24. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
24. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
ग़ज़व-ए-बद्र
“जब मुसलमान हिजरत कर के मदीना चले गए और खुशगवार माहौल में लोगों को इस्लाम की दावत देनी शुरू की और दूर-दूर इस का चर्चा होने लगा, तो लोग इस्लाम में दाखिल होने लगे।
चुनांचे मुसलमानों की इस बढ़ती हुई तादाद को देख कर कुफ़्फ़ारे मक्का अपने लिए खतरा महसूस करने लगे, इसलिए उन्हों ने मुसलमानों को सफह-ए-हस्ती से मिटाने के लिए एक तिजारती काफले को अबू सुफियान की सरपरस्ती में सरमाया लगा कर मुल्के शाम भेजा, ताकि उस की आमदनी से भारी जंगी साज व सामान खरीद कर मुसलमानों से फैसला कुन जंग की जाए।
जब रसूलुल्लाह (ﷺ) को यह खबर मिली कि अबू सुफियान एक बड़े तिजारती काफले को लेकर शाम से मक्का वापस आ रहा है, जिसमें जंगी सामान भी है, तो आप (ﷺ) ने सहाबा (र.अ) को आगे बढ़ कर उस काफले को रोकने का हुक्म दिया।
मुसलमानों की इस पेश कदमी की खबर मिलते ही अबू सुफियान ने मदद के लिए कुरैशे मक्का को इत्तिला दी, इस खबर को सुनते ही कुरैशे मक्का एक बड़ा लश्कर ले कर मुकाबले के लिए निकल पड़े, अबू सुफियान हालात को समझते हुए रास्ता बदल कर अपने तिजारती काफले के साथ साहिली रास्ते से मक्का पहुँच गया।
इधर कुरैशे मक्का और मुसलमानों के लशकर का मैदाने बद्र में आमना सामना हुआ, जिसके नतीजे में जंगे बद्र का वाकिआ पेश आया।”
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
सुतून का रोना
रसूलुल्लाह (ﷺ) मस्जिदे नबवी में खजूर के एक सुतून से सहारा लगाकर खुतबा दिया करते थे, बाद में जब मिम्बर तैयार हो गया और रसूलुल्लाह (ﷺ) जुमा के दिन जब खुतबा देने के लिए मिम्बर पर तशरीफ़ ले गए, तो वह सुतून बच्चों की तरह रोने लगा।
रसूलुल्लाह (ﷺ) मिम्बर से उतरे और उस को अपने बदन से चिमटाया, तो वह बच्चों की तरह सिसकने लगा,
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: यह सुतून हमेशा ज़िक्र यानी खुतबा सुना करता था, अब जो न सुना तो रोने लगा।”
3. एक फर्ज के बारे में
रुकू व सजदा अच्छी तरह न करने पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“बदतरीन चोरी करने वाला शख्स वह है जो नमाज़ में से भी चोरी कर ले सहाबा ने अर्ज़ किया या रसूलल्लाह (ﷺ) नमाज़ में से किस तरह चोरी करेगा?
फर्माया : वह रूकू और सजदा अच्छी तरह से नहीं करता है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
शादी के मौके पर दुआ देना
जब कोई शादी करता तो रसूलुल्लाह (ﷺ) उसको मुबारकबा दी पर यह दुआ देते:
بَارَكَ اللّهُ لَكَ وَبَارَكَ عَلَيكَ وَجَمَعَ بَينَكُمَا فِى خَيرٍ
तर्जुमा : अल्लाह तुम्हारी शादी मुबारक करे और तुम पर बरकतें नाज़िल फरमाए और खैर व खूबी के साथ तुम्हारे दर्मियान मुहब्बत पैदा फर्माए।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
आख़िर रात में इबादत करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“हर रात में जब रात का आखरी तिहाई हिस्सा बाकी रह जाता है, तो अल्लाह तआला पहले आसमान पर नुज़ूल फरमाता हैं और यह एलान करता हैं कि कौन है, जो मुझसे दुआ मांगे और मैं उसकी दुआ कबूल कर और कौन है जो मुझसे सवाल करे और मैं उसको अता करूँ और कौन है जो मुझसे मग़फ़िरत तलब करे और मैं उस को माफ़ करूं।”
6. एक गुनाह के बारे में
अल्लाह की आयतों को न मानने का गुनाह
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हर उस झूटे गुनहगार के लिए बड़ी तबाही होगी जो अल्लाह की आयतों को सुनता है, जब वह उस के सामने पढ़ी जाती है, फिर भी वह तकब्बुर करता हुआ (अपने कुफ्र पर इसी तरह) अड़ा रहता है गोया उसने उन आयतों को सुना ही नही, तो आप ऐसे शख्स को दर्दनाक अज़ाब की खबर सुना दीजिए।”
7. दुनिया के बारे में
जो कुछ खर्च करना है दुनिया ही में कर लो
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“हमने तुमको जो कुछ दिया है, उसमें से खर्च करो इससे पहले के तुममें से किसी को मौत आ जाए और फिर (मौत को देख कर) कहने लगे के ऐ मेरे रब! तूने मुझ को और थोड़े दिनों की मोहलत क्यों नदी? ताकि खूब खर्च कर के नेक लोगों में शामिल हो जाता।”
8. आख़िरत के बारे में
जन्नती औरत की खूबसूरती
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“अगर जन्नत की कोई औरत ज़मीन वालों की तरफ झांक ले तो ज़मीन व आसमान के दर्मियान तमाम चीज़ो को रौशन कर दे और उसको खुशबू से भर दे और उसके सर की ओढ़नी दुनिया और तमाम चीज़ों से बेहतर है।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
दर्द सर से हिफाज़त
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“हम्माम (गुस्ल खाना) से निकलने के बाद क़दमों को ठंडे पानी से धोना दर्द सर से हिफाज़त का ज़रिया है।”
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
आराम व राहत में भी खूब से दुआ किया करे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो बन्दा यह चाहता है कि अल्लाह तआला रंज व मुसीबत के वक्त उसकी दुआ कबूल करे, तो उसको चाहिए के आराम व राहत में भी खूब से दुआ किया करे।”
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