6. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

हजरत उवैस करनी (रहमतुल्लाह अलैहि), अली बिन हकम (र.अ.) के हक़ में दुआ, अजाने जुमा के बाद दुनियावी काम छोड़ना, बुरे आमाल की नहूसत, दुनिया से बेहतर आखिरत

6. ज़िल क़दा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

6. Zil-Qada | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

हजरत उवैस करनी (रहमतुल्लाह अलैहि)

हज़रत उवैस बिन आमिर करनी (रह.अ.) एक मशहूर ताबिई है, यमन के रहने वाले थे, उन्होंने रसूलुल्लाह (ﷺ) का ज़माना तो पाया, मगर एक उज्र की वजह से हुजूर (ﷺ) से मुलाकात का शर्फ हासिल न कर सके, उन की बूढ़ी मां थीं, जिन की खिदमत को सब से बड़ी सआदत और इबादत समझते थे। चूनान्चे जब तक वह ज़िन्दा रही उन की तन्हाई के ख्याल से हज नहीं किया।

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने ग़ायबाना तौर से उन को खैरूत्ताबिईन (तमाम ताबिईन में सब से बेहतर) का लकब अता फर्माया। हुजूर (ﷺ) ने हज़रत उमर फारूक (र.अ.) को उन का नाम और अलामतें बता कर फर्माया के “वह अपनी मां की खिदमत करता है, जब वह अल्लाह की क़सम खाता है, तो अल्लाह उस को पुरा करता है, अगर तुम उस से दुआए मगफिरत हासिल कर सको तो कर लेना।”

उस के बाद से हजरत उमर (र.अ.) के बराबर उन की तलाश में रहे, यहां तक के हजरत उमर (र.अ.) के जमान-ए-खिलाफत में हजरत उवैस (र.अ.) तशरीफ़ लाए, उन से मुलाकात की और दुआ की दरखास्त की। इस पर हज़रत उवैस करनी ने हज़रत उमर (र.अ.) के लिए दुआए मगफिरत की। हज़रत उवैस करनी फिर कूफा में जा कर बस गए थे। और बहुत ही सादा जिंदगी गुजारते थे।

📕 इस्लामी तारीख

2. हुजूर (ﷺ) का मुअजीजा

अली बिन हकम (र.अ.) के हक़ में दुआ

हजरत मुआविया बिन हकम (र.अ.) फर्माते हैं के:

गजव-ए-खंदक में जब मेरे भाई अली बिन हकम अपने घोड़े पर सवार हुए और उस को दौड़ाया, तो किसी दिवार से उन का पैर टकरा गया, जिस की वजह से उन के पैर की हड्डी टूट गई। हम लोग उन को आप (ﷺ) की खिदमत में ले आए। आपने “बिस्मिल्लाह” कह कर उनके पैर पर अपना मुबारक हाथ फेरा, तो घोड़े से नीचे उतरने से पहले ही उन का पैर ठीक हो गया था।

📕 सुबुलुल हुदा वरशाद : ४/३७०

3. एक फर्ज के बारे में

अजाने जुमा के बाद दुनियावी काम छोड़ना

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“ऐ इमान वालो ! जुमा के दिन जब (जुमा की ) नमाज़ के लिए अज़ान दी जाए, तो (सब के सब) अल्लाह के ज़िक्र(यानी नमाज़) की तरफ़ दौड़ पड़ो और खरीद व फरोख्त छोड़ दो। यह तुम्हारे लिए बेहतर है, अगर तुम जानते हो।”

📕 सुरह जुमा

4. एक गुनाह के बारे में

बुरे आमाल की नहूसत

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“खुशकी और तरी (यानी पूरी दुनिया) में लोगों के बुरे आमाल की वजह से हलाकत व तबाही फैल गई है, ताके अल्लाह तआला इन्हें इन के बाज़ आमाल (की सज़ा) का मज़ा चखा दे , ताके वह अपने बुरे आमाल से बाज़ आ जाएं।”

📕 सूर-ए-रूम: ४१

5. दुनिया के बारे में

दुनिया से बेहतर आखिरत का घर है

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है :

“दुनिया की ज़िन्दगी सिवाए खेल कूद के कुछ भी नहीं और आखिरत का घर मुत्तकियों (यानी अल्लाह तआला से डरने वालों) के लिए बेहतर है।”

📕 सूर-ए-अन्आम : ३२

6. आख़िरत के बारे में

हर नबी का हौज़ होगा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“हर नबी के लिए एक हौज़ होगा और अंबिया आपस में फख्र करेंगे के किस के हौज़ पर ज़ियादा उम्मती पानी पीने के लिए आते हैं। मुझे उम्मीद है के मेरे हौज़ पर आने वालों की तादाद ज़ियादा होगी।”

📕 तिर्मिज़ी : २४४३, अन समुरह बीन जुन्दुव (र.अ.)

7. तिब्बे नबवी से इलाज

सना के फवाइद

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“मौत से अगर किसी चीज़ में शिफ़ा होती तो सना में होती।”

📕 तिर्मिज़ी : २०८१, अन अस्मा बिन्ते उमैस (र.अ.)

वजाहत: सना एक दरख्त (tree) का नाम है, जिस की पत्ती तकरीबन दो इंच लम्बी और एक इंच चौड़ी होती है, इस में छोटे छोटे पीले रंग के फूल होते हैं, उस की पत्ती कब्ज़ के मरीज़ के लिये मुफीद है।

8. नबी (ﷺ) की नसीहत

मोमिन की दो आदतें जो अल्लाह के तराजू में बहुत भारी है

हज़रत अबू जर (र.अ.) को मुखातब कर के रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“के मैं तुम्हें ऐसी दो खसलते बता दूं जो बहुत हल्की हैं और अल्लाह के तराजू में वह बहुत भारी हैं ? फिर रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया: “जियादा खामोश रहने की आदत और हुस्ने अखलाक।”

📕 बैहक़ी फ़ी शोअबिल ईमान : ७७७७, अन अनस (र.अ.)

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