27. रमजान | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
27. Ramzan | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
फतहे मक्का
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सुलहे हुदैबिया में मुशरिकीने मक्का से जो मुआहदा किया था उन्होंने उसकी खिलाफ वर्ज़ी करते हुए बनु बक्र के साथ मिल कर मुसलमानों के हलीफ कबील-ए-बनू खुजाआ पर हमला किया। हरम में पनाह लेने के बावजूद भी उन्हें कत्ल किया
जब हुज़ूर (ﷺ) को उन की बद अहदी और कत्ल व गारत गरी का हाल मालूम हुआ, तो आप (ﷺ) २१ रमज़ान सन ८ हिजरी को दस हज़ार सहाब-ए-किराम का अज़ीमुश्शान लश्कर ले कर फातेहाना शान से मक्का में दाखिल हुए, अहले मक्का ने जो ज़ुल्म व सितम तेरह साला दौर में हुज़ूर (ﷺ) और सहाबा पर किया था, आज (ﷺ) वह यह सोच रहे थे कि हमसे हर एक ज़ुल्म का बदला लिया जाएगा, मगर रहमते आलम (ﷺ) के अफ्च व दर गुज़र का हाल देखिए के जिन दुश्मनों ने आप (ﷺ) को गालियाँ दी थीं, रास्ते में काँटे बिछाए थे, जिस्मे अतहर पर नमाज़ की हालत में गंदगी डाली थी, आप (ﷺ) को दीवाना व पागल कहा था (नऊज़ुबिल्लाह), हत्ता के आप (ﷺ) को महबूब वतन मक्का छोड़ने पर मजबूर किया और हिजरत के बाद भी मदनी जिंदगी में आप (ﷺ) के साथ जंग करते रहे और आप (ﷺ) के कत्ल की साजिशें करते रहे।
मगर कुर्बान जाइए के हुज़ूर ने ऐसे तमाम ज़ालिम दुश्मनों के हक में आम माफी का एलान फर्मा दिया, आप (ﷺ) के इस रहम व करम को देख कर बहुत से लोग इस्लाम में दाखिल हो गए।
मोहसिने इन्सानियत ने अपने जानी दुश्मन के साथ जिस हुस्ने सुलूक, अच्छे अख्लाक और रहम व करम का मामला किया, क्या दुनिया की तारीख इस की मिसाल पेश कर सकती है? हरगिज़ नहीं।”
2. अल्लाह की कुदरत
पहाड़ों से चश्मे का जारी होना
ज़मीन पर बड़े-बड़े पहाड़ हैं, जिनको अल्लाह तआला ने सख्त पत्थरों से बनाया है, यह ज़मीन से सैकड़ों और हज़ारों फिट ऊंचे होते हैं, अगर सोचा जाए, तो वहां पानी का नाम व निशान भी नहीं होना चाहिए, लेकिन यह अल्लाह तआला की बड़ी अनोखी कुदरत है, कि वह हज़ारों फिट ऊंचे पत्थरों से पानी के साफ व शफ्फाफ़ चश्मे जारी कर देता है और यह चश्मे धीरे-धीरे बढते रहते हैं, यहां तक के वह पहाडों से निकल कर नदियों और नहरों की शक्ल में जारी हो जाते हैं।
यह अल्लाह की कुदरत है कि सख्त तरीन पत्थरों के दर्मियान से पानी का चश्मा जारी कर देते हैं।”
3. एक फर्ज के बारे में
सदका ए फित्र
“हज़रत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ) बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने बेहयाई और फुज़ूल बातों से रोज़े की सफाई और गरीबों के खाने के इन्तेज़ाम के लिए सदका-ए-फित्र को वाजिब करार दिया है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
जुमा और इदैन के लिए गुस्ल करना
‘आप (ﷺ) जुमा, ईदैन और अरफा के दिन गुस्ल फ़रमाते थे।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
बेटियों की अच्छी तरह परवरिश करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस मुसलमान की दो बेटियाँ हों और उसने उन के साथ अच्छा बर्ताव किया, तो यही बेटियाँ उसको जन्नत में दाखिल कराएँगी।”
📕 इब्ने माजा: ३६७०, अन इब्ने अब्बास (र.अ)
वजाहत: यहां दो बेटियों का ज़िक्र है, दूसरी हदीसों में एक या दो से ज़्यादा बेटियों का भी ज़िक्र आया है, इससे मालूम हुआ जितनी भी हो उनकी अच्छी तर्बियत करनी चाहिए। इसपर अल्लाह ने बड़ा इन्आम रखा है।
6. एक गुनाह के बारे में
नमाज़ छोड़ने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स जान बूझ कर नमाज़ छोड़ देता है, अल्लाह तआला उस के सारे आमाल बेकार कर देता है और अल्लाह का ज़िम्मा उससे बरी हो जाता है जब तक के वह अल्लाह से तौबा न कर ले।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की मुहब्बत हलाक करने वाली है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“खूश हो जाओ और अपने मतलूब की उम्मीद रखो। अल्लाह की कसम मुझे तुम्हारे मोहताज होने का अन्देशा नही, मुझे तो इस बात का अन्देशा है, कहीं तुम पर दुनिया खोल न दी जाए, जिस तरह तुम से पहलों पर खोली गई थी, पस तुम इसमें इस तरह रगबत ज़ाहिर करने लगो, जिस तरह उन लोगों ने की थी और वह दुनिया तुम्हें इस तरह हलाक कर दे, जिस तरह उनको किया था।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत के उम्दा फर्श
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“(अहले जन्नत) सब्ज रंग के नक्श व निगार वाले फर्शों और उम्दा कालीनों पर तकिया लगाए बैठे होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
सबसे उम्दा गिज़ा
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“बेहतरीन गिज़ा मौसम का पहला फल है।”
📕 कंजुल उम्माल : २८२९०, अन अनस (र.अ)
वजाहत: यूँ तो मेवा और मौसमी फल सेहत को बरकरार रखने और मौसमी बीमारियों से बचने का अहम नुख्सा हैं मगर मौसम का पहला फल गिज़ा के ऐतबार से सबसे उम्दा होता है।
10. कुरआन की नसीहत
मुसलमान आपस में भाई हैं
क़ुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“मुसलमान आपस में एक दूसरे के भाई हैं, अगर इनके दर्मियान लडाई हो जाए तो अपने दो भाईयों के दर्मियान सुलह करा दिया करो और अल्लाह से डरते रहा करो, ताकि तुम पर रहम किया जाए|”
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