8. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

हजरत खब्बाब बिन अरत (र.अ), फलों में बरकत, तकबीरे ऊला से नमाज़ पढ़ना, छींक की दुआ, खुशूअ वाली नमाज माफी का जरिया, जुल्म से न रोकने का वबाल, मखलूक का रि

8. शव्वाल | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

8. Shawwal | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत खब्बाब बिन अरत (र.अ)

हज़रत खम्बाब बिन अरत (र.अ) ने शुरु ज़माने में ही इस्लाम कबूल कर लिया था, ईमान लाने की वजह से कुफ्फार ने उन्हें बेपनाह तकलीफें पहुँचाई। नंगी पीठ पर लोहे की जिरह पहना कर चिलचिलाती धूप में डाल दिया जाता, धूप की गर्मी से लोहे की जिरह बिल्कुल गर्म हो जाती, कभी अंगारों पर लिटा दिया जाता जिस की वजह से कमर का गोश्त झुलस गया था, उनकी मालकिन उम्मे अन्मार लोहे की सलाख गर्म कर के उन के सर पर दागा करती थी, मगर हज़रत खब्बाब (र.अ) उन तमाम तकलीफों को बरदाश्त करते थे।

एक दिन उन्होंने रसूलुल्लाह (ﷺ) से इस की शिकायत की, आपने उन के बारे में यह दुआ फ़ाई: “ऐ अल्लाह ! खब्बाब की मदद फ़र्मा।” आखिर आप (ﷺ) की दुआ से अल्लाह तआला ने हजरत खब्बाब को नजात दी।

हज़रत खब्बाब (र.अ) कुरआन के आलिम थे, हज़रत उमर की बहन फ़ातिमा और सईद बिन जैद के घर में कुरआन की तालीम देते थे। सब से पहले मदीना की उन्हों ने ही हिजरत फर्माई, आखीर जमाने में वह कूफ़ा चले गए थे। और वहीं ७३ साल की उम्र में सन ३७ हिजरी में इन्तेकाल फर्माया।

2. अल्लाह की कुदरत

फलों में बरकत

हजरत अनस (र.अ) हुजूर (ﷺ) की खिदमत में दस साल रहे,
आप ने उन के लिए बरकत की दुआ फ़रमाई।

“(ऐ अल्लाह! इस के माल व औलाद) में ज़ियादती फ़र्मा
और जो कुछ तू ने दिया है उस में बरकत अता फ़र्मा।”

📚 बुखारी: ६३४४

चुनान्चे रावी फ़र्माते हैं के हज़रत अनस (र.अ) का एक
बाग था जो साल में दो मर्तबा फल देता था और
उस बाग में एक पौधे से मुश्क की खुशब आती थी।

📕 तिर्मिज़ी : ३८३३, अन अबिल आलिया

3. एक फर्ज के बारे में

तकबीरे ऊला से नमाज़ पढ़ना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“जो शख्स चालीस दिन इख्लास से तक्बीरे ऊला के
साथ बा-जमात नमाज़ पढ़ता है, तो उस को दो परवाने मिलते हैं।
एक जहन्नम से बरी होने का दूसरा निफ़ाक से बरी होने का।“

📕 तिर्मिज़ी : २४१, अन अनस बिन मालिक

4. एक सुन्नत के बारे में

छींक की दुआ

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:

“जब तुम में से किसी को छींक आए तो
“अलहम्दुलिल्लाह” कहे और उस को सुनने
वाला “या रेहमकल्लाहु” कहे और फ़िर उस के
जवाब में “या हदिकल्लाहु”

📕 इब्ने माजा: ३७१५, अन अली

5. एक अहेम अमल की फजीलत

खुशूअ वाली नमाज माफी का जरिया

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“अल्लाह का जो बन्दा ऐसी दो रकात नमाज पढ़े,
जिसमें किसी तरह की कोई भूल चूक न हुई हो,
तो अल्लाह तआला (उस नमाज़ के बदले में)
उस के सारे पिछले गुनाह माफ़ फ़र्मा देगा।”

📕 मुस्नदे अहमद: २११८३

6. एक गुनाह के बारे में

जुल्म से न रोकने का वबाल

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जो कौमें तुम से पहले हलाक हो चुकी हैं उन में ऐसे
समझदार लोग न हुए, जो लोगों को मुल्क में फसाद
फैलाने से मना करते, सिवाए चंद लोगों के जो फ़साद से रोकते थे।
जिन को हमने अज़ाब से बचा लिया।”

📕 सूर-ए-हूद: ११६

7. दुनिया के बारे में

मखलूक का रिज्क अल्लाह के जिम्मे है

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जमीन पर चलने फिरनेवाला कोई भी जानदार ऐसा नहीं के
उसकी रोजी अल्लाह के जिम्मे न हो।”

📕 सूर-ए-हूद:६

8. आख़िरत के बारे में

जहन्नमी हथोड़े

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“अगर जहन्नम के लोहे के हथोड़े से पहाड़ को मारा जाए,
तो वह रेजा रेजा हो जाएगा, फिर वह पहाड़ दोबारा
अपनी असली हालत पर लौट आएगा।”

📕 मुस्नदे अहमद : ११३७७

9. नबी (ﷺ) की नसीहत

इस्लाम में कौन सी बात खूबी की है?

एक आदमी ने रसूलुल्लाह से पूछा इस्लाम में कौन सी बात खूबी की है?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया:

“खाना खिलाओ और सलाम करो जिस को जानते हो और जिस को न जानते हो।”

📕 बुखारी : १२

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