16. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
16. Zil-Qada | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
हज़रत हसन बसरी (रह.)
आप का नाम हसन, कुन्नियत अबू सईद और वालिद का नाम यसार था, इन के वालिद हजरत जैद बिन साबित (र.अ) के आज़ाद कर्दा गुलाम और वालिदा हजरत उम्मे सलमा की बांदी थीं।
सन २० हिजरी में पैदा हुए, बारह साल की उम्र में कुरआन मुकम्मल हिफ़्ज़ कर लिए। कुरआन के बड़े आलिम और दर्से कुरआन में बड़े माहिर थे और किबारे ताबिईन में से थे, हज़रत अबू हुरैरह (र.अ) फ़र्माते हैं के किसी गैरे सहाबी को हसन से जियादा सहाब-ए-रसूल से मुशादेह नहीं देखा। सन ११०हिजरी में जुमा की रात में इन्तेकाल फ़रमाया।
2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा
खाने में बरकत
हज़रत अबू अय्यूब अंसारी (र.अ) फ़र्माते हैं :
मैं ने एक मर्तबा सिर्फ़ दो आदमियों का खाना बनवाया आप (ﷺ) और हज़रत अबू बक्र (र.अ) का, लेकिन आप ने मुझे हुक्म दिया के अन्सारियों को बुला लाओ, चुनान्चे उस खाने में एक सौ अस्सी आदमियों ने सैर हो कर खाया और सबने आप (ﷺ) के नबी होने की गवाही दी और आप के हाथ पर बैअत की।
3. एक फर्ज के बारे में
हाजी पर कुर्बानी करना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है:
“जो शख्स उमरा को हज के साथ मिला कर फ़ायदा उठाए (यानी हज के दिनों में उमरा भी कर ले) तो उस के जिम्मे कुर्बानी वाजिब है,जो भी उसे मयस्सर हो।”
फ़ायदा : जो शख्स हज के जमाने में एहराम बांध कर मक्का जाए और उमरा कर के एहराम खोल दे, फिर आठवीं जिल हिज्जा को एहराम बांधकर हज करे तो उस पर कुर्बानी करना वाजिब है।
4. एक सुन्नत के बारे में
अहल व अयाल के लिए दुआ
नेक बंदे अपनी औलाद के लिए कसरत से यह दुआ करते थे :
” Rabbana Hablana min azwaajina wadhurriy-yatina, qurrata ‘ayioni wa-jalna lil-muttaqeena Imaama “
तर्जमा : ऐ हमारे रब ! हमारी बीवियों और औलाद को हमारी आँखों की ठंडक बना दे और हम को ! मुत्तकियों का इमाम बना दे।
5. एक अहेम अमल की फजीलत
अल्लाह तआला नर्मी को पसंद करता है
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बेशक अल्लाह तआला नर्मी करने वाला हैं और नर्मी को पसंद करता हैं और नर्मी करने पर वह (अज्र व सवाब) अता फ़र्माता हैं, जो सख्ती करने पर नहीं अता फ़र्माता।”
6. एक गुनाह के बारे में
ईमान को झुटलाने का गुनाह
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :
“जिस शख्स ने बुख़्ल किया और ला परवाही करता रहा और भली बात, यानी ईमान को झुटलाया, तो हम उस के लिए तकलीफ़ व मुसीबत का रास्ता आसान कर देंगे। (यानी जहन्नम में पहुंचा देंगे)।”
7. दुनिया के बारे में
अपने बीवी बच्चों से होशियार रहो
कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:
“ऐ ईमान वालो ! तुम्हारी बाज़ बीवियाँ और बाज़ औलाद तुम्हारे हक में दुश्मन हैं, तो तुम उनसे होशियार रहो।”
वजाहत : बीवी बच्चे बाज़ मर्तबा दुनियावी नफ़ा के लिए खिलाफ़े शरीअत कामों का हुक्म देते हैं, उन्हीं लोगों को अल्लाह तआला ने दीन का दुश्मन बताया है और उन के हुक्म को बजा लाने से बचने की हिदायत दी है।
8. आख़िरत के बारे में
अहले ईमान और कयामत का दिन
रसूलुल्लाह (ﷺ) से पचास हजार साल के बराबर दिन (यानी कयामत) के बारे में पूछा गया के यह कितना लंबा होगा?
तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया : “उस ज़ात की कसम जिसके कब्जे में मेरी जान है! वह दिन मोमिन के लिए इतना मुख्तसर कर दिया जाएगा, जितनी देर में वह फर्ज़ नमाज अदा किया करता था।”
9. कुरआन की नसीहत
कद्दू (दूधी) से इलाज
हज़रत अनस फर्माते हैं के मैं ने खाने के दौरान रसूलुल्लाह (ﷺ) को देखा के प्याले के चारों तरफ़ से कद्दू तलाश कर कर के खा रहे थे,उसी रोज़ से मेरे दिल में कद्दू की रगबत पैदा हो गई।
वजाहत: अतिब्बा ने इस के बेशुमार फ़वाइद लिखे हैं और अगर बही के साथ पका कर इस्तेमाल किया जाए तो बदन को उम्दा गिज़ाइयत बख्शता है गर्म मिजाज और बुखार जदा लोगों के लिए यह गैर मामूली तौर पर नफ़ा बख्श है।
10. नबी (ﷺ) की नसीहत
बिना इजाजत किसी भाई का सामान ना ले
रसलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया:
“तूम में से कोई शख्स अपने भाई के सामान को न मजाक में ले और न हकीकत में (बिलाइजाजत) ले।”
Sirf 5 Minute Ka Madarsa (Hindi Book) ₹359 Only |