3. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ), एक ही पानी से फल और फूल की पैदाइश, पानी न मिलने पर तयम्मुम करना, इस्तिंजा के वक्त कपड़ा हटाने का तरीका, कुरआन की कोई स

3. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

3. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ)

उम्मुल मोमिनीन हजरत आयशा (र.अ) बिन्ते अबू बक्र सिद्दीक (र.अ) इल्म व फज्ल, खैर व बरकत, अख्लाक व किरदार, जुर्रत व हिम्मत और हौसलामंदी में बेमिसाल थीं, हक बात किसी की परवाह किए बगैर, बे खौफ होकर कह दिया करती थीं।

इनकी पैदाइश नुबुव्वत के चौथे साल में मक्का मुकर्रमा में हुई, बचपन से ही बेहद जहीन और अक्लमंद थीं।

घर में खादिमा होने के बावजूद अपना काम खुद किया करती थीं। गरीबों की मदद, यतीमों की परवरिश, मेहमान नवाजी और राहे खुदा में बड़ी दर्या दिली से खर्च करती थीं, एक मर्तबा अमीर मुआविया ने उन की खिदमत में बतौरे हदिया एक लाख दिर्हम भेजा, तो शाम होने तक सब गरीबों में तकसीम कर दिया।

इस के साथ ही अल्लाह की इबादत, हुजूर (ﷺ) की सुन्नत की पैरवी और शरीयत के एक एक हुक्म पर बड़े एहतेमाम से अमल किया करती थीं, नमाज़े तहज्जुद व चाश्त की बहुत पाबंद थीं और अक्सर रोजे रखा करती थीं शरीअत के खिलाफ़ छोटी छोटी बातों से भी बचा करती थीं।

2. अल्लाह की कुदरत

एक ही पानी से फल और फूल की पैदाइश

अल्लाह तआला जबरदस्त कुदरत वाला है, उस ने एक ही जमीन और एक ही पानी से मुख्तलिफ किस्म के दरख्त, फल और फूल बनाए, हर एक का मज़ा और रंग अलग अलग है, कोई मीठा है तो कोई खट्टा है, कोई सुर्ख है, तो कोई सफेद है, हालांकि सब एक ही ज़मीन और एक ही पानी से पैदा हुए।

वाकई अल्लाह तआला बड़ी कुदरत वाला है।

3. एक फर्ज के बारे में

पानी न मिलने पर तयम्मुम करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

पाक मिट्टी मुसलमान का सामाने तहारत है, अगरचे दस साल तक पानी न मिले, पस जब पानी पाए, तो चाहिए के उस को बदन पर डाले: यानी उस से वुजू या गुस्ल कर ले; क्योंकि यह बहुत अच्छा है।”

📕 अबू दाऊद:३३२, अन अबीजर (र.अ)

4. एक सुन्नत के बारे में

इस्तिंजा के वक्त कपड़ा हटाने का तरीका

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर (र.अ) बयान करते हैं के रसूलुल्लाह (ﷺ) जब कज़ाए हाजत करते, तो जमीन के करीब होने के बाद कपड़े हटाते।

📕 अबू दावूद १४

5. एक अहेम अमल की फजीलत

कुरआन की कोई सूरत पढ कर सोना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

“जब मुसलमान बिस्तर पर (सोते वक्त) कुरआन करीम की कोई भी सूरत पढ लेता है, तो अल्लाह तआला उस की हिफाजत के लिए एक फरिश्ता मुकर्रर फरमा देता है और उसके जागने तक कोई तकलीफ़ देह चीज उसके करीब भी नहीं आती।”

📕 तिर्मिज़ी:३४०७, अन शद्दाद बिन औस (र.अ)

6. एक गुनाह के बारे में

गलत हदीस बयान करने की सजा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया:

मेरी हदीस को बयान करने में एहतियात करो और वही बयान करो जिस का तुम्हें यकीनी इल्म हो, जो शख्स जानबूझ कर मेरी तरफ से कोई गलत बात बयान करे वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले।”

📕 तिर्मिज़ी: २९५१, अन इब्ने अब्बास (र.अ)

7. दुनिया के बारे में

बदनसीबी की पहचान

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

चार चीजें बदनसीबी की पहचान है : (१) आँखों का खुश्क होना। (के अल्लाह के खौफ से किसी वक्त भी आँसू न टपके)। (२) दिल का सख्त होना (के आखिरत के लिए या किसी दूसरे के लिए किसी वक्त भी नर्म न पड़े)। (३) उम्मीदों का लम्बा होनाI (४) दुनिया की हिर्स (लालच)।

📕 तर्ग़ीब व तर्हिब: ४७४१, अन अनस (र.अ)

8. आख़िरत के बारे में

जन्नत वालों का इन्आम व इकराम

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

(जन्नती लोग) जन्नत में सलाम के अलावा कोई बेकार व बेहूदा बात नहीं सुनेंगे और जन्नत में सुबह व शाम उनको खाना (वगैरह) मिलेगा। यही वह जन्नत है, जिस का मालिक हम अपने बंदों में से उस शख्स को बनाएंगे जो अल्लाह से डरने वाला होगा।”

📕 सूर-ए-मरयम: ६२ ता ६३

9. तिब्बे नबवी से इलाज

शहेद से पेट के दर्द का इलाज

एक शख्स रसूलुल्लाह (ﷺ) के पास आया और अर्ज़ किया : “ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे भाई के पेट में तकलीफ है।”

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ‘शहेद पिलाओ।’ वह शख्स गया और शहेद पिलाया, वापस आकर फिर वही शिकायत की, तो आप (ﷺ) ने फ़िर शहद पिलाने का हुक्म फर्माया; वह शख्स तीसरी मर्तबा यही शिकायत लेकर आया, तो फिर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने शहेद पिलाने को कहा, वह फिर आया और अर्ज किया के इतनी बार शहेद पिलाने के बावजूद आराम नहीं हुआ, बल्के तकलीफ बढ़ती जा रही है,

तो हजूर (ﷺ) ने फर्माया : (कुरआन में) अल्लाह ने सच कहा है (के शहेद में शिफा है) और तेरे भाई का पेट झूठा है, चुनान्चे वह शख्स फिर वापस गया और शहेद पिलाया, तो उस का भाई ठीक हो गया।

📕 बुखारी:५६८४. अन अबी सईद (र.अ)

10. कुरआन की नसीहत

अल्लाह तआला से जो वादा करो उस को पूरा किया करो

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जब तुम बात किया करो, तो इन्साफ का ख्याल रखा करो, अगरचे वह शख्स तुम्हारा रिश्तेदार ही हो और अल्लाह तआला से जो अहद करो उस को पूरा किया करो, अल्लाह तआला ने तुम्हें इस का ताकीदी हुक्म दिया है। ताके तुम याद रखो (और अमल करो)।

📕 सूरह अन्आमः १५३

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