5. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा
5. Zil-Qada | Sirf Paanch Minute ka Madarsa
1. इस्लामी तारीख
अरफ़ात
मक्का मुअज़्ज़मा से मशरिक की सिम्त से ताइफ जाने वाली सड़क पर तकरीबन १६ किलो मीटर की दूरी पर मैदाने अरफ़ात वाके है, जन्नत से निकलने के बाद इसी जगह पर आदम व हव्वा ने मुलाकात के बाद एक दूसरे को पहचाना, इसी लिए इस को अरफ़ात कहते हैं, मैदाने अरफ़ात ही में हज़रत जिबईल ने हज़रत इब्राहीम (अलैहि सलाम) को हज के अरकान सिखाए, इसी मैदान में सहाब-ए-किराम को दीन के मुकम्मल होने की खुश्खबरी दी गई और यहीं रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपनी ऊंटनी पर सवार हो कर हज्जतुल विदा का वह तारीखी खुतबा दिया, जिस में तमाम जाहिलाना रस्मों का खात्मा फ़र्माया और दुनियाए इन्सानियत को एक दुसरे के हुकूक व फ़राइज़ अंजाम देने की तालीम दी और अपनी उम्मत को अल्लाह के सामने रोने और गिड़गिड़ाने का सलीका सिखाया और इसी जगह पर कयामत के दिन मैदाने हश्र कायम होगा और बंदों का हिसाब व किताब होगा।
दुनिया भर से हज करने वाले ९ जिलहिज्जा को इसी मैदान में पहुंच कर फ़रीज़-ए-हज अदा करते हैं। अरफ़ात में ठहरने को वुकूफे अरफ़ा कहते हैं जवाल से लेकर गुरूबे आफ़ताब तक यहां ठहेरना ज़रूरी है।
2. अल्लाह की कुदरत
समुंदरी मखलूक की हिफाजत
अल्लाह तआला अपनी मखलूक पर बड़ा रहीम व करीम है। वह अपनी मखलूक की हर तरफ़ से हिफाजत करता है, चाहे वह जमीन की मखलूक हो या समुंदर की। समुंदर के बारे में यह बात बड़ी अजीब है के जाड़े के मौसम में जब सख्त किस्म की सर्दी पड़ती है और पानी बड़ी तेजी से जम कर बर्फ बनने लगता है, तो यह खतरा पैदा हो जाता है के पूरा समुंदर जम कर बर्फ बन जाएगा, जिस से सारी समुंदरी मखलूक मर कर खत्म हो जाएगी, लेकिन यहां अल्लाह तआला अपनी कुदरत दिखाता है और समुंदर के ऊपर बर्फ की एक मोटी तह जमा देता है, जो पानी के ऊपर तैरती रहती है जिस से नीचे का पानी जमने से बच जाता है और पूरी मख्लूक वहां सुकून से जिन्दा रहती है।
यह अल्लाह तआला की कुदरत है जो हर तरह से अपनी मख्लूक की हिफ़ाज़त करता है।
3. एक फर्ज के बारे में
सई को तवाफ के बाद करना
हज़रत इब्ने उमर (ऱ.अ) से रिवायत है के रसूलुल्लाह (ﷺ) (खान-ए-काबा) तशरीफ़ लाए तो उस का सात चक्कर लगाया और मकामे इब्राहीम के पीछे दो रकात नामाज़ अदा की फिर सफ़ा और मरवाह के दर्मियान सई किया और फ़र्माया: तुम्हारे लिए रसूलुल्लाह (ﷺ) की ज़ात में बेहतरीन नमूना है।
वजाहत: हज व उमरह में सई को तवाफ़ के बाद करना जरूरी है।
4. एक सुन्नत के बारे में
सवारी पर सवार होने के बाद की दुआ
रसूलुल्लाह (ﷺ) जब सफ़र के इरादे से निकलते और सवारी पर बैठ जाते तो तीन मर्तबा तक्बीर: (अल्लाहु अकबर) फ़र्माते और यह दुआ पढ़तेः
Allahu akbar, Allahu akbar, Allahu akbar, subhanal-lathee sakhkhara lana hatha wama kunna lahu muqrineen, wa-inna ila rabbina lamunqaliboon.
5. एक गुनाह के बारे में
शिर्के खफी क्या है?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“क्या मैं तुम को दज्जाल से भी ज़ियादा खतरनाक चीज़ न बताऊं?” सहाबा ने अर्ज किया: ज़रूर बतलाएं, वह क्या चीज़ है ?
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : “शिर्के खफ़ी (छुपा हुआ शिर्क) है, के आदमी नमाज़ पढ़ने के लिए खड़ा हो, फिर अपनी नमाज़ इस लिए लम्बी करे के कोई आदमी उस को नमाज़ पढ़ता देख रहा है।”
6. दुनिया के बारे में
दो बुरी चीजें
रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :
“बूढ़े आदमी का दिल दो चीज़ों के बारे में हमेशा जवान रहता है, एक दुनिया की मुहब्बत और दूसरी लम्बी लम्बी उम्मीदें।”
7. आख़िरत के बारे में
जन्नत के फल और दरख्तों का साया
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“मुत्तकियों से जिस जन्नत का वादा किया गया है, उसकी कैफियत यह है के उस के नीचे नहरें जारी होंगी और उस का फल और साया हमेशा रहेगा।”
8. तिब्बे नबवी से इलाज
अजवा खजूर से जहर का इलाज
रसूलुल्लाह (ﷺ)ने फ़र्माया :
“अजवा खजूर जन्नत का फल है और इस में जहर से शिफ़ा है।
9. कुरआन की नसीहत
अल्लाह तआला अदल व इन्साफ़ हुक्म देता है
कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :
“अल्लाह तआला अदल व इन्साफ़ और अच्छा सलूक करने का और रिश्तेदारों को माली मदद करने का हुक्म देता है और बेहयाई, ना पसंद कामों और जुल्म व ज़ियादती से मना करता है, वह तम्हें ऐसी बातों की नसीहत करता है ताके तुम इन को याद रखो।”
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