3. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
3. Zil-Qada | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
सफा व मरवाह
सफ़ा व मरवाह मक्का में बैतुल्लाह के बिल्कुल करीब दो पहाड़ियां हैं, जब इब्राहिम (अलैहि सलाम) अल्लाह के हुक्म से हज़रत हाजरा (ऱ.अ) और इस्माईल (अलैहि सलाम) को मक्का में छोड़ कर चले गये तो खाना पानी खत्म हो गया। तो हज़रत हाजरा (ऱ.अ) पानी की तलाश में इन्हीं दो पहाड़ियों के दर्मियान दौड़ी थीं।
फ़िर जब कुछ जमाने के बाद बुत पस्स्ती का दौर शुरू हुआ तो सफ़ा मरवाह पर भी दो बुत रख दिए गए थे, इस्लाम से पहले लोग सई के बाद इन का बोसा लेते और ताज़ीम के तौर पर यह समझते के तवाफ़ व सई इन्हीं के नाम पर किया जाता है, इस्लाम में जब सफ़ा व मरवाह के दर्मियान सई करने का हुक्म दिया गया, लोगों को शुबा पैदा हुआ के इस सई से कहीं बुत परस्तों की मुशाबहत न हो जाए, तो अल्लाह तआला ने फर्माया के –
“हम ने हज़रत हाजरा (ऱ.अ) की इस अदा को कयामत तक हज व उम्रह करने वालों के लिए बाइसे अज्र व सवाब और इस्लामी यादगार बना दिया है। यह कोई गुनाह की बात नहीं, बल्के तुम्हारे लिए इबादत व तक़र्रूबे इलाही का ज़रिया है।”
चुनान्चे हज व उम्रह करने वालों के लिए सफ़ा व मरवाह के दर्मियान सई करना वाजिब है और बिला किसी शरई उज्र के सई छोड़ देने पर दम वाजिब है।
2. अल्लाह की कुदरत
अंडे से बच्चे का पैदा होना
अंडा एक छिल्का है, जिस के अंदर से चूजा पैदा होता है और वह एक वक्त तक उस में पलता रहता है, लेकिन जब अल्लाह तआला उस को बाहर निकालना चाहता है, तो उस नाजुक और कमजोर बच्चे को एक मज़बूत चोंच दे देता है, जिससे वह अंदर से बराबर अंडे के खोल को तोड़ने की कोशिश करता रहता है, यहां तक के एक वक्त ऐसा आता है जब वह इस छिल्के को तोड़ कर बाहर आ जाता है और जमीन पर दौड़ने लगता है।
यह अल्लाह तआला की जबरदस्त कुदरत है, जो एक ऐसे अंडे से जिस को तोड़ो तो सफ़ेद और पीले पानी के सिवा कुछ न निकले, एक चलती फिरती जान पैदा कर देता है।
3. एक फर्ज के बारे में
मीकात से एहराम बांध कर गुज़रना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“कोई शख्स बगैर एहराम बांधे हुए मीकात से न गुजरे।”
📕 मुसन्नफ़े इब्ने अबी शैवा : ४/५०९
वजाहत: खान-ए-काबा से कुछ फ़ास्लों पर चंद जगहें हैं जहां से एहराम बांधते हैं इन्हें “मीकात” कहा जाता है। यहां से गुजरते वक्त मक्का से बाहर रहने वालों पर ऐहराम बाँधना लाज़िम है।
4. एक सुन्नत के बारे में
एहराम से पहले खुशबु लगाना
हज़रत आयशा (ऱ.अ) फ़र्माती है के वह सरवरे कायनात (ﷺ) के एहराम से पहले और एहराम खोलने के बाद खुश्बू लगाया करती थीं जिस में मुश्क मिला होता था।”
5. एक अहेम अमल की फजीलत
हज के दौरान गुनाहों से बचना
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जिस ने हज के दौरान बीवी से न जिमा किया और न ही किसी छोटे बड़े गुनाह का इर्तिक़ाब किया, तो उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाएंगे।”
📕 तिर्मिज़ी : ८११, अन अबी हरेराह (ऱ.अ)
एक दूसरी रिवायत में है के वह शख्स हज से ऐसा वापस होता है जैसा उस दिन था जिस दिन मां के पेट से निकला था।
6. एक गुनाह के बारे में
जिना और शराब पर वईद
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :
“जो शख्स जिना करता है या शराब पीता है, तो अल्लाह तआला उस के ईमान को दिल से ऐसे निकाल देता है, जिस तरह आदमी कमीस सर की तरफ़ से निकाल देता है।”
7. दुनिया के बारे में
दो आदतें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“जो शख्स दीनी मामले में अपने से बुलंद शख्स को देख कर उस की पैरवी करे और दुनियावी मामले में अपने से कम तर को देख कर अल्लाह तआला की अता कर्दा फजीलत पर उस की तारीफ़ करे तो अल्लाह तआला उसको (इन दो आदतों की वजह से) साबिर व शाकिर लिख देता हैं।”
“और जो शख्स दीनी मामले में अपने से कमतर को देखे और दनियावी मामले में अपने से ऊपर वाले को देख कर अफसोस करे, तो अल्लाह तआला उस को साबिर व शाकिर नहीं लिखता।”
8. आख़िरत के बारे में
दोज़खियों का खाना
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“दोज़खियों को खौलते हुए चश्मे का पानी पिलाया जाएगा, उन को कांटेदार दरख्त के अलावा कोई खाना नसीब न होगा, जो न मोटा करेगा और न भूक को दूर करेगा।”
9. तिब्बे नबवी से इलाज
बीमारियों का इलाज
हज़रत अनस (ऱ.अ) के पास दो शख्स आए, जिन में से एक ने कहा :
ऐ अबू हमज़ा (यह हजरत अनस (ऱ.अ) की कुन्नियत है) मुझे तकलीफ़ है, यानी में बीमार हूं, तो हज़रत अनस (ऱ.अ) ने फर्माया : क्या मैं तुम को उस दुआ से न दम कर दूं जिस से रसूलुल्लाह (ﷺ) दम किया करते थे? उस ने कहा जी हाँ जरूर। तो उन्होंने यह दुआ पढ़ी:
तर्जुमा: ऐ अल्लाह! लोगों के रब! तकलीफ को दूर कर देने वाले, शिफा अता फरमा, तू ही शिफा देने वाला है तेरे सिवा कोई शिफा देने वाला नहीं, ऐसी शिफा अता फरमा के बीमारी बिलकुल बाकी ना रहे।
10. कुरआन की नसीहत
अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक न करो, मां बाप के साथ अच्छा सुलूक करो और तंगदस्ती के खौफ़ से अपनी औलाद को क़त्ल न करो, हम तुम को भी रिज्क देते हैं और उन को भी,खुले और छपे बेहयाई के कामों के क़रीब न जाओ।”
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