29. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
29. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ)
हज़रत अनस बिन मालिक (र.अ) सन ३ नब्वी में मदीना में पैदा हुए, हुजूर (ﷺ) जब हिजरत फरमा कर मदीना तय्यबा तशरीफ़ लाए, तो उस वक्त उन की उम्र नौ या दस साल की थी, उन का घराना आप (ﷺ) की मदीना आमद से पहले ही मुसलमान हो गया था। उन की वालिदा उम्मे सुलैम (र.अ) हज़रत अनस (र.अ) को लेकर हुजूर (ﷺ) की खिदमत में हाजिर हुई और अर्ज किया या रसूलल्लाह! मदीना के मर्द और औरतों ने आप की खिदमत में कोई न कोई हदिया पेश किया है, लेकिन मेरे पास इस लड़के के अलावा कुछ भी नहीं है, आप इस को अपनी खिदमत के लिए कबूल फ़र्मा लें तो बड़ा एहसान होगा। आप (ﷺ) ने हज़रत अनस (र.अ) को अपनी खिदमत के लिए कबूल फ़र्मा लिया।
वह दस साल हुजूर की खिदमत में रहे, मगर आप ने कभी उन की खता पर उफ़ तक नहीं कहा, उन से खुश हो कर एक मर्तबा हुजूर (ﷺ) ने दुआ फ़रमाई “ऐ अल्लाह ! इस को ! माल व दौलत अता फ़र्मा और उस में बरकत अता फ़र्मा”, इस दुआ का यह असर हुआ के वह मदीना में सब से जियादा मालदार और साहिबे औलाद बन गए उन के अस्सी लड़के और दो लड़कियाँ थी।
हजरत अनस (र.अ) ने बड़ी लम्बी उम्र पाई, वह आखरी सहाबी हैं जिनका मदीना में सन ९३ हिजरी इन्तेकाल हुआ।
2. अल्लाह की कुदरत
सितारों में अल्लाह की कुदरत
आसमान में हम सूरज और चाँद को देखते हैं, उन के अलावा बहुत सारे सितारे हैं जो छोटे छोटे और चमकते हुए नजर आते हैं, यह सब छोटे नहीं हैं, बल्के इन में से कुछ सूरज और चाँद से भी कई गुना ज़ियादा बड़े हैं, दूर होने की वजह से हम को छोटे नजर आते हैं, यह अल्लाह ही की कुदरत है जिस ने इन को चमकता हुआ रखा है और इन को अपनी कुदरत से रोके रखा है।
3. एक फर्ज के बारे में
दीन में पैदा की हुई नई बातों से बचना (बिद्दत से बचना)
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“(दीन में) नई पैदा की हुई बातों से अपने को अलग रखो; इस लिए के दीन में नई पैदा की हुई हर बात बिद्दत (बेअस्ल) है और हर बिद्दत गुमराही है।”
वजाहत: शरीअत के खिलाफ़ दीन में पैदा की हुई नई बातों से बचना ज़रूरी है क्यूंकि यह गुमराही का सबब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
सोने के आदाब
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सोने का इरादा करते तो –
अपने दाहिने हाथ को रुखसार (दाहिने गाल) के नीचे रख कर सोते फिर तीन बार यह दुआ पढ़ते:
( اللهم قني عذابك يوم تبعث عبادك )
“Allahumma qi-ni ‘a-dha-bak, yaw-ma tab’a-su i-ba-dak”
5. एक गुनाह के बारे में
नाम कमाने के लिए जुबान का सीखने का गुनाह
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:
“जो आदमी जबान की फ़साहत व बलागत सिर्फ इसलिए सीखे के लोगों के दिलों को अपनी तरफ़ माइल करे, तो अल्लाह तआला कयामत के दिन ऐसे आदमी के नवाफ़िल और फ़राइज कबूल नहीं फरमाऐगा।”
6. दुनिया के बारे में
दुनिया की मुहब्बत बीमारी है
हजरत अबू दर्दा (र.अ) फर्माते थे के
“क्या मैं तुम को तुम्हारी बीमारी और दवा न बताऊँ तुम्हारी वह बीमारी दुनिया की मुहब्बत है और दवा अल्लाह तआला का जिक्र है।”
7. आख़िरत के बारे में
जन्नत की चीजें
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“जन्नत में ऊँचे ऊँचे तख्त होंगे और बड़े बड़े प्याले रखे होंगे और बराबर तकिये लगे होंगे और मखमली मस्नद बिछी हुई होंगी।”
8. तिब्बे नबवी से इलाज
पछना के जरिये दर्द का इलाज
हजरत इब्ने अब्बास (र.अ) बयान करते हैं के
“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने एहराम की हालत में दर्द की वजह से सर में पछना लगवाया।”
वजाहत: पछना लगाने से बदन से फ़ासिद खून निकल जाता है जिस की वजह से दर्द वगैरह खत्म हो जाता है और आँख की रोशनी तेज़ हो जाती है।
9. कुरआन की नसीहत
सच्ची पक्की तौबा कर लो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
”ऐ ईमान वालो! अल्लाह से सच्ची पक्की तौबा कर लो, उम्मीद है के तुम्हारा रब तुम्हारी खताओं को माफ़ कर देगा और जन्नत में दाखिल कर देगा।”
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