25. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ), अल्लाह का बा बरकत निजाम, सजद-ए-तिलावत अदा करना, बीमारों की इयादत करना, किसी की बात को छुप कर सुनने का गुनाह, दुन

25. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

25. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत रुकय्या बिन्ते रसूलुल्लाह (र.अ)

हज़रत रुकय्या (र.अ) हुजूर (ﷺ) की दूसरी साहबज़ादी (बेटी) थीं, वह पहले अबू लहब के बेटे उत्बा के निकाह में थीं, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और लोगों को दावत देना शुरू किया, तो अबू लहब के हुक्म पर उत्बा ने हजरत रुकय्या (र.अ) को तलाक दे दी, फिर हज़रत उस्मान (र.अ) से उनका निकाह हुआ, उनसे एक लड़का अब्दुल्लाह पैदा हुए।

हजरत रुकय्या (र.अ) हजरत उस्मान (र.अ) के साथ हब्शा हिजरत कर गई, हिजरत के वक्त हुजूर (ﷺ) ने फ़र्माया: इस उम्मत में सबसे पहले हिजरत करने वाले उस्मान (र.अ) और उन की अहलिया है। कुछ अर्से बाद दोनों हब्शा से मक्का आए और फिर हिजरत कर के मदीना आ गए।

ग़ज़व-ए-बद्र के मौके पर हजरत रुकय्या (र.अ) बहुत बीमार हो गई थीं, इस लिए हुजूर (ﷺ) ने हजरत उस्मान (र.अ) को उन की तिमारदारी के लिए रोक दिया था और उसी बीमारी में सन २ हिजरी में हज़रत रुकय्या (र.अ) का इन्तेकाल हो गया, जंगे बद्र में शिरकत की वजह से हुजूर (ﷺ) उन की नमाजे जनाजा में शरीक न हो सके। यह जन्नतुल बकी में मदफून हुई।

To be Continued …

2. अल्लाह की कुदरत

अल्लाह का बा बरकत निजाम

अल्लाह तआला का कितना अच्छा इन्तज़ाम है के दुनिया में जो चीजें बहुत ज़्यादा इस्तेमाल होती हैं उन को बहुत ज्यादा आम कर दिया है जसे हवापानी वगैरा; अगर हम खाए जाने वाले जानवरों में से बकरे पर गौर करें, तो हम देखेंगे के दुनिया में रोजाना लाखों की तादाद में और कुर्बानी ईद के दिनों में अरबों की तादाद में बकरे जबह किए जाते हैं, लेकिन कभी यह बात सामने नहीं आती के बकरों की नस्ल में कमी हो गई, क्यों कि अल्लाह तआला जियादा इस्तेमाल होने वाली चीज़ों में बरकत अता फरमाता हैं।

3. एक फर्ज के बारे में

सजद-ए-तिलावत अदा करना

हज़रत इब्ने उमर (र.अ) फ़र्माते हैं

“हुजूर (ﷺ) हमारे दर्मियान सजदे वाली सूरह की तिलावत फ़र्माते, तो सजदा करते और हम लोग भी सजदा करते, हत्ता के हम में से बाज़ आदमी को अपनी पेशानी रखने की जगह नहीं मिलती।”

📕 बुखारी: १७५, अन इब्ने उमर (र.अ)

वजाहत: सजदे वाली आयत तिलावत करने के बाद, तिलावत करने वाले और सुनने वाले दोनों पर सजदा करना वाजिब है।

4. एक सुन्नत के बारे में

बीमारों की इयादत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) बीमारों की इयादत करते और जनाजे में शरीक होते और गुलामों की दावत कबूल फरमाते थे।

📕 मुस्तदरक लिल हाकिम: ३७३४

5. एक गुनाह के बारे में

किसी की बात को छुप कर सुनने का गुनाह

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जिस ने दूसरों की कोई ऐसी बात छुप कर सुनी जिस को वह उस से छूपाना चाहते थे, तो कयामत के दिन ऐसे शख्स के कान में शीशा पिघला कर डाला जाएगा।”

📕 तिर्मिज़ी : १७५१

6. दुनिया के बारे में

दुनिया से बेरग़वती का इनाम

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया:

“जो शख्स जन्नत का ख्वाहिश मन्द होगा वह भलाई में जल्दी करेगा। और जो शख्स जहन्नम से खौफ करेगा, वह ख्वाहिशात से गाफिल (बेपरवाह) हो जाएगा और जो मौत का इंतज़ार करेगा उसपर लज्जतें बेकार हो जाएगी और जो शख्स दुनिया में जुद (दुनिया से बेरगबती) इख्तियार करेगा, उस पर मुसीबतें आसान हो जाएँगी।”

📕 शोअबुल ईमान: १०२१९

7. आख़िरत के बारे में

जन्नतियों का लिबास

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“उन जन्नतियों के बदन पर बारीक और मोटे रेशम के कपड़े होंगे और उनको चाँदी के कंगन पहनाए जाएँगे और उनका रब उनको पाकीज़ा शराब पिलाएगा। (अहले जन्नत से कहा जाएगा के) यह सब नेअमतें तुम्हारे आमाल का बदला हैं और तुम्हारी दुनियावी कोशिश कबूल हो गई।”

📕 सूरह दहर : २१ ता २२

8. तिब्बे नबवी से इलाज

हर बीमारी का इलाज

एक मर्तबा हज़रत जिब्रईल (अ) रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास तशरीफ़ लाए और पूछा: ऐ मुहम्मद (ﷺ) ! क्या आप को तकलीफ है? रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: हाँ! तो जिब्रईल ने यह दुआ पढ़ी:

तर्जमा: अल्लाह के नाम से दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो आपको तकलीफ़ दे ख्वाह किसी जानदार की बुराई हो या हसद करने वाली आँख की बुराई हो, अल्लाह के नाम से दम करता हूँ, अल्लाह आप को शिफा दे।

📕 तिर्मिज़ी : ९७२

9. कुरआन की नसीहत

सच्चे लोगों के साथ रहो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“ऐ ईमान वालो! अल्लाह तआला से डरते रहो और सच्चे लोगों के साथ रहो।”

📕 सूर-ए-तौबा: ११९

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