16. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
16. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
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1. इस्लामी तारीख
हुज़ूर (ﷺ) के चचा अबू तालिब की हिमायत
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) लोगों की नाराज़गी की परवाह किए बगैर बराबर बुतपरस्ती से रोकते रहे और लोगों को दीने हक की दावत देते रहे, तो कुरैश के सरदारों ने आप के चचा अबू तालिब से शिकायत की के तुम्हारा भतीजा हमारे माबूदों को बुरा भला कहता है, हमारे बाप दादाओं को गुमराह कहता है और हमें बेवकूफ ठहराता है, हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते, इस लिए या तो आप उन की हिमायत बंद कर दें या फिर आप भी मैदान में आ जाएं ताके फैसला हो जाए।
अबू तालिब यह सुन कर घबरा गए और हुज़ूर को बुला कर कहा के
“मुझ पर इतना बोझ न डालो के मैं उठा न सकूँ।”
चचा की ज़बान से यह बात सुन कर आप (ﷺ) की आँखो में आँसू भर आए और आप (ﷺ) ने फर्माया :
“चचा जान ! खुदा की कसम अगर यह लोग मेरे एक हाथ में सूरज और दूसरे हाथ में चाँद ला कर रख दें तब भी मैं अपने फ़र्ज से बाज़ न आऊंगा, या तो खुदा का दीन जिंदा होगा या मैं इस रास्ते में हलाक हो जाऊंगा।”
अबू तालिब पर आप (ﷺ) की बात का बहुत ज़ियादा असर हुआ और उन्होंने कहा :
“जाओ और जिस तरह चाहो तबलीग करो, मैं तुम्हें किसी के हवाले नहीं करूंगा”
चुनांचे इस्लाम कबूल न करने के बावजूद अबू तालिब ने हज़ूर का साथ दिया यहां तक के तीन साल कैद में भी साथ रहे रिहाई के बाद भी आप की हिमायत में कमी नहीं की।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
बद्र में मक़तलीन के मुतअल्लिक पेशीन गोई
रसूलुल्लाह (ﷺ) का यह मुअजिज़ा है के बद्र के मौके पर जंग शुरु होने के एक दिन पहले रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक एक काफिर का नाम ले कर जो बद्र में क़त्ल होने वाले थे खबर दी के फलां शख्स फलां जगह कत्ल हो कर गिरेगा, चुनांचे जो जगह जिस के लिए आप (ﷺ) ने बयान फरमाई थी, वह वहीं गिरा।
3. एक फर्ज के बारे में
जमात की पाबंदी न करने पर वईद
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ) से किसी ने पूछा के एक शख्स दिन भर रोज़े रखता है और रात भर नफ़लें पढ़ता है मगर जुमा और जमात में शरीक नहीं होता (उस के मुतअल्लिक क्या हुक्म है)
हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ) ने फर्माया:
“यह शख्स जहन्नमी है”
4. एक सुन्नत के बारे में
कर्ज़ से बचने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) यह दुआ फ़रमाते
اللَّهُمَّ إِنِّي أَعُوذُ بِكَ مِنَ الْكَسَلِ وَالْهَرَمِ وَالْمَأْثَمِ وَالْمَغْرَمِ . قَالَ أَبُو عِيسَى: هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ صَحِيحٌ.
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! मैं सुस्ती, बुढ़ापे की कमजोरी, गुनाहों और कर्ज से तेरी पनाह चाहता हूँ।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
मुर्दो को सवाब पहुँचाना
“हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ) ने फ़र्माया:
“एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज़ किया: मेरी माँ मर चुकी है, अगर मैं उनकी तरफ़ से सदका करु, तो क्या उनको फ़ायदा होगा?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया: हाँ !
तो उस शख्स ने कहा : मेरा एक बाग़ है, मैं आप को गवाह बनाता हुँ के मैंने अपनी माँ (के सवाब के लिए उसको सदका कर दिया।
6. एक गुनाह के बारे में
तंगी के डर से फॅमिली प्लानिंग
क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अपनी औलाद को तंगी के डर से कत्ल मत करो, हम इन को भी रिज्क देंगे और तुमको भी, बेशक उनका कत्ल करना बड़ा गुनाह है।”
वजाहत: मआशी तंगी के डर से बच्चों को मार डालना या हमल गिराना या और कोई तदबीर इख्तयार करना के हमल ही न ठहरे यह सब गुनाह और हराम है।
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की चीज़ें चंद रोज़ा हैं
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जो कुछ भी तुम को दिया गया है वह सिर्फ चंद रोज़ा जिंदगी के लिए है और वह उस की रौनक है और जो कुछ अल्लाह तआला के पास है, वह इससे कहीं बेहतर और बाकी रहने वाला है क्या तुम लोग इतनी बात भी नहीं समझते?”
8. आख़िरत के बारे में
दोज़ख की गहराई
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा, मगर उस की गहराई तक नहीं पहुँच सका।”
अल्लाह तआला फ़रमाते हैं
“हम उस (जहन्नम) को इन्सान और जिन्नात से भर देंगे क्या तुम इस पर तअज्जुब करते हो?”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
हाथ पाँव सुन हो जाने का इलाज
हज़रत इब्ने अब्बास (र.अ) की मौजूदगी में एक शख्स का पाँव सुन हो गया, तो उन्हों ने फर्माया
“अपने महबूब तरीन शख्स को याद करो, उसने कहा मुहम्मद (ﷺ), फिर वह ठीक हो गया।”
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
स्तर छुपाने का एहतमाम
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जब तुम में से कोई शख्स अपनी बीवी के पास (तन्हाई में) जाए तो जहाँ तक हो सके सतर का खयाल रखे।”
📕 बैहकी फि शुअबिल ईमान: ७५४३, अन अब्दुल्लाह बिन मसऊद (र.अ)
वजाहत: तन्हाई में बीवी के पास जाने में भी सतर का खयाल रखने का हुक्म दिया गया है. तो दूसरे मौकों पर सतर छुपाने का और ज़ियादा एहतमाम होना चाहिए।
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