18. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
18. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हुज़ूर के खिलाफ कुफ्फार की साज़िश
“कुरैश को जब मालूम हुआ के मुहम्मद (ﷺ) भी हिजरत करने वाले हैं तो उन को बड़ी फिक्र लाहिक हुई कि अगर मुहम्मद (ﷺ) भी मदीना चले गए, तो इस्लाम जड़ पकड़ लेगा और फिर वह अपने साथियों के साथ मिल कर हमसे बदला लेंगे और हमें हलाक कर देंगे। इस बिना पर वह लोग कुसइ बिन किलाब के घर में जो दारुन नदवा के नाम से मशहूर था, साजिश के लिए जमा हुए, इस में हर कबीले के सरदार मौजूद थे, सब लोगों ने आपस में यह तय किया के हर कबीले का एक-एक शख्स जमा हो और सब मिल कर तलवारों से आप (ﷺ) का खात्मा कर दें,
इस फैसले के बाद उन्होंने रात के वक्त रसूलुल्लाह (ﷺ) का घर घेर लिया और इस इंन्तिज़ार में रहे के जब मुहम्मद (ﷺ) सुबह को नमाज़ के लिए निकलेंगे, तो तलवारों से उनका खात्मा कर देंगे। मगर अल्लाह तआला ने आप (ﷺ) को कुरैश की इस साज़िश की खबर दे दी, लिहाज़ा हुज़ूर (ﷺ) रात को अपने बिस्तर पर हज़रत अली (र.अ) को लिटा कर सूर-ए-यासीन पढ़ते हुए सामने से गुज़र गए और कुफ्फार को कुछ भी खबर न हुई। सुबह को जब उन लोगों ने हज़रत अली को बिस्तर पर देखा, तो अपनी रात भर की कोशिश पर बड़े नादिम व शर्मिंदा हुए।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
वहशी जानवर का आप (ﷺ) की राहत का खयाल रखना
“हज़रत आयशा (र.अ) फर्माती हैं कि रसूलुल्लाह (ﷺ) के अहल व अयाल के यहाँ एक जंगली जानवर पाला हुआ था, उस की आदत यह थी के जब रसूलुल्लाह (ﷺ) घर से बाहर तशरीफ ले जाते तो वह खूब खेल कूद करता और इधर-उधर घूमता फिरता था, मगर जूं ही उस को यह एहसास होता, के आप (ﷺ) घर पर तशरीफ ला चुके हैं, तो जब तक आप (ﷺ) घर पर रहते, वह अपनी भूक प्यास की ज़रुरत का इज़हार न करता, ताकि रसूलुल्लाह (ﷺ) को तकलीफ़ न हो।”
3. एक सुन्नत के बारे में
नेक लोगों में शामिल होने की दुआ
“गुनाहों से तौबा करने और नेक लोगों में शामिल होने के लिए यह दुआ करनी चाहिये –
رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الأبْرَارِ
( हमारे रब! हमारे गुनाहों को माफ फर्मा, हमारी बुराइयों को खत्म फर्मा और हमको नेक लोगों के साथ मौत अता फर्मा )
4. एक अहेम अमल की फजीलत
क़ुरआन करीम याद करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने कुरआन पढ़ा और उस को याद कर लिया और उसके हलाल को हलाल और हराम को हराम जाना, तो अल्लाह तआला (अव्वल मरहले में) उस को जन्नत में दाखिल फरमाएगा और उस की शफाअत उसके खानदान के दस ऐसे लोगों के बारे में कबूल फरमाएगा, जिन पर जहन्नम वाजिब हो चुकी होगी।”
5. एक गुनाह के बारे में
फुज़ूल कामों में माल खर्च करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“बाज़ लोग वह हैं जो गफलत में डालने वाली चीज़ों को खरीदते हैं ताकि बे सोचे समझे अल्लाह के रास्ते से लोगों को गुमराह करें और सीधे रास्ते का मज़ाक उड़ाएं, ऐसे लोगों के लिये बडी रुसवाई का अज़ाब है।”
6. दुनिया के बारे में
माल व औलाद अल्लाह के कुर्ब का ज़रिया नहीं
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“तुम्हारे माल और तुम्हारी औलाद ऐसी चीज़ नहीं जो तुम को हमारा मुकर्रब बना दे, मगर हाँ जो ईमान लाए और नेक अमल करता रहे, तो ऐसे लोगों को उनके आमाल का दोगुना बदला मिलेगा और वह जन्नत के बाला खानों में आराम से रहेंगे।”
7. आख़िरत के बारे में
जन्नत में सोने चांदी के बाग
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“(जन्नत में) दो बाग चाँदी के हैं उन के बर्तन और सब सामान भी चाँदी का है और दो बाग सोने के हैं, उन के बर्तन और सब सामान भी सोने का है, जन्नतेअदन के रहने वालों और उनके रब के दीदार के दर्मियान जलाल की चादर होगी, वरना वह हर वक्त उसको देखते रहते।”
8. तिब्बे नबवी से इलाज
खड़े हो कर पानी पीना मुज़िर है
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने खड़े होकर पानी पीने से मना फर्माया है।”
📕 इब्ने माजा: ३४२४. अन अनस (र.अ)
वजाहत: खड़े हो कर पानी पीना मेअदे को नुक़सान पहुँचाता है, इसलिए इस से बचना ज़रुरी है।
9. नबी (ﷺ) की नसीहत
अपने ईमान को ताज़ा करते रहा करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया
“अपने ईमान को ताज़ा करते रहा करो, अर्ज़ किया गया : ऐ अल्लाह के रसूल!
हम अपने ईमान को किस तरह ताज़ा करें ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “ला-इलाहा-इल्लल-लाह” को कसरत से पढ़ते रहा करो।”
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