14. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
14. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत उम्मे रुमान (र.अ)
हजरत उम्मे रुमान बिन्ते आमिर कनाना हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) की ज़ौजा और उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयशा (र.अ) की वालिद-ए-मोहतरमा हैं, पहले अब्दुल्लाह बिन सखबरा के निकाह में थीं, इन के इन्तेकाल के बाद हजरत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) ने निकाह किया, इब्तेदाई जमाने ही में मुसलमान हो गई थीं, जिस तरह हज़रत अबू बक्र (र.अ) सच्चाई, अमानतदारी और करीमाना अखलाक में मशहूर थे, बिलकुल इसी तरह हज़रत उम्मे रुमान (र.अ) भी सच्चाई, वफ़ादारी और सलीकामंदी में तमाम औरतों के दर्मियान एक अलग हैसियत रखती थीं।
हज़रत अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) जब हिजरत कर के मदीना आगए, तो तमाम अहले खाना मक्का ही में थे। हजरत उम्मे रुमान (र.अ) ने निहायत हौसलामंदी से बच्चों को संभाला और जब मदीना से हजरत जैद बिन हारिसा (र.अ) और अबू राफेअ वगैरा को चंद औरतों को लाने के लिए भेजा, तो उन्हीं के साथ उम्मे रुमान (र.अ) मी हज़रत आयशा और हजरत अस्मा (र.अ) को ले कर मदीना हिजरत कर गई।
उन्होंने सन ९ हिजरी, या उस के बाद इन्तेकाल फ़रमाया, आहजरत (ﷺ) खूद कब्र में उतरे और दुआ ए मगफिरत की।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
दूध में बरकत
एक मर्तबा हज़रत खब्बाब (र.अ) की बेटी एक बकरी लेकर रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास हाज़िर हुई, तो हुजूर (ﷺ) ने उस को एक तरफ बांध दिया और फिर दूहा और फ़रमाया : बड़ा बरतन लाओ,
हजरत खब्बाब (र.अ) की बेटी एक बड़ा बरतन ले आई, जिस में आटा पीसा जाता था, फ़िर हुजूर (ﷺ) ने दूहना शुरु किया, यहाँ तक के वह बरतन भर गया, फिर फ़र्माया: अपने घर वालों को और पड़ोसियों को पिलादो।
📕 दलाइलुन्नुय्यह लिलबैहकी: २३४३
वजाहत: बकरियां आम तौर पर इतना दूध नहीं देती हैं। उस बकरी से इतना जियादा दूध निकलना के घरवाले और पडोसी भी पीलें, यह आपका मुअजिज़ा ही था।
3. एक फर्ज के बारे में
जमात से नमाज़ पढ़ना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“आदमी का जमात से नमाज़ पढ़ना अकेले नमाज़ पढ़ने से बीस दर्जे से भी जियादा फ़जीलत रखता है।”
4. एक सुन्नत के बारे में
पाँच चीज़ों से बचने की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) पाँच चीजों से इस तरह पनाह माँगते थे:
“ऐ अल्लाह ! मैं कन्जूसी, बुज़दिली, बुरी जिंदगी, दिल की बीमारी और अज़ाबे कब्र से तेरी पनाह चाहता हूँ।”
📕 नसई:५४९९
5. एक अहेम अमल की फजीलत
तालिबे इल्म अल्लाह के रास्ते में
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जो शख्स इल्म हासिल करने के लिए घर से निकलता है, वह अल्लाह के रास्ते में होता है,यहाँ तक के लौट कर वापस आजाए।”
6. एक गुनाह के बारे में
झूटे खुदाओं की बेबसी
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जिस को तुम अल्लाह के सिवा पुकारते हो, वह खजूर की गुठली के एक छिलके का भी इख्तियार नहीं रखते; अगर तुम उन को पुकारो भी, तो वह तुम्हारी पुकार सुन भी नहीं सकते और अगर (बिल फ़र्ज़) सुन भी लें तो तुम्हारी जरुरत पूरी न कर सकेंगे और कयामत के दिन तुम्हारे शिर्क की मुखालफ़त व इन्कार करेंगे।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की चीजों में गौर व फ़िक्र करना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“इसी (बारिश के पानी के जरिए अल्लाह तआला तुम्हारे ! लिए खेती, जैतून, खजूर और अंगूर और हर किस्म के फल उगाता है, यकीनन इन चीज़ों में गौर व ‘फिक्र करने वालों के लिए बड़ी निशानियाँ हैं।”
8. आख़िरत के बारे में
जहन्नम के दरवाजे का फ़ासला
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जहन्नम के सात दरवाज़े हैं, हर दो दरवाज़ों के दर्मियान का फसला एक सवार आदमी के सत्तर साल चलने के बराबर है!”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
आग से जले हुए का इलाज
मुहम्मद बिन हातिब (र.अ) कहते हैं : गर्म हांडी पलट जाने की वजह से मेरा हाथ जल गया था, मेरी वालिदा मुझे रसूलुल्लाह (ﷺ) की खिदमत में ले गई, तो आप (ﷺ) मुझपर यह पढ़ कर दमकर रहे थे,
أَذْهِبِ الْبَأْسَ رَبَ ّ النَّاسِ وَاشْفِ أَنْتَ الشَّافِي لَا شِفَاءَ إِلَّا شِفَاؤُكَ شِفَاءٌ لَا يُغَادِرُ سَقَمَاً
Ath hibil ba’s Rabbannaas, washfi anta shaafi, la shifaa’a illa shifaa o’ka, shifaa an laa yu ghaa diru saqama’
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
दिल की नर्मी का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एक आदमी से फर्माया :
“अगर तुम अपने दिल की नर्मी चाहते हो, तो यतीम के सर पर हाथ फेरा करो और मिस्कीन को खाना खिलाया करो।”
Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book) ₹359 Only |