17. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

सीरत - सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.), बर्फीले पहाड़ों में अल्लाह की कुदरत, सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा ...
17 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

17. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 

17 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

इस्लामी तारीख

सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.)

सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) जिन्हें “फ़ातिहे बैतुल मुकद्दस” कहा जाता है, छटी सदी हिजरी के बड़े ही नामवर और कामयाब बादशाह गुज़रे हैं। वालिद की तरफ़ निसबत करते हुए उन्हें “अय्यूबी” कहा जाता है।

उन की परवरिश एक दर्मियानी दर्जे के शरीफ़ ज़ादा खानदान में सिपाही की हैसियत से हुई। 

बादशाह बनने के बाद उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी बड़े ही मुजाहदे और सब्र के साथ गुज़ारी। उन्होंने अपनी जिंदगी का मक्सद सिर्फ एक ही बना लिया था के दुनिया में अल्लाह का नाम कैसे बुलंद हो।

उन के कारनामों में सब से बड़ा कारनामा यह है के उन्होंने किबल-ए-अव्वल यानी बैतुल मुक़द्दस को आज़ाद कराया, जो तकरीबन नब्बे साल से इसाइयों के कब्जे में था। यह वही किबल-ए-अव्वल है। 

जहाँ हुजूर (ﷺ) ने अम्बियाए किराम की इमामत की थी और फिर वहाँ से आसमान का सफ़र (मेराज) किया था, इसाइयों ने जब बैतुल मुकद्दस पर कब्ज़ा किया था, तो मुसलमानों पर जुल्म व सितम की इन्तिहा कर दी थी, मगर उसी बैतुल मुकद्दस पर नब्बे साल के बाद जब मुसलमानों का दोबारा कब्ज़ा हुआ, तो सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी (रह.) ने उन से बदला लेने के बजाए यह एलान करा दिया के जो बूढ़े आदमी फिदिया की रकम नहीं दे सकते, वह आज़ाद किए जाते हैं के वह जहाँ चाहें चले जाएँ। 

उसके बाद सुब्ह से शाम तक वह लोग अमन के साथ शहर से निकलते रहे। इसके साथ साथ उनको बैतुल मुकद्दस की ज़ियारत की भी आम इजाज़त दे दी। सुलतान सलाहुद्दीन (रह.) का यह वह एहसान व करम था जिस को ईसाई दुनिया आज भी नहीं भुला सकती है।

📕 इस्लामी तारीख

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अल्लाह की कुदरत

बर्फीले पहाड़ों में अल्लाह की कुदरत

बाज़ ऊंचे इलाकों और बुलंद पहाड़ों पर सर्द मौसम की वजह से बर्फ जम जाती है और पहाड़ों की चोटी बर्फ से ढक जाती है, जब के ज़मीन की सतह से बुलंद और सूरज के करीब होने की वजह से सख्त गर्मी होनी चाहिए थी और पानी भी ठंडा होने के बजाए गर्म होता। 

लेकिन इसके बावजूद पहाड़ों पर सख्त बर्फ जमी रहती है और सर्द माहौल रहता है। यही नहीं, बल्के जितना ऊपर जाएँ और ज़्यादा सर्दी महसूस होगी।

इन पहाड़ों की चोटियों पर बर्फ का जमाना और सर्द माहौल का बनाना अल्लाह की कितनी अज़ीम कुदरत है। सुभानअल्लाह।

📕 अल्लाह की कुदरत

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एक फर्ज के बारे में

सुबह की नमाज अदा करने पर हिफाज़त का जिम्मा

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़र्माया :

“जिस ने सुबह (यानी फज़र) की नमाज़ अदा की,
वह अल्लाह की हिफ़ाज़त में है।”

📕 मुस्लिम: १४९३

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एक सुन्नत के बारे में

बच्चों को यह दुआ पढ़ कर दम करें

रसूलुल्लाह (ﷺ) हजरत हसन व हुसैन (र.अ) को यह दुआ पढ कर दम किया करते थे :

أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لامَّةٍ

"आऊज़ु बिकालिमातिल्लाहीत ताम्माह
वा मीन कुल्ली शयतानीव वा हाम्माह
वा मीन कुल्ली अयनील आम्माह"

तर्जमा: मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह की पूरे पूरे कलिमात के ज़रिए,
हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचने वाली बुरी नज़र से।

📕 सही बुखारी: 3371

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एक अहेम अमल की फजीलत

कुरआन की तिलावत करना

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया :

“कुरआन शरीफ की तिलावत किया करो, इस लिए के कयामत के दिन
अपने साथी (यानी पढ़ने वाले) की शफ़ाअत करेगा।”

📕 मुस्लिम: १८७४

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एक गुनाह के बारे में

रिश्वत लेकर नाहक फैसला करने का गुनाह

रसुलल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“जो शख्स कुछ (रिश्वत) ले कर नाहक फ़ैसला करे, तो अल्लाह तआला उसे इतनी गहरी जहन्नम में डालेगा, के पाँच सौ बरस तक बराबर गिरते चले जाने के बावजूद, उसकी तह तक न पहुँच पाएगा।”

📕 तरग़ीब व तहरिब: ३१७६

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दुनिया के बारे में

कामयाब कौन है?

रसूलुल्लाह (ﷺ)ने इर्शाद फ़र्माया :

“कामयाब हो गया वह शख्स जिसने इस्लाम कबूल किया और उसको जरुरत के ब कद्र रोजी मिली और अल्लाह तआला ने उस को दी हई रोजी पर कनाअत करने वाला बना दिया।”

📕 मुस्लिम: २४२६

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तिब्बे नबवी से इलाज

गाय के दूध में शिफा है

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फ़रमाया :

“गाय का दूध इस्तेमाल किया करो, क्योंकि वह हर किस्म के पौधों को चरती है (इस लिए) उसके दूध में हर बीमारी से शिफ़ा है।”

📕 मुस्तदरक : ८२२४

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क़ुरान की नसीहत

मुसलमानों के दिल अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है :

“क्या ईमान वालों के लिए अभी तक ऐसा वक्त नहीं आया, के उनके दिल अल्लाह की नसीहत और जो दीने हक़ नाजिल हुआ है, उसके सामने झुक जाएँ और वह उन लोगों की तरह न हो जाएँ जिन को उन से पहले किताब दी गई थी। यानी वह वक्त आ चुका है के मुसलमानों के दिल कुरआन और अल्लाह की याद और उस के सच्चे दीन के सामने झुक जाएँ।”

📕 सूरह हदीद : १६

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