26. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
26. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हजरत उम्मे कुलसूम बिन्ते रसूलुल्लाह (ﷺ)
हज़रत उम्मे कुलसूम हुजूर (ﷺ) की तीसरी साहबजादी (बेटी) थीं, उन का निकाह पहले अबू लहब के दूसरे बेटे उतैबा से हुआ, मगर रुखसती नहीं हुई थी, जब हुजूर (ﷺ) को नुबुव्वत मिली और तौहीद की दावत देनी शुरू की, तो अबू लहब के हुक्म से उतैबा ने उन को तलाक दे दी, उनकी बड़ी बहन हज़रत रुक्रय्या (र.अ) के इन्तेकाल के बाद सन ३ हिजरी में हुजूर (ﷺ) ने उनका निकाह हज़रत उस्मान (र.अ) से कर दिया, उन से कोई औलाद नहीं हुई।
हज़रत उम्मे कुलसूम (र.अ) की वफ़ात शाबान सन ९ हिजरी में हुई।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
मशकीजे के पानी का खत्म न होना
एक सफ़र में लोगों ने आप (ﷺ) से पानी की कमी की शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने एक शख्स को पानी तलाश करने भेजा,
चुनाचे उन को एक औरत मिली जिस के पास दो बड़ी मश्के पानी की थी, उसे हुजर (ﷺ) की खिदमत में लाया गया।
आपने एक बर्तन मंगवाया और उन मश्कों का पानी बर्तन में डलवाया और फिर फ़रमाया के पियो। रावी फ़र्माते हैं के हम चालीस आदमियों ने खूब सैर हो कर पिया और अपने बर्तनों को भी भर लिया और खुदा की कसम उस औरत की दोनों मश्कें पहले जैसे ही भरी हुई थीं।
3. एक फर्ज के बारे में
सूद से बचना
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“ऐ ईमान वालो ! तुम कई गुना बढ़ा कर सूद मत खाया करो क्यों कि सूद लेना मुतलकन हराम है और अल्लाह तआला से डरते रहो ताके तुम कामयाब हो जाओ।”
वजाहत: सूद लेना, देना, खाना, खिलाना नाजाइज़ व हराम है। कुरआन और हदीस में इस पर बड़ी सख्त सजा आई है, लिहाजा हर मुसलमान पर सूदी लेन देन से बचना जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
हलाल रिज्क और नाफे इल्मे की दुआ
हजरत उम्मे सलमा फर्माती है के रसूलुल्लाह (ﷺ) फज्र की नमाज के बाद यह दुआ फर्माते:
“अल्लाहुम्मा ईन्नी असलुका ईल्मन नाफिआ, व रिज़कना तैय्यबा वा अमलन मुतक़ब्बला”
तर्जमा: ऐ अल्लाह! मैं तुझ से हलाल रिज्क, नफा पहुँचाने वाला इल्म और मक्बूल (कबूल होने वाले) अमल का सवाल करता हूँ।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
वुजू के बावजूद वुजू करना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“जिस ने वुजू होने के बावजूद वुजू किया, उस के लिए दस नेकियों लिखी जाती है।”
6. एक गुनाह के बारे में
कुफ्र की सज़ा जहन्नम है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जिन लोगों ने कुफ्र किया और खुदा के रास्ते (दीन से) लोगों को रोका, फिर कुफ्र की हालत ही में मर गए, तो अल्लाह तआला उनको कभी नहीं बख्शेगा।”
7. दुनिया के बारे में
आखिरत दुनिया से बेहतर है
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“तुम दुनियावी जिंदगी को मुकद्दम रखते हो, हालांके ! आखिरत दुनिया से बेहतर है और बाकी रहने वाली है (इसलिए आखिरत ही की तय्यारी करो)।”
8. आख़िरत के बारे में
हौजे कौसर की कैफियत
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :
“हौज़े कौसर के बर्तन सितारों के बराबर होंगे, उस से जो भी इन्सान एक घूंट पी लेगा तो हमेशा के लिए उसकी प्यास बुझ जाएगी।”
9. नबी (ﷺ) की नसीहत
आपस में दुश्मनी न रखो
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“आपस में दुश्मनी न रखो, एक दूसरे से बढ़ने की हवस न करो, आपसी तअल्लुकात मत तोड़ो, बल्के ऐ अल्लाह के बन्दो! अल्लाह के हुक्म के मुताबिक भाई भाई बन कर रहो।”
Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book) ₹359 Only |