12. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
12. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत दुर्रह बिन्ते अबी लहब (र.अ.)
हजरत दुर्रह (र.अ.) हुजूर के चचा अबूलहब की बेटी थीं, हिजरत से पहले मक्का मुकरमा में ईमान लायी, उन के शौहर हज़रत हारिस बिन नौफल (र.अ.) ने भी इस्लाम कबूल किया, फिर दोनों ने मदीना की हिजरत की। हजरत दुर्रह जब मदीना पहुँची, तो मदीने की औरतों ने कहा : तुम्हारे हिजरत करने से कोई फायदा नहीं इसलिए के तुम्हारे बाप अबूलहब के खिलाफ़ एक सूरह नाजिल हुई; उन्होंने हुजूर (ﷺ) से शिकायत की, तो हुजूर(ﷺ) ने नमाज के बाद लोगों को जमा किया और फ़र्माया : मेरे खानदान वालों के बारे में मुझे क्यों तकलीफ़ दी जाती हैं? हुजूर, की इस बात से लोगों को अपनी गलती का एहसास हुआ,
हज़रत दुर्रह (र.अ.) की फ़ज़ीलत के लिए इतना काफ़ी है के हुजूर (ﷺ) ने उनके लिए फर्माया: जो तुम्हें गुस्सा दिलाएगा अल्लाह को उस पर गुस्सा आएगा और फ़रमाया : मैं तुम से हुँ और तुम मुझ से हो।
हजरत दुर्रह(र.अ.) है के वालिद अबू लहब को हुजूर (ﷺ) से सख्त दुश्मनी थी, उस के बावजूद अपने वालिद की परवाह किए बगैर उन्हों ने इस्लाम कबूल किया। यह इस्लाम की हक्कानियत की दलील है।
हुजूर ने फ़तहे मक्का के बाद हज़रत दुर्रह के शौहर हज़रत हारिस (र.अ.) को जिद्दह का गवर्नर बनाया था। हजरत दुर्रह (र.अ.) से मुहद्दिसीन ने कुछ हदीसें नकल की हैं। उन की वफ़ात हज़रत उमर (र.अ.) के जमान-ए-खिलाफ़त में सन २० हिजरी में हुई।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
जैद बिन अरकम (र.अ.) के बारे में पेशनगोई
अल्लाह तआला ने नारियल को बनाया और अपनी कुदरत से इस में ऐसा पानी रखा के वह पानी अगर जमीन को खोदें तो उसमें नहीं, दरख्त को काटें तो उस में नहीं, लेकिन अल्लाह तआला ने सिर्फ अपनी कुदरत से इस फल के अंदर ऐसा पानी रखा है जिस में बहुत सी बीमारियों के लिए शिफा और इलाज है।
हज़रत उनैसा (र.अ.) फर्माती हैं एक मर्तबा मेरे वालिद हजरत जैद बिन अरकम (र.अ.) बीमार हुए तो रसूलुल्लाह (ﷺ) इयादत के लिए तशरीफ लाए, आप ने फ़रमाया: यह बीमारी तो इतनी ज़ियादा खतरनाक नहीं इस लिए कोई हरज नहीं, लेकिन मेरी वफ़ात के बाद तुम्हारी बीनाई चली जाएगी और तुम्हारी उम्र भी जियादा होगी, उस वक्त तुम क्या करोगे?
तो हज़रत जैद (र.अ.) ने फ़र्माया: तब तो मैं सवाब की उम्मीद रखूगा और सब्र करूँगा, हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया : तुम बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल होगे, चुनान्चे आप (ﷺ) के फर्मान के मुताबिक आप की वफ़ात के बाद हजरत जैद (र.अ.) की आँख से रौशनी खत्म हो गई फिर कुछ मुद्दत के बाद अल्लाह ने उन की बीनाई वापस कर दी और फ़िर वफ़ात पाई।
3. एक फर्ज के बारे में
सच्ची गवाही देना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो! इन्साफ़ पर कायम रहते हुए अल्लाह के लिए गवाही दो, चाहे वह तुम्हारी जात, वालिदैन और रिश्तेदारों के खिलाफ़ ही क्यों न हो।”
वजाहत: लिहाजा हर हाल में सच्ची गवाही देना है और झूठी गवाही देने से बचना जरुरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
दुश्मन से बचने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब किसी कौम से खौफ़ या डर महसूस करते तो यह दुआ पढ़ते
اللَّهُمَّ إِنَّا نَجْعَلُكَ فِي نُحُورِهِمْ وَنَعُوذُ بِكَ مِنْ شُرُورِهِمْ
(Allahumma inna najAAaluka fee nuhoorihim wanaAAoothu bika min shuroorihim.)
तर्जमा: ऐ अल्लाह हम तुझ को उन दुश्मनों के मुकाबले में पेश करते हैं और उन के शर्र से पनाह चाहते हैं।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तकवा और हुस्ने अखलाक का दर्जा
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पूछा गया के:
किस अमल से अक्सर लोग जन्नत में जाएंगे?
तो रसूलल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“तक़वा और अच्छे अखलाक की वजह से।”
6. एक गुनाह के बारे में
अल्लाह और रसूल की नाफ़र्मानी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो शख्स अल्लाह और उस के रसूल का कहना न माने वह खुली हुई गुमराही में है।”
7. दुनिया के बारे में
सवारी के जानवर
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“उसी (यानी अल्लाह ने) घोड़े और खच्चर और गधे भी पैदा किए ताके तुम उन पर सवार हो कर जेब व ज़ीनत हासिल करो और आइन्दा भी ऐसी चीजें पैदा कर देगा, जिन को तुम अभी नहीं जानते।”
8. आख़िरत के बारे में
अहले जन्नत की उम्रे
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जन्नती लोग जन्नत में बगैर दाढ़ी के सुर्मा लगाए हुए तीस या तैंतीस साला नौजवान की शक्ल में दाखिल होंगे।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
कान बजने का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जब तुम में से किसी का कान बजे, तो मुझे याद करे और मुझ पर दुरुद भेजे”
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
मौत की तमन्ना न करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“तुम मौत की तमन्ना न करो, क्यों कि आखिरत का मामला निहायत सख्त है; और नेक बख्ती की अलामत यह है के उम्र जियादा हो और उस को तौबा की तौफीक मिल जाए।”
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