1. ज़िल हज | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

अंबर मछली में अल्लाह की क़ुदरत, अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा, तवाफ की दो रकात में मसनून किरात, कुर्बानी जहन्नम से हिफाजत का ज़रिया, क़ुरबानी न

1. ज़िल हज | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

1. Zil-Hajj | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

1. इस्लामी तारीख

अंबर मछली में अल्लाह की क़ुदरत

समुंदर में अल्लाह की बेशुमार मखलूक मौजुद हैं। मछलियों की भी बहुत सी किस्में हैं, उन में एक मछली अंबर भी है, वह इतनी बड़ी होती है के आसानी से पूरे इन्सान को निगल सकती है।

इस मछली के पेट से एक खुश्बूदार मोमियाई माद्या निकलता है जिसे अंबर कहते हैं जिस से कीमती 1 दवाइयां और इत्र वगैरा तय्यार किया जाता है जब इस मछली के पेट में अंबर पैदा हो जाता है तो वह उसे कै (उल्टी) कर देती है। फिर वह सुमंदर के पानी पर झाग की शक्ल में तैरने लगता है। मछेरे उसे जमा कर के बाज़ार में फरोख्त कर देते हैं। इसी तरह लोग इस कीमती चीज़ से फ़ायदा उठाते हैं।

और अल्लाह की कुदरत का करिशमा देखिये के जब उस मछली की मौत का वक्त करीब आता है तो वह समुंदर से निकल कर खुशकी पर आ जाती है। और वहां उस का दम निकलता है। इस तरह बगैर किसी परेशानी के इतनी बड़ी मछली खुद शिकार बन कर लोगों को खोराक मुहय्या कर देती है यह अल्लाह की कितनी अजीम कुदरत है।

📕 अल्लाह की कुदरत

2. एक फर्ज के बारे में

अल्लाह तआला सबको दोबारा ज़िन्दा करेगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है:

“अल्लाह वह है, जिसने तुम को पैदा किया और वही तुम्हें रोजी देता है,
फिर (वक्त आने पर) वही तुम को मौत देगा और फिर तुम को वही दोबारा जिन्दा करेगा।”

📕 सूरह रूम : ४०

वजाहत: मरने के बाद अल्लाह तआला दोबारा जिन्दा करेंगा, जिसको “बअस बादल मौत” कहते हैं, इसके हक होने पर ईमान लाना फर्ज है।

3. एक सुन्नत के बारे में

तवाफ की दो रकात में मसनून किरात

हजरत जाबिर (र.अ) फर्माते हैं के :

“रसूलुल्लाह (ﷺ) ने तवाफ़ की दोनों रकातों में
(कुल हुवल लाहू अहद) और (कुल या अय्युहल काफिरून) पढ़ी है।”

📕 तिर्मिज़ी: ८६९

4. एक अहेम अमल की फजीलत

कुर्बानी जहन्नम से हिफाजत का ज़रिया

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने खुश दिली और अपने कुर्बानी के जानवर के बदले
सवाब की निय्यत से कुर्बानी की, तो यह उस के लिए जहन्नम से रोकने का सबब बनेगा।”

📕 मोअजमे कबीर लित्तबरानी : २६७०

5. एक गुनाह के बारे में

क़ुरबानी न करने पर वईद

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जो आदमी कुर्बानी करने की ताकत रखता हो, उस के बावजूद कूर्बानी न करे, तो वह हमारी ईदगाह में न आए।”

📕 मुस्तदरक लिल हाकिम : ३४६८, अन अनी हुरैरह (र.अ)

वजाहत: साहिबे इस्तेतात पर कुर्बानी करना वाजिब है, अगर किसी ने कुर्बानी न की तो वह गुनहगार होगा।

6. आख़िरत के बारे में

कयामत के दिन बदला कुबूल न होगा

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“जिन लोगों ने कुफ्र किया और कुफ्र ही की हालत में मर गए, तो ऐसे शख्स से पूरी ज़मीन भर कर भी सोना कबूल नहीं किया जाएगा, अगरचे वह सोने की उतनी मिकदार (अज़ाब के बदले) में ला कर हाज़िर कर दे, ऐसे लोगों के लिए दर्दनाक अज़ाब होगा और उन का कोई मदद करने वाला न होगा।”

📕 सूरह आले इमरान : ९१

7. तिब्बे नबवी से इलाज

आबे जमजम के फवाइद

हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह (र.अ.) कहते के

मैंने रसूलअल्लाह (ﷺ) को फरमाते हुए सुना:

“जमजम का पानी जिस निय्यत से पिया जाए, उस से वही फायदा हासिल होता है।”

📕 इब्ने माजाह ३०६२

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