1. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
1. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
उम्मुल मोमिनीन हज़रत खदीजा (र.अ)
हजरत खदीजा बिन्ते खुवैलिद (र.अ) बड़ी बा कमाल और नेक सीरत खातून थीं, उनका तअल्लुक कुरैश के मुअज्जज खानदान से था, वह खुद भी बाअसर और कामयाब तिजारत की मालिक थीं। उनकी पहली शादी अबूहाला से हुई जिन से दो लड़के पैदा हुए उन के इन्तेकाल के बाद दूसरी शादी अतीक बिन आबिद मखजूमी से हुई उनसे एक लड़की पैदा हुई, कुछ दिनों के बाद अतीक की भी वफ़ात हो गई।
हजरत खदीजा (र.अ) की शराफ़त व मालदारी की वजह से बहुत से सरदाराने कुरैश उन के साथ निकाह करने के ख्वाहिशमन्द थे, मगर उन्होंने सबसे इन्कार कर दिया।
जब उन्होंने हुजूर (ﷺ) की अमानत व सच्चाई की शोहरत सुनी तो उनसे निकाह की रगबत पैदा हुई, मजीद तसल्ली के लिए आप को माले तिजारत देकर अपने गुलाम मैसरा के साथ मुल्के शाम भेजा, फिर जब आप सफ़र से वापस तशरीफ़ लाए, तो हजरत खदीजा (र.अ) ने तिजारत में बरकत और आप की अमानत व अख्लाक़ से मुतअस्सिर होकर खुद निकाह का पैगाम भेजा। रसूलुल्लाह (ﷺ) ने इस का तजकिरा अपने मुश्फ़िक चचा अबू तालिब से किया, उन्होंने बखुशी मंजूर किया और आप का निकाह हज़रत खदीजा (र.अ) से कर दिया। उस वक्त हज़रत खदीजा (र.अ) की उम्र चालीस साल और आप (ﷺ) की उम्र मुबारक पच्चीस साल थी।
2. अल्लाह की कुदरत
अल्लाह की कुदरत : समुन्दर का उतरना चढ़ना
अल्लाह तआला की जबर्दस्त कुदरत
समुन्दर के किनारे अगर आप जाएँ तो देखेंगे के समुन्दर का पानी किनारे की तरफ़ कभी चढ़ जाता है और कभी उतर जाता है, लेकिन उस के चढने की एक हद होती है; अगर वह उस हद को पार कर जाए तो ज़बरदस्त जानी व माली नुक्सान हो जाए, क्योंकि दुनिया का तीन हिस्सा पानी और एक हिस्सा खुश्की है।
यह अल्लाह तआला की जबर्दस्त कुदरत है जिसने समुन्दरों को उनकी हदों में रोक रखा है।
3. एक फर्ज के बारे में
अल्लाह तआला पूरी कायनात का रब है
तमाम आलम का पर्वरदिगार है।
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“सुन लो ! अल्लाह तआला ही का काम है पैदा करना और हुक्म चलाना, वह बड़े कमालात वाला अल्लाह है, जो तमाम आलम का पर्वरदिगार है।”
वजाहत: पूरी दुनिया का रब अल्लाह तआला के अलावा कोई नहीं है। लिहाजा हमारे लिए जरूरी है के हम उस पर ईमान लाएँ और उस का हुक्म मानें।
4. एक सुन्नत के बारे में
माफ़ करने की सुन्नत
आयशा (र.अ) बयान करती हैं के
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी जात के लिए कभी किसी से कोई बदला नहीं लिया।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
शव्वाल में छ: (६) रोजे की फ़ज़ीलत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जो शख्स रमजान के रोजों को रखने के बाद शव्वाल के छ: (६) रोजे भी रखे, तो वह पूरे साल के रोजे रखने के बराबर है।”
वजाहत: जो शख्स शव्वाल के पूरे महीने में कभी भी इन छ रोजों को रखेगा तो वह इस फजीलत का मुस्तहिक होगा।
6. एक गुनाह के बारे में
मुनाफ़िक की निशानियाँ
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“मुनाफ़िक की तीन निशानियाँ हैं: जब बात करे तो झूट बोले, वादा करे तो पूरा न करे, जब कोई अमानत रखी जाए तो उस में खयानत करे।”
7. दुनिया के बारे में
मौत और माल की कमी से घबराना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“आदमी दो चीज़ों को नापसंद करता है, (हालांकि दोनों उस के लिए खैर है) एक मौत को, हालांकि मौत फ़ितनों से बचाव है, दूसरे माल की कमी को, हालांकि जितना माल कम होगा उतना ही हिसाब कम होगा।”
8. आख़िरत के बारे में
हर एक को नाम-ए-आमाल के साथ बुलाया जाएगा
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“वह दिन याद करने के काबिल है, जिस दिन तमाम आदमियों को उनके नाम-ए-आमाल के साथ मैदाने हश्र में बुलाएंगे, फिर जिनका नाम-ए-आमाल उन के दाहिने हाथ में दिया जाएगा, तो वह (खुश हो कर) अपने नाम-ए-आमाल को पढ़ने लगेंगे उन पर एक धागे के बराबर भी जुल्म नहीं किया जाएगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
हर बीमारी का इलाज
एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:
तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।
10. कुरआन की नसीहत
अमानत वालों को अमानतें वापस कर दिया करो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“अल्लाह तआला तुमको हुक्म देता है के अमानत वालों को उनकी अमानतें वापस कर दिया करो।”
Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book) ₹359 Only |