15. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सल्मा (र.अ), शहद की मक्खी में अल्लाह की निशानी, शौहर के भाइयों से पर्दा करना, तीन उंगलियों से खाना खाना, यतीम के सर पर हाथ

15. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

15. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे सल्मा (र.अ)

उम्मल मोमिनीन हज़रत उम्मे सल्मा (र.अ) पहले अबू सल्मा बिन अब्दुल असद के निकाह में थीं। उनके इन्तेकाल के बाद हुजूर (ﷺ) ने निकाह फ़रमाया, वह अक्लमंद और बुलंद अखलाक व किरदार वाली खातून थीं, जाहिदाना जिंदगी गुजारती और राहे खुदा में बड़ी फ़य्याजी से खर्च किया करती थीं, लोगों को नेकी का हुक्म किया करती और बुराई से रोकतीं, हदीस सुनने का बहुत शौक था, हदीस में हज़रत आयशा (र.अ) के बाद कोई उन के मुकाबिल न थे, फ़िक्रही मालूमात, मामला फ़हमी, जहानत और दानिशमंदी में बुलंद मकाम रखती थीं, जलीलुलकद्र सहाब-ए-किराम और बड़े बड़े ताबिईन उन से मसाइल की तहकीक़ किया करते थे।

उन की राय की दुरुस्तगी और अक्लमंदी का अंदाजा इस से होता है के सुलह-ए-हुदैबिया के मौके पर जब कुफ्फार ने मुसलमानों को उम्रह करने से रोक दिया, तो हुजूर (ﷺ) ने सहाब-ए-किराम को एहराम खोलने का हुक्म दिया, सहाब-ए-किराम पर उम्रह किए बगैर एहराम खोलना बहुत शाक गुज़रा, चुनान्चे उस मौके पर उम्मे सल्मा (र.अ) ही ने हजूर (ﷺ) को मशवरा दिया के अभी सहाबा को सदमा है, इस लिए आप खुद पहले एहराम खोल दीजिए, फिर सहाबा भी अपने एहराम खोल देंगे, इस मशवरे को आपने पसंद फ़र्माया और ऐसा ही किया, उस वक्त सहाबा को यकीन हो गया के अब सुलह के शराइत बदल नहीं सकते, तो तमाम सहाबा ने एहराम खोल दिया।

2. अल्लाह की कुदरत

शहद की मक्खी में अल्लाह की निशानी

अल्लाह तआला ने शहद की मक्खी को वह हुनर दिया है जिससे वह फूलों से रस चूसकर शहद बनाती है, उनके बनाए हुए शहद में इन्सान के लिए बहुत से फ़ायदे हैं, इतनी साइंसी तरक्की के बावजूद इन्सान शहद हासिल करने के लिए शहद की मक्खी का मोहताज है, कोई इन्सानी ताकत ऐसा करना चाहे तो यह नामुमकिन है, यह अल्लाह की कुदरत की बहुत बड़ी निशानी है, वह एक छोटी सी मक्खी से इतना बड़ा काम लेता है।

📕 अल्लाह की कुदरत

3. एक फर्ज के बारे में

शौहर के भाइयों से पर्दा करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“(ना महरम) औरतों के पास आने जाने से बचो! एक अन्सारी सहाबी ने अर्ज किया: देवर के बारे में आप क्या फ़र्माते हैं? तो आप (ﷺ) ने फ़र्माया: देवर तो (तुम्हारे लिए) मौत है। (यानी शौहर के भाई वगैरह से पर्दा करना इन्तेहाई जरुरी है। क्योंकि वह तबाही व हलाकत में डालने का बड़ा सबब है।)”

📕 बुखारी:५२३२, अन उक्बा बिन आमिर (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

तीन उंगलियों से खाना खाना

हजरत कअब बिन मालिक (र.अ) फरमाते हैं :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) तीन उंगलियों से खाते थे और जब खाने से फारिग हो जाते तो उँगलियाँ चाट लेते थे।”

📕 मुस्लिम: ५२९८, अन कआब (र.अ)

वजाहत: खाने के बाद उंगलियों को चाटना सुन्नत है, लेकिन इस तरह नहीं चाटना चाहिए के देखने वाले को नागवार हो।

5. एक अहेम अमल की फजीलत

यतीम के सर पर हाथ फेरना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जब कोई शख्स यतीम के सर पर हाथ फेरता है, तो अल्लाह तआला हर बाल के बदले में एक नेकी अता फ़र्माता है।”

📕 मुस्नदे अहमद : २१६४९, अन अबी उमामा (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

तकब्बुर की सजा

रसलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जिस शख्स के दिल में राई के बराबर भी तकब्बुर होगा वह जन्नत में दाखिल न होगा।’

किसी ने कहा : आदमी अच्छे कपड़े और अच्छे जूते पसंद करता है, (तो क्या ऐसा करना तकब्बुर में शामिल है?)

आप (ﷺ) ने फर्माया : “अल्लाह तआला सफाई सुथराई को पसंद करता है, तकब्बुर तो हक़ बात न मानना और लोगों को हकीर समझना है।“

📕 मुस्लिम : २६५, अन इब्ने मसूद (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

दुनिया में उम्मीदों का लम्बा होना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मुझे अपनी उम्मत पर सब से जियादा डर ख्वाहिशात और उम्मीदों के बढ़ जाने का है, ख्वाहिशात हक से दूर कर देती है और उम्मीदों का लम्बा होना आखिरत को भुला देता है, यह दुनिया भी चल रही है और हर दिन दूर होती चली जा रही है और आखिरत भी चल रही है और हर दिन करीब होती जा रही है।” (यानी हर वक्त जिंदगी कम होती जा रही है और मौत करीब आती जा रही है, इस लिए आखिरत की तैयारी में लगे रहना चाहिए)।

📕 कन्जुल उम्माल : ४३७५८, अन जाबीर (र.अ)

8. आख़िरत के बारे में

नेक अमल करने वालों का इन्आम

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:

“जो लोग ईमान लाए और नेक अमल करते रहे, वह जन्नत के बागों में दाखिल होंगे, वह जिस चीज़ को चाहेंगे उन के रब के पास उन को मिलेगी। (उन की) हर ख्वाहिश का पूरा होना भी बड़ा फल व इन्आम है।”

📕 सूर-ए-शूरा : २२

9. तिब्बे नबवी से इलाज

जूं पड़ने का इलाज

एक रिवायत में है के दो सहाबा ने रसूलुल्लाह (ﷺ) से एक गज़वह के मौके पर (कपड़ों में) जूं पड़ जाने की शिकायत की, तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने उन दोनों को रेशमी कमीस पहनने की इजाजत दी।

📕 बुखारी : २९२०, अन अनस (र.अ)

वजाहत: जूं पड़ना एक मर्ज है, जिस का इलाज आप ने उस मौके पर रेशमी लिबास तजवीज़ फ़र्माया, यह लिबास अगरचे आम हालात में मर्दों के लिए जाइज़ नहीं है, लेकिन माहिर हकीम या डॉक्टर अगर ज़रुरत की वजह से तजवीज करे तो गुंजाइश है।

10. कुरआन की नसीहत

सिराते मुस्तकीम पर चलने की अहमियत

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है

“यह बताए हुए अहकाम ही मेरा सीधा रास्ता है, तुम इसीपर चलो और दूसरे (गलत) रास्तों पर मत चलो, वरना वह रास्ते तुम को राहे खुदा से हटा देंगे। अल्लाह तआला इस बात का तुमको ताकीद के साथ हुक्म देता है; ताके तुम टेढ़े रास्ते से बच सको।”

📕 सूर-ए-अनआम : १५३

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