10. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

सीरत - सुल्तान महमूद ग़ज़नवी (रह.), घर में नवाफिल पढ़ने की फ़ज़ीलत, अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह, दोजख (जहन्नुम) की गहराई, तिब्बे नबवी से कोढ़
10. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा

10. जिल हिज्जा | सिर्फ़ 5 मिनट का मदरसा 

 10 Zil Hijjah | Sirf Paanch Minute ka Madarsa

इस्लामी तारीख

सुल्तान महमूद ग़ज़नवी (रह.) 

सुल्तान महमूद ग़ज़नवी (रह.) इस्लामी तारीख में बड़े नामवर बादशाह गुज़रे हैं, आप मिर सुबुकतगीन के बेटे थे, सन ३५७ हिजरी में पैदा हुए और आला तालीम हासिल की, वालिद साहब के इन्तेकाल के बाद हुकूमत की बाग डोर संभाली और उस को मजबूत करते चले गए। आप ने अपने दौरे हुकूमत में कई इलाके फतह किये और अमन व अमान काइम किया। जुल्म व ज़ियादती को बिल्कुल पसंद नहीं करते थे, मुस्लिम व गैर मुस्लिम हर एक के साथ इन्साफ़ का मामला करते थे। 

रिया (प्रजा) की पूरी खबर रखते थे और उन की जरूरियात को बड़े एहतमाम से पूरा करते। गैर मुस्लिमों के मजहब
और उन की इबादत गाहों का भी बड़ा लिहाज रखते, उन को उन का पूरा हक देते और मजीद इनामात से भी नवाज़ते, अल्बत्ता बेहयाई और फ़ितनों के अड्डों को बेखौफ़ व खतर सफह-ए-हसती से मिटा देते। 

सुल्तान महमूद इल्म व फ़ज़ल में भी बहुत आगे थे। अहले इल्म और अस्हाबे कमाल के बड़े कद्रदाँ थे। खास ग़ज़नी में बहुत बड़ा मद्रसा तामीर कराया और उस के इखराजात के लिए एक बड़ा फंड मुकर्रर कर दिया। 

आप के दारूस्सलतनत में इतने अरबाबे कमाल जमा हो गये थे के एशिया के किसी बादशाह को यह फक्र हासिल न था, तकरीबन ३५ साल तक इकतिदार को रौनक बख्शने के बाद यह आदिल, मुन्सिफ़, रिआया परवर, खुदा तर्स, उलमा नवाज़ और अज़ीम काइद व सरबराह सन ४२१ हिजरी में इस दारे फ़ानी से रूखसत हो गया, जिस के मिसाली कारनामे कयामत तक तारीख के औराक में महफूज रहेंगे। 



हुजूर (ﷺ) का मुअजिज़ा :

हज़रत हुजैफा (र.अ) को सर्दी का एहसास न होना

हज़रत हुजैफ़ा (र.अ) फर्माते हैं : "गज़व-ए-खंदक के मौके पर सख्त ठंडी हवा चल रही थी, ऐसे वक्त में रसूलुल्लाह (ﷺ) ने सहाबा से फर्माया : है कोई जो मेरे पास दुश्मनो के काफिले की खबर ले आये, तो (ठंडी की वजह से) कोई भी खड़ा न हुआ, दुसरी मर्तबा फर्माया : फिर भी कोई खड़ा न हुआ, जब तीसरी मर्तबा भी कोई खड़ा न हुआ तो रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : ऐ हुजैफ़ा ! तुम खड़े हो जाओ और दुश्मनों के काफ्ले की खबर ले आओ, हज़रत हुजैफा (र.अ) फ़र्माते हैं चूंकि रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अब मेरा नाम ले ही लिया था, इस लिए खड़ा होना ज़रूरी था, बहरहाल मैं खड़ा हो गया और वहां से चला, (रसूलल्लाह (ﷺ) की बात मानने की बर्कत से) मुझे रास्ते में ज़र्रह बराबर भी ठंडी महसूस नहीं हुई, यहां तक के मैं वापस भी आ गया, ऐसा लग रहा था.गोया के मै सख्त गर्मी में चल रहा हूँ।”

📕 मुस्लिम : ४६४०. अन हुजैफा (र.अ)




एक अहेम अमल की फजीलत :

घर में नवाफिल पढ़ने की फ़ज़ीलत 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

"जब तुम में से कोई मस्जिद में (फ़र्ज़) नमाज़ अदा कर ले , तो अपनी नमाज़ में से कुछ हिस्सा घर के लिए भी छोड़ दे; क्योंकि अल्लाह तआला बन्दे की (नफ़्ल) नमाज़ की वजह से उस के घर में खैर नाज़िल करता हैं।"

📕 मुस्लिम : १८२२, अन जाबिर



एक गुनाह के बारे में:

अल्लाह तआला के साथ शिर्क करने का गुनाह

कुरआन में अल्लाह तआला फर्माता है : 

"बिला शुबा अल्लाह तआला शिर्क को माफ़ नहीं करेगा, शिर्क के आलावा जिस गुनाह को चाहेगा माफ कर देगा और जिस ने अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक किया तो उसने अल्लाह के खिलाफ बहत बड़ा झूठ बोला।”

📕 सूरह निसा : ४८



दुनिया के बारे में :

दुनिया की चीजें खत्म होने वाली हैं

कुरआन में अल्लाह तआला फ़र्माता है : 

“जो कुछ तुम्हारे पास (दुनिया में) है वह (एक दिन) खत्म हो जाएगा और जो अल्लाह तआला के पास है वह हमेशा बाकी रहने वाली चीज़ है।”

📕 सूरह नहल: ९६



आख़िरत के बारे में :

दोजख (जहन्नुम) की गहराई 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

"एक पत्थर को जहन्नम के किनारे से फेंका गया, वह सत्तर साल तक उस में गिरता रहा मगर उस की गहराई तक नहीं पहुंच सका।"

📕 मुस्लिम : ७४३५



तिब्बे नबवी (ﷺ) से इलाज :

जुज़ाम (यानी कोढ़) का इलाज

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

"सात दिन तक रोजाना सात मर्तबा मदीना की अजवाह खजूरों का इस्तेमाल जुज़ाम (कोढ़) के लिए फ़ायदेमंद हैं।"

📕 कंजुल उम्मुल : २८३३२, अन आयशा (र.अ)



कुरआन की नसीहत :

इजाजत न मिले तो अंदर दाखिल न हो 

रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फर्माया : 

"जब तुम में से कोई घर में दाखिल होने के लिए तीन मर्तबा इजाजत मांगे और उस को इजाजत न मिले,या कोई जवाब न मिले तो उस को वापस हो जाना चाहिए।"

📕 अबू दाऊद : ५१८१, अन अबी मूसा (र.अ)

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