21. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
21. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
मदीना में हुज़ूर (ﷺ) का इस्तिकबाल
कुबा में चौदह दिन कयाम फर्मा कर रसूलुल्लाह (ﷺ) मदीना तैयबा के लिए रवाना हो गए। जब लोगों को आप (ﷺ) के तशरीफ लाने का इल्म हुआ, तो खुशी में सब के सब बाहर निकल आए और सड़क के किनारे खड़े हो गए, सारा मदीना अल्लाहु अकबर के नारों से गूंज उठा। अन्सार की बच्चियाँ खुशी के आलम में यह अशआर पढ़ रही थीं :
من نبات الوداع ما دعا الو داع جئت بالأمر المطاع
طلع البدر علينا وجب التمر علينا اتها التنموت يا
यानी वदाअ पहाड़ की घाटियों से चौदहवीं का चाँद निकल आया है। लिहाज़ा जब तक दुनिया में अल्लाह के लिए दावत देने वाला बाकी रहेगा, उस का शुक्र हम पर वाजिब रहेगा। बनु नज्जार की लड़कियाँ दफ बजा-बजा कर गा रही थीं।
يا كذا محمدا من جار
تخن جوار من بنى التجار
तर्जुमा: हम खानदाने नज्जार की लड़कियाँ हैं, मुहम्मद क्या ही अच्छे पड़ोसी होंगे, हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ) फर्माते हैं कि मैं ने कोई दिन इस से ज़्यादा हसीन और रौशन नहीं देखा जिस दिन हुज़ूर (ﷺ) हमारे यहाँ (मदीना) तशरीफ लाए।
2. अल्लाह की कुदरत
पत्थरों में अल्लाह की निशानी
“अल्लाह तआला की बनाई हुई यह कायनात बड़ी रंग-बिरंगी है, हर चीज़ को अल्लाह तआला ने एक अनोखा रंग दिया है, जिस से इसकी खूबसूरती और पहचान होती है। यहाँ तक के अल्लाह तआला ने पत्थरों को भी एक ऐसा रंग और चमक अता की है, जिस में काले, लाल, हरे और सफेद किस्म के पत्थर पैदा किए हैं जिसको हम मुख्तलिफ तरह से इस्तेमाल करते है।”
ज़रा गौर कीजिए के यह किस की कारीगरी है, ज़मीन के नीचे छिपी हुई इन पत्थरों की चटानों को यह रंग यह चमक और यह खूब सूरती किस ने दी है? यकीनन यह अल्लाह की कुदरत है, जिस ने यह रंग भरी कायनात बनाई है।
3. एक फर्ज के बारे में
औरतों पर रोज़ों की कज़ा करना
हज़रत आयशा (र.अ) फर्माती हैं कि,
“(रसूलुल्लाह (ﷺ) के ज़माने में) जब हम लोगों को माहवारी आती (और उस की वजह से नमाज़ रोज़ा कुछ नहीं कर सकते तो) हमें उन दिनों के कज़ा रोज़ो को रखने का हुक्म दिया जाता था और कज़ा नमाजें पढ़ने का हुक्म नहीं दिया जाता था।”
4. एक सुन्नत के बारे में
इत्र लगाना सुन्नत है
हज़रत आयशा (र.अ) से मालूम किया गया के रसूलुल्लाह (ﷺ) इत्र लगाया करते थे? उन्होंने फर्माया:
हाँ मुश्क वगैरह की उम्दा खुशबू लगाया करते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
लैलतुल कद्र में इबादत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स लैलतुल कद्र में ईमान और सवाब की नियत से (इबादत के लिए) खड़ा होगा, तो उसके अगले सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे।“
6. एक गुनाह के बारे में
आखिरत के अमल से दुनिया तलब करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स आखिरत के किसी अमल से दुनिया चाहता है, उस के चेहरे पर फिटकार होती है, उसका ज़िक्र मिटा दिया जाता है और उसका नाम दोजख में लिख दिया जाता है।”
7. दुनिया के बारे में
इस्तिग़ना इन्सान को महबूब बना देता है
एक शख्स ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से अर्ज़ किया :
ऐ अल्लाह के रसूल (ﷺ) ! मुझे कोई ऐसा अमल बता दीजिए, जिस को मैं करूँ, ताकि अल्लाह और लोग मुझ से मुहब्बत करने लगे, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“दुनिया से मुँह मोड़ लो, तो अल्लाह तुम से मुहब्बत करने लगेगा और जो लोगों के पास है (यानी माल व दौलत), इस से बेरुखी इख्तियार कर लो, तो लोग तुमसे मुहब्बत करने लगेंगे।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जहन्नम की फरियाद
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दोज़खी फरियाद करते हुए कहेंगे: ऐ हमारे परवरदिगार हमें इस जहन्नम से निकाल कर (दुनिया में भेज दे) फिर अगर दोबारा हम ऐसे गुनाह करें, तो हम ही कुसूरवार और सज़ा के मुस्तहिक होंगे। अल्लाह तआला फर्माएगा :
तुम इसी जहन्नम में फिटकारे हुए पड़े रहो और मुझसे बात मत करो।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सिरका के फवाइद
रसूलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“सिरका क्या ही बेहतरीन सालन है।”
वजाहत: सिरका के बारे में मुहहिसीन हज़रात कहते हैं के यह तिल्ली के बढ़ने को रोकता है, जिस्म में वर्म नहीं होने देता,खाने को हज़म करता है, खून को साफ करता है, फोड़े फुसियों को दूर करता है। अल इलाजुन्नबी
10. कुरआन की नसीहत
फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“तुम फक्र व फाका की वजह से अपनी औलाद को कत्ल न करो, हम उनको भी रोज़ी देते हैं और तुमको भी।”
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