25. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

ग़ज़व-ए-बद्र में मुसलमानों की फतह, एक अजीब परिंदा, हज की फर्ज़ियत, ईदगाह एक रास्ते से जाना, दूसरे से आना, किसी को खिलाने पिलाने का इन्आम, माल जमा करने

25. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

25. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

ग़ज़व-ए-बद्र में मुसलमानों की फतह

कुरैशे मक्का ने मदीना पर हमला करने और अबू सुफियान के काफले की हिफाज़त के लिए एक हज़ार पर मुश्तमिल लश्कर और जंगी सामान से लैस हो कर मैदाने बद्र में पानी के चश्में के पास पड़ाव डाला।

दूसरी तरफ हुज़ूर (ﷺ) 17 रमज़ानुल मुबारक सन २ हिजरी में सहाब-ए-किराम को ले कर मैदाने बद्र पहुँच गए, मुसलमानों की तादाद तीन सौ तेरह या कुछ ज़्यादा थी, उनके पास सिर्फ सतरह ऊँट, दो घोड़े और आठ तलवारें थीं, मगर मुसलमान अपनी तादाद की कमी और बे सरो सामानी के बावजूद शहादत के शौक में बहादुरी के जौहर दिखाने के लिए बेताब थे।

हुज़ूर (ﷺ) सहाबा (र.अ)  की सफें दुरुस्त फर्मा कर खेमे में तशरीफ ले गए और सजदे की हालत में दुआ फर्माई —

“ऐ अल्लाह! अगर आज तूने इस मुट्ठी भर जमात को हलाक कर दिया तो रूए ज़मीन पर तेरी इबादत करने वाला कोई नहीं रहेगा”

अल्लाह तआला ने आप (ﷺ) की इस दुआ की बरकत और सहाबा (र.अ) की जाँ निसारी की बदौलत मसलमानों को शानदार कामयाबी अता फर्माई, कफ्फारे मक्का में से उतबा, शैबा, अबुजहल, उमय्या दिन खल्फ जैसे बड़े-बड़े सत्तर काफिर मारे गए और सत्तर कैद कर लिए गए, जबकि मुसलमानों में भी चौदह सहाब-ए-किराम (र.अ)  शहीद हुए।”

📕 इस्लामी तारीख

2. अल्लाह की कुदरत

एक अजीब परिंदा

“बय” नामी एक छोटा सा परिंदा है, जो ऊँचे-ऊँचे दरख्तों पर अपना घोंसला बनाता है, इसका घोंसला सुराही की तरह हर तरफ से बंद हेता है, सिर्फ एक तरफ से जाने का रास्ता होता है, इस में बारिश का एक कतरा पानी भी नही जा सकता।

इस घोंसले में अपनी सारी ज़रूरतें पूरी करने का अलग-अलग इन्तेज़ाम करता है, यहाँ तक के रौशनी का इन्तेज़ाम इस तरह करता है, कि हर दिन एक जुगनू पकड़ कर लाता है और उसको घोंसले में फंसा देता है और वह जुगनू रात भर रौशनी देता रहता है।

गौर कीजिए के वह कौन है, जिसने एक छोटे से परिंदे को इन्सानों की तरह ऐसे हूनर व फन अता किया? यह सब अल्लाह की कुदरत का नमूना है।”

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

हज की फर्ज़ियत

रसूलुल्लह (ﷺ) ने फर्माया : 

“ऐ लोगों ! तुम पर हज फ़र्ज़ कर दिया गया है, लिहाज़ा उसको अदा करने की फिक्र करो।”

📕 मुस्लिम : ३२५७, अन अबी हुरैरह (र.अ)

वजाहत: जो कोई अपने घर के नान व नफ़के के अलावा हज करने पर कुदरत रखता हो, तो ऐसे शख्स पर हज करना फ़र्ज़ है।

4. एक सुन्नत के बारे में

ईदगाह एक रास्ते से जाना, दूसरे से आना

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ईदगाह एक रास्ते से तशरीफ ले जाते और दूसरे रास्ते से तशरीफ़ लाते।”

📕 अबू दाऊद : ११५६, अन इब्ने उमर (र.अ)

5. एक अहेम अमल की फजीलत

किसी को खिलाने पिलाने का इन्आम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया : 

“जो शख्स अपने (मुसलमान) भाई को खाना खिलाए हत्ता के उस को सैर करा दे और उस को पानी पिलाए, यहां तक के उसकी प्यास बुझा दे, तो अल्लाह तआला उस को जहन्नम से सात खंदकें दूर कर देगा, जिनमें से हर दो खंदकों के दर्मियान पाँच सौ साल की दूरी होगी।”

📕 मुस्तदरक : ७१७२, अन अब्दुल्लाह बिन अम्र (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

माल जमा करने का वबाल

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

“जो शख्स अपने पीछे खज़ाना छोड़ जाए, तो वह खज़ाना एक गंजा दो नुक्ते वाला सांप बन कर कयामत के दिन उस शख्स के पीछे लग जाएगा।

वह शख्स घबरा कर कहेगा: तू क्या बला है? वह कहेगा : मैं तेरा खज़ाना हुँ जिस को तू छोड़ कर आया था, फिर वह सांप उस के हाथ को खा लेगा, फिर सारे बदन को खाएगा।”

📕 सहीह इब्ने हिज्जान : ३३२६, अन सीवान (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

आदमी का दुनिया में कितना हक है?

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

इब्ने आदम को दुनिया में सिर्फ चार चीज़ो के अलावा और किसी की ज़रुरत नहीं :

(१) घर जिस में वह रहता है,

(२) कपड़ा जिससे वह सतर छुपाता है,

(३) खुश्क रोटी,

(४) पानी”

📕 तर्मिज़ी : २३४१, अन उस्मान बिन अफ़्फ़ान (र.अ)

8. आख़िरत के बारे में

अहले जहन्नम पर दर्दनाक अज़ाब

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है: 

“बेशक जक्कूम का दरख्त बड़े मुजरिम का खाना होगा, जो तेल की तलछट जैसा होगा, वह पेट में तेज़ गर्म पानी की तरह खौलता होगा।

(कहा जाएगा) इस गुनहगार को पकड़ लो और घसीटते हुए दोज़ख के बीच में ले जाओ, फिर उसके सर पर तकलीफ देने वाला खौलता हुआ पानी डालो (फिर कहा जाएगा) अज़ाब का मज़ा चख ! तू अपने आप को बड़ी इज़्ज़त व शान वाला समझता था, यही वह अज़ाब है जिसके बारे में तुम शक किया करते थे।”

📕 सूर दुखान : ४३ ता ५०

9. तिब्बे नबवी से इलाज

सूरह फातिहा से इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: 

“सूर-ए-फातिहा हर मर्ज़ की दवा है।”

📕 सुनने दार्मी : ३४३३, अन अब्दुल मलिक बिन उमेर (र.अ)

वजाहत: अल्लामा इब्ने कय्यिम फर्माते हैं : अगर जिस्म में कहीं दर्द हो, तो दर्द की जगह हाथ रखकर सात मर्तबा "सूर-ए-फ़ातिहा" पढ़े इन्शा-अल्लाह आराम मिलेगा।

10. कुरआन की नसीहत

गर कोई गुनहगार तुम्हारे पास कोई खबर लेकर आए, तो उसकी तहकीक करो

“ऐ ईमान वालो! अगर कोई गुनहगार तुम्हारे पास कोई खबर लेकर आए, तो उसकी तहकीक कर लिया करो कहीं ऐसा न हो, के तुम किसी कौम को अपनी ला-इल्मी से कोई नुक्सान पहुँचा दो, फिर तुमको अपने किए पर पछताना पड़े।”

📕 सूर हुजरात:६

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