23. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
23. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
मस्जिदे नबवी की तामीर
मदीना तैयबा में कयाम के बाद रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सब से पहले एक मस्जिद की तामीर की, जिसे मस्जिदे नबवी के नाम से जाना जाता है। जहां आप (ﷺ) का कयाम था उस से मिली हुई दो यतीम बच्चों की ज़मीन थी, आप (ﷺ) ने इस को मस्जिद के लिए पसंद फर्माया।
इन दोनों बच्चों ने उसे मुफ्त पेश करना चाहा; मगर आप (ﷺ) ने उसे कीमत देकर खरीदा रसूलुल्लाह (ﷺ) और सहाबा (र.अ) ने अपने हाथों से इस मस्जिद की तामीर की।
सहाब-ए-किराम (र.अ) पत्थर उठा उठा कर लाते और खुशी में शौकिया अशआर पढ़ते और अल्लाह का शुक्र बजा लाते, रसूलुल्लाह (ﷺ) भी इन के साथ आवाज़ मिलाते और यह पढ़ते:”
तर्जुमा : ऐ अल्लाह! अस्ल उजरत तो आखिरत की उजरत है, ऐ अल्लाह! अन्सार व मुहाजिरीन पर रहम फर्मा, यह मस्जिद इस्लाम की सादगी की सच्ची तस्वीर थी।
इस की दीवारें कच्ची थीं, इस के पाए खजूर के तने थे और इस की छत खजूर के पत्ते के थे। मगर इस का इमाम अल्लाह का नबी (ﷺ) और इसके नमाज़ी सहाब-ए-किराम (र.अ) जैसी मुकद्दस हस्तियाँ थीं।
2. अल्लाह की कुदरत
ज़मज़म का पानी
शहरे मक्का में बैतुल्लाह के करीब हज़ारों साल से ज़मज़म का चश्मा जारी है जिस से लाखों करोड़ों इन्सान पानी पीते हैं।
हमारे ज़माने में तकरीबन तीस लाख मुसलमान हर साल हज के लिए जाते हैं, हर शख्स ज़मज़म पीता है और घर लौटते वक्त ज़्यादा से ज़्यादा ले जाने की कोशिश करता है। अरब के मुख्तलिफ शहरों में पहुँचाया जाता है, इसके अलावा साल भर उमरा करने वालों का हुजूम रहता है।
यह अल्लाह तआला की जबरदस्त कुदरत है, कि आज तक इस में पानी की कमी नहीं हुई, यकीनन यह अल्लाह के खज़ाने से आता है और उस के खज़ाने में किसी चीज़ की कमी नहीं।
3. एक फर्ज के बारे में
ज़मीन की पैदावार में ज़कात
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“जिस ज़मीन की सिंचाई बारिश, चशमे या नहर के पानी से की जाती हो, उस (की पैदावार) में दसवाँ हिस्सा निकालना फ़र्ज़ है और जिस की सिंचाई (कूएं वगैरह से) रहट या टयुबवेल या पंप वगैरह के ज़रिये की जाती हो तो उस (की पैदावार) में बीसवाँ हिस्सा निकालना फ़र्ज़ है।”
📕 बुखारी : १४८३. अन इब्ने उमर (र.अ)
वजाहत: जिस तरह माले तिजारत में ज़कात फ़र्ज़ है, इसी तरह ज़मीन की पैदावार में भी ज़कात फ़र्ज़ है।
4. एक सुन्नत के बारे में
ईदुल फित्र की नमाज़ से पहले मीठी चीज़ खाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ईदुल फित्र के दिन ईदगाह जाने से पहले चंद खजूरे तनाउल फर्माते थे और उनकी तादाद ताक होती थी यानी (तीन, पाँच, सात वगैरह)।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
किसी को कपड़ा पहनाना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स किसी को कपड़ा पहनाए तो जब तक वह कपड़ा उसके बदन पर रहेगा, पहनाने वाला अल्लाह तआला की हिफाज़त में रहेगा।”
6. एक गुनाह के बारे में
सूद की नहूसत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“सूद के सत्तर गुनाह है सब से कमतर दर्जा ऐसा है, जैसे कोई शख्स अपनी माँ के साथ जिना करे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया,आखिरत के मुकाबले में
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:
“अल्लाह की कसम! दुनिया आखिरत के मुकाबले में इतनी सी है कि तुम में से कोई अपनी उंगली समंदर में डाले, फिर निकाले और देखे के उस उंगली पर कितना पानी लगा है।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत के लिए हूरें
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“उन अहले जन्नत के पास नीची निगाह रखने वाली बड़ी-बड़ी आँखे वाली हूरें होंगी, वह हूरे सफाई में ऐसी होंगी, गोया वह छुपे हुए अंडे हैं।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
खाने के बाद उंगलियाँ चाटना
“रसूलुल्लाह (ﷺ) जब खाना खा लेते तो अपनी तीनों उँगलियों को चाटते।”
📕 मुस्लिम: ५२९६. अन कअब बिन मालिक (र.अ)
वजाहत: अल्लामा इब्ने कय्यिम (र.अ) कहते हैं कि खाना खाने के बाद उंगलियाँ चाँटना हाज़मे के लिए इन्तेहाई मुफीद है।
10. कुरआन की नसीहत
अल्लाह और उस के फरिश्ते हुज़ूर पर रहमत भेजते हैं
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“बेशक अल्लाह और उस के फरिश्ते हुज़ूर पर रहमत भेजते हैं। ऐ ईमान वालो तुम भी उन पर दुरुद और सलाम भेजा करो।”
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