22. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

इस्लाम में पहला जुमा , मुर्दा बकरी का खबर देना, नमाज़ छोड़ने वाला,कुफ्र के करीब हो जाता है, वालिदैन के हक में दुआ, कौनसा सदका अफज़ल है?...

22. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

22. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

इस्लाम में पहला जुमा 

“बारह रबीउल अव्वल सन १ हिजरी को जुमा के दिन रसूलुल्लाह (ﷺ) कुबा से मदीना तैयबा के लिए रवाना हुए, बनी सालिम के घरों तक पहुँचे थे कि जुमा का वक्त हो गया। हुज़ूर (ﷺ) ने उन की मस्जिद में जुमा की नमाज़ अदा की।” इस्लाम में यह पहली नमाज़े जुमा थी जिसे आप (ﷺ) ने मदीना तैयबा में अदा किया। 

आप (ﷺ) ने खुत्बा देते हुए फर्माया : 

“अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, वह तन्हा है, उस का कोई शरीक नहीं और मुहम्मद (ﷺ) उस के बंदे और रसूल हैं, लिहाज़ा जो कोई अल्लाह और रसूल की इताअत करेगा वह हिदायत पाएगा और जो उन का हुक्म न मानेगा वह भटक जाएगा,

मुसलमानो मैं तुम्हें अल्लाह से डरने की वसिय्यत करता हुँ । बेहतरीन वसिय्यत जो मुसलमान किसी मुसलमान को सकता है, वह यह है के उसे आखिरत के लिए आमादा करे और तकवा इख्तियार करने के लिए कहे।

लोगो ! अल्लाह का ज़िक्र करो और आइंदा जिंदगी के लिए अमल करो, क्योंकि जो शख्स अपने और अल्लाह के दर्मियान मामले को दुरुस्त कर लेता है, अल्लाह तआला उसके और लोगों के दर्मियान मामला को दुरुस्त कर देता है।”

📕 इस्लामी तारीख

2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

मुर्दा बकरी का खबर देना

हज़रत अबू सलमा (र.अ)  फर्माते हैं कि 

“खैबर में एक यहूदी औरत ने एक भुनी हुई बकरी रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में बतौरे हदिया पेश की, जिस में उस ने जहर मिला दिया था। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उस में से कुछ खाया और सहाब-ए-किराम (र.अ)  जो मजलिस में हाज़िर थे, उन्होंने भी उस में से कुछ खाया, मगर फौरन ही रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा (र.अ)  से फर्माया : अपना हाथ खींच लो, इस बकरी ने मुझे खबर दी है कि मुझ में ज़हर मिलाया गया है।”

📕 अबू दाऊद : ४५९२, अन अबी सलमा (र.अ) 

3. एक फर्ज के बारे में

नमाज़ छोड़ने वाला,कुफ्र के करीब हो जाता है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“नमाज़ का छोड़ना आदमी को कुफ्र से मिला देता है।”

दूसरी एक रिवायत में है कि

“ईमान और कुफ्र के दर्मियान नमाज़ छोड़ने का फ़र्क है।”

📕 मुस्लिम : २४६, अन जाबिर (र.अ), इब्ने माजा : १०७८, अन जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ)   

4. एक सुन्नत के बारे में

वालिदैन के हक में दुआ

वालिदैन के लिए इस दुआ का एहतमाम करना चाहिए:

रब्बिर-हा-हम-कमा-रब्बयानी-सगीरा

तर्जुमा : ऐ हमारे पर्वरदिगार ! हमारे वालिदैन पर रहम फर्मा जैसा के उन्हों ने बचपन में हमारी परवरिश की है।

📕 सूर बनी इसराइल : २४

5. एक अहेम अमल की फजीलत

कौनसा सदका अफज़ल है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) से मालूम किया गया के रमज़ान के बाद कौन से रोज़े अफज़ल हैं? 

फर्माया : शाबान के, 

रमज़ान की ताज़ीम की वजह से अर्ज़ किया गया : कौन सा सदका अफज़ल है?

फर्माया : रमज़ान में सदका करना।

📕 तिर्मिजी : ६६३, अन अनस दिन मालिक (र.अ) 

6. एक गुनाह के बारे में

अल्लाह और रसूल का हुक्म न मानने का गुनाह

क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“बिलाशुबा जो लोग अल्लाह और उस के रसूल को (उनका हुक्म न मान कर) तक्लीफ देते है, अल्लाह तआला उन पर दुनिया और आखिरत में लानत करता है और उन के लिए ज़लील करने वाला अज़ाब तय्यार कर रखा है।”

📕 सूर-ए- अहजाब: ५७

7. दुनिया के बारे में

अल्लाह ही रोज़ी तकसीम करता हैं

क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

“दुनियवी जिंदगी में उन की रोज़ी हम ने ही तकसीम कर रखी है और एक को दूसरे पर मर्तबा के एतबार से फज़ीलत दे रखी है ताकि एक दूसरे से काम लेता रहे।”

📕 सूर-ए-जुखरुफ़ :३२

8. आख़िरत के बारे में

कम दर्जे वाले जन्नती का इन्आम 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“अदना दर्जे का जन्नती वह होगा, जिस के एक हज़ार महल होंगे हर दो महलों के दर्मियान एक साल के बराबर चलने का फासला होगा, यह जन्नती दूर के महलों को इसी तरह देखेगा जिस तरह करीब के महलों को देखेगा, हर एक महल में खूबसूरत गहेरी सियाह आँखों वाली हूर होंगी और उम्दा बाग और (खिदमत के लिए) लड़के होंगे, जिस चीज़ की भी वह तलब करेगा, उस को पेश कर दी जाएगी।”

📕 तर्गाब:५२८०, अन इब्ने उमर (र.अ)  

9. कुरआन की नसीहत

मौसमी फलों के फ्वाइद

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

कुल्लू-मिन-समारिही-इज़ा-असमारा

तर्जुमा : जब दरख्त पर फल आए, तो उसे खाओ।

📕 सूर-ए-अनआम : १४१

वजाहत: मौसमी फलों का इस्तेमाल सेहत के लिए मुफीद है और बहुत सी बीमारियों से से हिफाज़त का ज़रिया भी है।

10. नबी (ﷺ) की नसीहत

बच्चों को सात साल की उम्र में नमाज़ का हुक्म

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अपने बच्चों को सात साल की उम्र में नमाज़ का हुक्म किया करो, दस साल की उम्र में नमाज़ न पढ़ने की वजह से उन्हें मारो और इस उम्र में पहुँच कर बहन भाई को अलाहिदा-अलाहिदा बिस्तरों पर सुलाओ।”

📕 अबू दाऊद : ४९५, अन अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ) 

Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book)

₹359 Only

एक टिप्पणी भेजें

© Hindi | Ummat-e-Nabi.com. All rights reserved. Distributed by ASThemesWorld