही चाहता है के शराब और जुए के ज़रिये तुम्हारे दरमियान दुश्मनी और बुग्ज़ डाल दे
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“शैतान तो यही चाहता है के शराब और जुए के ज़रिये तुम्हारे दरमियान दुश्मनी और बुग्ज़ डाल दे और तुम को अल्लाह के ज़िक्र और नमाज़ अदा करने से रोक दे, तो क्या अब भी तुम इन बातों से बाज़ (नहीं) आओगे?”
वजाहत: शराब और जुआ इतनी बुरी चीज़ है के इससे आपस में दुश्मनी पैदा हो जाती है और आदमी हर काम करने से रुक जाता है, लिहाज़ा इनसे बचना निहायत जरुरी है।
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