20. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
20. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
उम्मुल मोमिनीन हज़रत मैमूना (र.अ.)
उम्मूल मोमिनीन हजरत मैमूना बिन्ते हारिस (र.अ.) पहले मसऊद बिन उमर सकफी के निकाह में थीं। तलाक के बाद अबू रुम बिन अब्दुल उज्ज़ा ने निकाह कर लिया। अबू रुम के इन्तेकाल के बाद सही रिवायत के मुताबिक इस निकाह की तहरीक व पेशकश हज़रत अब्बास (र.अ.) ने की और जब रसूलुल्लाह (ﷺ) उमर-ए-कज़ा करने के लिए सन ७ हिजरी में तशरीफ़ ले गए, तो पाँच सौ दिरहम महर पर हजरत अब्बास (र.अ.) ही ने मकामे सरिफ़ में आप का निकाह पढ़ाया। इस रिशते की वजह से हज़रत अब्बास (र.अ.) आप (ﷺ) के हमज़ुल्फ़ (साढू) हूए।
हज़रत मैमूना से मुहद्दीसीने किराम ने ४६ हदीसें नक्ल की है, जिनमें से बाज़ से इन की फ़िक्ही महारत और मसाइल की गहरी वाकिफ़ियत का पता चलता है।
हजरत आयशा (र.अ.) फ़र्माती थीं के हजरत मैमूना (र.अ.) अल्लाह से बहुत जियादा डरने वाली और सिला रहमी करने वाली थीं। यह अजीब हुस्ने तक्दीर है के मकामे सरिफ़ में हजरत मैमूना का निकाह हुआ और सरिफ़ में ही सन ५१ हिजरी में उन का इन्तेकाल हुआ।
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास (र.अ.) ने जनाजे की नमाज पढ़ाई।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
चेहर-ए-अनवर की बरकत से सुई मिल गई
हजरत आयशा सिद्दीका (र.अ.) बयान करती हैं के मैं आप (ﷺ) के कपड़े सी रही थी, पस मेरे हाथ से सुई गिर गई, बहुत तलाश की, मगर न मिली, इतने में रसूलुल्लाह (ﷺ) दाखिल हुए तो आपके चेहर-ऐ-अनवर की रोशनी से सुई नज़र आ गई।
3. एक फर्ज के बारे में
जन्नत में दाखले के लिए ईमान शर्त है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस शख्स की मौत इस हाल में आए के वह अल्लाह तआला पर और कयामत के दिन पर ईमान रखता हो, तो उससे कहा जाएगा के तुम जन्नत के आठों दरवाजो मत जिस से चाहो दाखिल हो जाओ।”
4. एक सुन्नत के बारे में
नमाज के बाद दुआ मांगना
रसूलुल्लाह (ﷺ) नमाज के बाद यह दुआ पढ़ते थेः
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं कुफ्र फ़क्र व फ़ाका और कब्र के अजाब से तेरी पनाह चाहता हूँ।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
नेक इरादे पर सवाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जो आदमी पाक व साफ़ हो कर अपने घर से (किसी नेक इरादे से) निकले, तो उस को हाजी के बराबर सवाब मिलता है और जो आदमी सिर्फ नमाजे चाश्त के इरादे से चले तो उसको उमरा करने वाले के बराबर सवाब मिलता है।”
6. एक गुनाह के बारे में
बातिल परस्तों के लिए सख़्त अज़ाब है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जो लोग अल्लाह के दीन में झगड़ते हैं, जब के वह दीन लोगों में मकबूल हो चुका है (लिहाजा) उन लोगों की बहस उन के रब के नज़दीक बातिल है, उन पर खुदा का गजब है और सख्त अजाब (नाजिल होने वाला है)।”
7. दुनिया के बारे में
दुनिया की जिंदगी खेल तमाशा है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“दुनिया की जिंदगी खेल कूद के सिवा कुछ भी नहीं है और आखिरत की जिंदगी ही हकीकी जिंदगी है काश यह लोग इतनी सी बात समझ लेते।”
8. आख़िरत के बारे में
कयामत के दिन लोगों की हालत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“कयामत के रोज़ सूरज एक मील के फासले पर होगा और उस की गर्मी में भी इज़ाफ़ा कर दिया जाएगा, जिस की वजह से लोगों की खोपड़ियों में दिमाग इस तरह उबल रहा होगा, जिस तरह हांडियां जोश मारती हैं, लोग अपने गुनाहों के बकद्र पसीने में डूबे हुए होंगे, बाज़ टखनों तक, बाज़ पिंडलियों तक, बाज़ कमर तक और बाज़ के मुँह में लगाम की तरह होगा।”
9. नबी (ﷺ) की नसीहत
कुरआन को हमेशा पढ़ते रहा करो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कुरआन को हमेशा पढ़ते रहा करो, अल्लाह की कसम! कुरआन उससे भी निकल भागता है जितना जल्द ऊँट रस्सी तोड़कर भाग जाता है।”
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